दुर्ग। उत्कल समाज दुर्ग ने सोमवार को शहर में अपने पारंपरिक महापर्व नुआखाई के तीन दिन भव्य शोभा यात्रा निकालकर सामाजिक एकता का परिचय दिया। शोभायात्रा में दुर्ग शहर के कोने से हजारों की संख्या में उत्कल बंधु सम्मलित हुए। शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण का केंद्र छत्तीसगढ़ महतारी की झांकी, हाथी हाथी, घोड़े, रथ आदि रहे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों ने भी भाग लिया और एक दूसरे के गले लगा कर नुआखाई की बधाई दी। इस दौरान उत्कल समाज दुर्ग शहर जिलाध्यक्ष ध्रुव लंगूर सोनी ने कहा नुआखाई हमारे पूर्वजों के द्वारा विरासत में दी गई एक पूंजी है।
जो हम सबको जोड़ने का काम करता है। हम लोगों को मजबूत करता है और आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है । इस महापर्व में न सिर्फ हम अपने प्रकृति और इष्ट देवी देवताओं का पूजा करते हैं बल्कि अपने बड़े बुजुर्गों का भी आशीर्वाद प्राप्त कर नए जन्म प्राप्त होने का अहसास करते हैं । सामाजिक नेता अखिल भारतीय ओड़िया समाज जिलाध्यक्ष नामदेव चक्रधारी ने कहा सामाजिक एकता और भाईचारे का महापर्व नुआखाई से उत्कल समाज की मान, सम्मान और पहचान है। इस पर्व के पूर्व ही समाज में खुशियों का संचार होता है। घरों की साफ-सफाई, देवी देवताओं का पूजा पाठ, नवान्न अर्पण, नवान्न ग्रहण, नव वस्त्र धारण और बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर अपने आप को गौरव महसूस करते हैं। प्रदेश उत्कल क्रीड़ा मंडल संयोजक अभिषेक टंडन ने कहा नुआखाई भारत में लगभग 3000 वर्ष पूर्व से मनाया जा रहा है। अन्नदाता किसानों का यह पर्व नई फसल के बाद धरती माता की पूजा करते प्रकृति और संस्कृति का हिस्सा है। अखिल भारतीय ओड़िया समाज प्रदेश महामंत्री अर्जुन कुमार ने कहा नुआखाई एक जीवनदायनी पर्व है जो हमें प्रकृति और संस्कृति से जोड़ने है यह पर्व बताता है कि उत्कल समाज प्रकृति का रक्षक और प्रकृति का पूजक है। नुआखाई शोभा यात्रा में प्रमुख रूप अनेक समाजिक संगठन सहित उत्कल समाज के हजारों लोग उपस्थित थे।