छत्तीसगढ़ से 7 आदिवासी परिवार इस बार शामिल होंगे कर्तव्य पथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में

Update: 2025-01-24 05:27 GMT

खरोरा। वैसे तो 26 जनवरी हर किसी भारतीय के लिए खास होता है लेकिन छत्तीसगढ़ के 07 आदिवासी परिवारों के लिए यह दिन और भी विशेष होगा क्योंकि इस दिन विशेष अतिथि के रूप में इन सात सदस्यों को छत्तीसगढ़ से रिपब्लिक डे में शामिल होने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। छत्तीसगढ़ के सुदूर जिला जशपुर से तीन आदिवासी हितग्राही, नक्सलग्रस्त जिला कोंडागांव से एक आदिवासी हितग्राही, कोरबा से दो हितग्राही एवं बेमेतरा जिला से एक हितग्राही को रिपब्लिक डे परेड में शामिल होने के लिए दिनांक 22 जनवरी को गोंडवाना एक्सप्रेस से उक्त दल हजरत निजामुद्दीन दिल्ली के लिए रवाना हुआ है।

जिन्हें आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा, अंत्यावसायी विभाग के प्रबंध संचालक पी एस अल्मा एवं सचिव गायत्री नेताम ने सुखद यात्रा के लिए शुभकामनाएं देकर रवाना किया। जिनके साथ लाइजनिंग ऑफिसर के रूप में आदर्श साव सहायक महाप्रबंधक, प्रवीन लाटा कार्यपालन अधिकारी एवं सुखनाथ नागवंशी क्षेत्र अधिकारी साथ में है। रिपब्लिक डे परेड के 76वें आयोजन के लिए इस बार लगभग 10000 विशेष अतिथियों को कर्तव्य पथ पर आमंत्रित किया गया है इनमें पैरा ओलंपिक दल के सदस्य, शीर्ष प्रदर्शन करने वाले सरपंच, हथकरघा कारीगर समेत, जनजाति परिवारों के ऐसे सदस्य जो केंद्र/ राज्य शासन की योजना के लाभान्वित हितग्राही हो, इन्हें विशेष अतिथि के रूप में शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ से सात जनजाति लाभांवित हितग्राहियों जिन्हें अंत्यावसायी वित्त एवं विकास विभाग से विभिन्न योजना अंतर्गत लाभान्वित किया गया है को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल किए जाने हेतु नई दिल्ली लाया गया है। गणतंत्र दिवस के दिन कर्तव्य पथ पर आयोजित परेड में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, डेलीगेट और तीनों सेवा के प्रमुखों के बीच इन विशेष अतिथियों को आमंत्रित किया जाना निश्चित ही भारत सरकार की एक अच्छी पहल की शुरुआत है।

जिससे देश की गौरवशाली संस्कृति से सुदूर अंचल के लोग भी अच्छी तरह से परिचित हो सकेंगे। छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों से आए इन जनजाति हितग्राहियों द्वारा अब तक दूरदर्शन के माध्यम से टेलीविजन पर बैठकर हजारों किलोमीटर दूर से ही जो गणतंत्र दिवस परेड के दिन ध्वजारोहण, राष्ट्रपति के अभिभाषण एवं जीवंत झांकियां को देखा जाता रहा है, वह इस नए प्रयास से अब कर्तव्य पथ पर भौतिक रूप से उपस्थित होकर प्रत्यक्ष रूप से देश की इस गौरवशाली परंपरा के साक्षी बनने वाले हैं।

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