जमीन का बाजार मूल्य 605 करोड़, सरकार को मिलेगा सिर्फ 135 करोड़!
शांतिनगर सिंचाई कॉलोनी का रिडेव्हलपमेंट योजना
भ्रष्ट अधिकारियों ने हाउसिंग बोर्ड की कमाई के लिए तैयार किया एक और प्लान
तालपुरी प्रोजेक्ट के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा ही संपूर्ण रिडेव्हलपमेंट योजना का क्रियान्वयन किया जाना आश्चर्य जनक
हाउसिंग बोर्ड योजना तालपुरी के भ्रष्टाचार के संपूर्ण जांच की रिपोर्ट को दबाने वाले अधिकारी ही सिंचाई कालोनी के रिडेव्लपमेंट योजना के कर्ताधर्ता बने और तालपूरी घोटाले के दस्तावेजों को दबाने की बातें भी सामने आईं
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के कई बड़े प्रोजेक्ट्स में हुई अनियमितताओं और घोटालों की परत अब तक खुल नहीं पाई हैं और सरकार ने उसे एक और बड़ा घोटाला करने के लिए प्लेट सजा कर दे दी है। राज्य सरकार ने शांति नगर स्थित सिंचाई कालोनी के रिडेव्हलेपमेंट का काम हाउसिंग बोर्ड को सौपा है। इस रिडेव्हलेपमेंट प्रोजेक्ट के लिए जल संसाधन विभाग की 19.76 एकड़ तथा जिला प्रशासन की शासकीय जमीन 1.388 हेक्टेयर भूमि पर निर्माण कार्य प्रस्तावित है। हाउसिंग बोर्ड ने जिला प्रशासन को उक्त 1.388 हेक्टेयर भूमि आबंटित करने आवेदन किया था जिस पर संयुक्त कलेक्टर और प्रभारी अधिकारी भू-आबंटन ने गाइड लाइन दर और प्रब्याजी के साथ एक मुश्त राशि जमा करने को कहा था। लेकिन राशि जमा किए बगैर ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया। वहीं जल संसाधन विभाग की भूमि लगभग 19.76 एकड़ पर आवास बनाकर विभाग को देने की बात कही गई है। इस योजना से सरकार को लगभा 135 करोड़ का लाभ होने का अनुमान जताया गया है। जबकि इस पूरी जमीन का बाजार मूल्य लगभग 650 करोड़ बताई जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब खाली जमीन से ही सरकार को इतनी बड़ी रकम मिल सकती है तो ऐसी योजना का औचित्य क्या है जब उससे बाजार मूल्य का आधा भी सरकार को न मिले। इससे साफ है कि योजना से बोर्ड के अधिकारियों को फिर मनमानी करने की छूट मिल गई है और जो अधिकारी अब तक बड़े-बड़े प्रोजेक्टस में घपले कर लाल होते रहे हैं उन्हें कमाई का एक और साधन दे दिया गया है।
1.388 हेक्टेयर सरकारी जमीन का पेमेंट नहीं?
हाउसिंग बोर्ड ने 30/06/2020 को कार्यालय कलेक्टर (भू-आबंटन शाखा) जिला, रायपुर को आवेदन देकर शासकीय भूमि खसरा नं.-529 रकबा 1.388 हेक्टेयर भूमि को उक्त प्रोजेक्ट के लिए आबंटित करने की मांग की थी। इस पर संयुक्त कलेक्टर एवं प्रभारी अधिकारी-भू आबंटन जिला रायपुर ने प्रस्ताथि भूमि जो कि शंकर नगर वार्ड सं.-31 अंतर्गत न्यू शांतिनगर में स्थित हौोने का कारण गाईड लाइन रे वार्ड क्रमांक 31 कंडिका-3 के अनुसार बाजार मूल्य का प्रयोजन के अनुसार 2 भागों में बाजार मूल्य-प्रब्याजी कूल 16,28,64,800/-और भू-भाटक 7,06,522/- रुपए आधिपत्य से पहले जमा कराने आयुक्त छग हाउसिंग बोर्ड को निर्देशित किया था जिस पर आयुक्त हाउसिंग बोर्ड ने भूमि दर की गणना प्रति वर्ग मीटर की जगह हेक्टेयर दर से करने की मांग की थी। जानकारी के अनुसार हाउसिंग बोर्ड ने अभी तक उक्त रकम जमा नहीं की है। चर्चा है कि हाउसिंग बोर्ड उक्त रकम के बदले जिला प्रशासन को भी आवास उपलब्ध कराएगा।
रिडेव्हलेपमेंट योजना की कुल लागत अनुमानित 605 करोड़
रिडेव्हलेपमेट योजना के तहत शांति नगर में जल संसाधन विभाग की 19.76 एकड़ भूमि में से 16.00 एकड़ पर जिसका कलेक्टर गाईड लाईन वर्ष 2019-20 के अनुसार मुख्य सड़क से 20 मीटर तक दर 40,000/ वर्गमीटर एवं 20 मीटर से बाद 26,000/ वर्गमीटर पर राज्य शासन के निर्णय अनुरूप 30 प्रतिशत कम करते हुए और भू राजस्व पुस्तक परिपत्र के अनुसार छग गृह निर्माण मंडल को भूमि का 60 प्रतिशत मूल्य देय का प्रावधान के आधार पर गणना करने पर भूमि का कुल मूल्य 72.42 करोड़ होगा। इस भूमि की मूल्य के बदले में जल संसाधन विभाग को इसी क्षेत्र में 3.76 एकड़ भूमि पर राशि 86.24 करोड़ की लागत का 20 नग ई. 20 नग एफ, 70 नग जी एव 210 नग एच टाईप इस प्रकार कुल 320 नग प्रकोष्ठ निर्मित करके मंडस द्वारा दिया जाएगा। जल संसाधन विभाग के लिए योजना लागत 86.24 करोड़ की राशि 16.00 एकड़ भूमि के मूल्य की राशि 77.42 कररोड़ से लगभग 11.40
