राजधानी में दस्तक देने लगी तीसरी लहर, बच्चों के एंटीबॉडी टेस्ट में कोरोना-डेंगू के लक्षण

Update: 2021-07-31 05:36 GMT

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी रायपुर में बच्चों में कोरोना और डेंगू का संक्रमण के मामले सामने आने लगे है। जानकारी के मुताबिक सरकारी और निजी लैबों में एंटीबॉडी टेस्ट करवाने वाले बच्चों में इसके लक्षण मिले है। इसे देखते हुए तीसरी लहर में बच्चों के कोरोना संक्रमित होने की आशंका पलवती होने लगी है। आशंका से ग्रस्त अभिभावक अपने बच्चों का टेस्ट करवा रहे है ताकि समय पर उन्हें सही इलाज मिल सके। कई बच्चों में कोरोना और डेंगू जैसे लक्षण दिखने लगे है। रोजाना काफी बड़ी संख्या में लोग कोरोना की जांच करवा रहे है। कोरोना का कहर अब तो मासूम बच्चों पर भी पडऩे लगा है। रायपुर में बच्चों के कोरोना संक्रमण का सबसे बड़ा आंकड़ा है। स्वास्थ्य विभाग लगातार कोरोना पर लगाम लगाने में लगा है, रोजाना तेज़ी से वेक्सिनेशन भी किया जा रहा है। लेकिन कुछ लोगों की लापरवाही और कोताही बच्चों की ओर संक्रमण को खींचता जा रहा है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को रोकने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग के साथ बच्चों के सरकारी अस्पताल और निजी अस्पताल भी तेज़ी से काम कर रहा है।

कितनी खतरनाक होगी तीसरी लहर ?

कोरोना महामारी की तीसरी लहर के दूसरे से भी अधिक तेज यानी खतरनाक हो सकता है ऐसा डॉक्टरों का अनुमान है क्योंकि ये लहर बच्चों में जल्दी असर करेगा इस लिए कोरोना की तीसरी लहर खतरनाक साबित हो सकती है। हालांकि, यह ऐसा कुछ नहीं है जिसकी भविष्यवाणी की जा सकती हो। आमतौर पर, यह उम्मीद की जाती है कि हर ताजा लहर पिछली लहर की तुलना में कमजोर होगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि वायरस, जब उभरता है तो अपेक्षाकृत मुक्त रूप से फैलता है।

डेंगू का प्रकोप बढ़ा

राजधानी में डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है, रायपुर के नगर निगम कॉलोनी, बजरंग नगर, आमापारा बस्ती, शिव नगर, तात्यापारा के साथ ही आस-पास के क्षेत्रों में डेंगू का कहर बढऩे लगा है। एक-एक कर डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। अभी तक करीब 2 दर्जन लोग डेंगू से पीडि़त है। सभी मरीजों का अलग-अलग हॉस्पिटलों में इलाज जारी है। लोग नाराजगी जाहिर कर रहे है कि जनप्रतिनिधियों और स्वास्थ्य विभाग को सूचना देने के बावजूद अब तक कोई शिविर नहीं लगाया गया। इसके रोकथाम के कोई उपाय नहीं किए गए है।

अभिभावकों की वजह से चपेट में आ सकते हैं बच्चे

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे अपने माता-पिता या परिजनों की वजह से संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। अभी तक ऐसे तमाम मामले सामने आए है, जिनमें वही बच्चे संक्रमित हो रहे है, जिनके अभिभावक महामारी की चपेट में आ चुके थे। कोरोना ऐसी बीमारी है, जिसमें कब किसे क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना की तीसरी लहर सिर्फ विचाराधीन है। कोरोना की तीसरी लहर अभी तक रायपुर शहर में आया नहीं है लेकिन इससे लडऩे के लिए अस्पतालों को तैयारी अभी से करना ही होगा। लेकिन हाल ही में दोबारा उठाए गए आंशिक छूट और लॉकडाउन जैसे कदमों के बाद अब रायपुर में स्थिति थोड़ी बदलने लगी है।

तीसरी लहर से लडऩे के लिए भूपेश सरकार तैयार

कोरोना महामारी के तीसरी लहर को देखते हुए भूपेश सरकार ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली है। स्वास्थ्य विभाग की सीएमओं मीरा बघेल ने बताया कि कोरोना के पहले और दूसरे लहर से बचने के लिए पर्याप्त समय था। लेकिन उसके बाद भी सरकार से जो बना सरकार ने उस हद तक जाकर लोगों को कोरोना से बचाने का प्रयास किया है। कोरोना के अब संभावित तीसरी लहर को देखते हुए भूपेश सरकार ने बच्चों के वेंटिलेटर, ऑक्सीजन बेड, बच्चों के लिए नए ऑक्सीजन मास्क और निजी व सरकारी अस्पतालों की नर्सेस को तैयार किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार से देश के प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों को एक सीख लेनी चाहिए कि किस तरह से तीसरीे लहर के आने से पूर्व ही उससे बचने के लिए अपने राज्य को तैयार किया जाए।

अलग-अलग इलाके में 2 दर्जन लोग डेंगू की चपेट में

छत्तीसगढ़ की राजधानी में डेंगू (ष्ठद्गठ्ठद्दह्वद्ग) का प्रकोप बढ़ रहा है. रायपुर के नगर निगम कॉलोनी, बजरंग नगर, आमापारा बस्ती, शिव नगर, तात्यापारा के साथ ही आस-पास के क्षेत्रों में डेंगू का कहर है. एक-एक कर डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. अभी तक करीब 2 दर्जन लोग डेंगू से पीडि़त हैं. सभी मरीजों का अलग-अलग हॉस्पिटलों में इलाज जारी है. लोग नाराजगी जाहिर कर रहे हैं कि जनप्रतिनिधियों और स्वास्थ्य विभाग को सूचना देने के बावजूद अब तक कोई शिविर नहीं लगाया गया. इसके रोकथाम के कोई उपाय नहीं किए गए हैं.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वयस्क मच्छरों को काबू में करने के लिए कीटनाशक धुंआ किसी हद तक प्रभावी हो सकता है. मच्छरों को काटने से रोक देना भी एक तरीका है, लेकिन इस प्रजाति के मच्छर दिन में काटते है. जिससे मामला गंभीर बन जाता है. एक नया तरीका मेसोसाक्लोपस नामक जलीय कीट जो लार्वा भक्षी है, जिसे रूके जल में डाल देना चाहिए. जैसे- गम्बूशिया, मलेरिया के खिलाफ प्रभावी उपाय है. यह बेहद प्रभावी, सस्ता और पर्यावरण मित्र विधि है. इसके विरूद्ध मच्छर कभी प्रतिरोधक क्षमता हासिल नहीं कर सकते हैं।

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