प्रतिशत अधिक है। मंडल द्वारा शासन के लिए किए जा रहे व्यय 86.24 करोड़ को मंडल की प्रस्तावित आवासीय योजना में भारित करके समायोजित किया जाएगा तथा भवनों के विक्रय करके प्रस्तावित व्यय 86.24 करोड़ जुटाया जाए। इस रिडेव्हलेपमेंट योजना में निर्माण कार्य की कुल लागत राशि 86.24-415.82-57.80-45.82 कुल605.68 करोड़ अनुमानित होगी। इस प्रकार उपरोक्त निर्माण कार्यों में शासकीय निधि की आवश्यकता नहीं होगी। मंडल की इस योजना के क्रियान्वयन के फलस्वरूप 53.58 करोड़ लगभग सुपरविजन चार्ज के रूप में प्राप्त होगा। इस रिडेव्हलेपमेंट योजना से राशि 137.35 करोड़ की बचत होगी जिसका उपयोग शासन स्तर पर निर्धारित किया जा सकेगा।
सिंचाई कालोनी में 27 को टेंडर
गृहमंत्री ने शांतिनगर में आवासीय व कमर्शियल प्लान की जानकतारी ली। इस दौरान अधिकारियों ने बताया कि पुनर्विकास के लिए प्रोजेक्ट कंसलटेंट नियुक्त करने के लिए पहली बार 7 जनवरी 2021 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। लेकिन किसी भी एजेंसी व्दारा भाग नहीं लिए जाने के कारण दूसरी बार 5 फरवरी 2021 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया। 27 फरवरी को बीड ओपन कर न्यूनतम दरदाता का चयन किया जाएगा। पुनर्विकास योजना के 37.02 एकड़ भूमि पर निर्मित कुल 314 पुराने जर्जर भवनों में से बीसीडी प्रकार के 16 भवन निर्मित है। नवा रायपुर में भवन निर्माण के बाद इन भवनों को रिक्त कराया जाएगा।
एक हफ्ते में ही सारे विभागों की एनओसी
इस प्रोजेक्ट के लिए हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों की हड़बड़ी और तत्परता को इससे भी समझा जा सकता है कि योजना के लिए सरकार के सभी विभागों का एनओसी हफ्ते-पंद्रह दिनों के भीतर मिल गई। तमाम विभागों ने बिना देरी किए ही बिना योजना पर जानकारी लिए एनओसी भेज दी। जबकि सामान्य मामलों में एनओसी लेने के लिए लोगों को विभागीय कार्यालयों के चक्कर पे चक्कर लगाने पड़ते हैं।
बगैर टेंडर जीर्ण-शीर्ण निर्माण को हटाने 11 लाख का प्राक्लन
योजना में अनियमितता की शुरूआत पहले हो चुकी है। प्रोजेक्ट के पुराने निर्माणों को तोडऩे की कार्रवाई के लिए हाउसिंग बोर्ड 11 लाख रुपए खर्च भी कर चुका है। पुराने जीर्ण-शीर्ण निर्माणों के तोडफ़ोड़ की कार्यवाही के लिए बिना स्वीकृति के ही रकम खर्च किए गए। तोड़ फोड़ की कार्यवाही के बाद संचालक मंडल की बैठक में 11 लाख की रकम स्वीकृत करने का प्रस्ताव पास किया गया। इतना ही नहीं इस कार्य के लिए बिना एनआईटी और टेंडर के कार्यवाही की गई। जबकि 2010 से ही आनलाइन टेंडर का प्रावधान है। तीन फर्मो को नामित कर तोड़-फोड़ की कार्यवाही की गई और उन्हें भुगतान किया गया। आरटीआई में हाउसिंग बोर्ड ने जानकारी निरंक बताई थी लेकिन इससे पहले ही प्रथम चरण में जीर्ण-शीर्ण निर्माणों को तोडऩे का प्राक्लन तैयार कर 11 खर्च करने का प्रावधान किया जा चुका था।
हाउसिंग बोर्ड को 60 फीसदी की रियायत क्यों?
24.36 एकड़ की योजना, 4.60 को छोड़कर रिडेव्हलपमेंट योजनओं को लागू किया जा रहा बाक ी हिसाब कौन लेगा और कौन देगा, कार्यवाही में कहीं भी दर्शाया नहीं गया. 10 लाख 56 हजार वर्ग फूट जमीन लेकर मात्र एक लाख 40 हजार वर्ग फूट की रकम सरकारी खजाने में जमा कराने की बात जिसमें भी हाउसिंग बोर्ड को 60 प्रतिशत की रियायत दी जा रही। जब इतनी प्लानिंग और समय व पैसा बर्बाद कर मात्र 135 करोड़ की आय बताना दर्शाता है कि अधिकारियों में जरा सा भी डर और भय नहीं है। जबकि उपरोक्त सिंचाई योजना की जमीन को सरकारी दर को बेस बनाकर बेेची जाती तो कम से कम 3,500 वर्ग फुट के दर से भी 3.67,50,00000 (तीन सौ सड़सठ करोड़ पचास लाख) रुपए की आय हो सकती है। शासन को करोड़ों रुपये की आय होती है और करोड़ों रुपये का लक्ष्य प्राप्त करते हैं।