मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जब हम छत्तीसगढिया आकांक्षाओ की बात करते है तो उसमे जाति, धर्म, समाज, वर्ग जैसी चीजों से ऊपर उठकर ऐसे विकास की बात करते है जिसमे छत्तीसगढ़िया भाई बहनों के श्रम और उपज के सम्मान का भाव हो। सीमेंट कांक्रीट की चमक हमारे लिए कोई मायने नही रखती । हमारे लिए तो छत्तीसगढ़िया भाई बहनों की आखों की चमक और चेहरों की मुस्कान महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आकाशवाणी से प्रत्येक माह प्रसारित होने वाली लोकवाणी की 19वी कड़ी में श्रोताओं से बात चीत करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री बघेल की विकास का नया दौर विषय पर
आयोजित मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी को मुंगेली जिले के नागरिकों ने भी उत्साह पूर्वक सुना। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपने मासिक रेडियो वार्ता में कहा है कि छत्तीसगढ़ के विकास के लिए पुरखों से लेकर नई पीढ़ी तक सबका भरपूर उत्साह है। यह खुशी की बात है कि इसे पूरा करने और उनके सपनों में रंग भरने का अवसर हमें मिला है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी बात वहां से शुरू करना चाहता हूं, जहां से हमारे पुरखों डॉ. खूबचंद बघेल, पंडित सुन्दर लाल शर्मा, बैरिस्टर छेदीलाल, मिनीमाता, चंदूलाल चंद्राकर, पवन दीवान, डॉ. टुमन लाल, बिसाहू दास महंत, डॉ. राधा बाई, बी.आर. यादव, ठाकुर प्यारे लाल सिंह जैसे अनेक हमारे नेताओं ने, समाज सुधारकों ने, राजनेताओं ने, साहित्यकारों और कलाकारों ने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का सपना देखा था, इसके लिए संघर्ष किया था। वास्तव में यह भारत के नक्शे में सिर्फ एक अलग राज्य के रूप में एक भौगोलिक क्षेत्र की मांग नहीं थी, बल्कि इसके पीछे सदियों की पीड़ा थी। ये छत्तीसगढ़िया सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने की मांग थी। राज्य में हमारी सरकार द्वारा इसे पूरा करने का कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि
नरवा-गरवा-घुरवा-बारी को छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास से, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और अस्मिता से जोड़ना हो, तो निश्चित तौर पर यह हमारी प्राथमिकता है। हम छत्तीसगढ़ के बुनियादी विकास की बात करते हैं और उसी दिशा में सारे प्रयास किए गए हैं, जिसके कारण आर्थिक मंदी और कोरोना जैसे महासंकट के दौर में भी, छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था अपनी पटरी पर बनी रही। जब देश और दुनिया के बाजारों में सन्नाटा था, तब छत्तीसगढ़ में ऑटो-मोबाइल से लेकर सराफा बाजार तक में उत्साह था। हमारे कल-कारखाने भी चलते रहे और गौठान भी। हमारा रास्ता थोड़ा लंबा जरूर है, लेकिन यह स्थायी विकास का रास्ता है, जिसे समय के थपेड़े बाधित नहीं कर सकते। हमारे फैसले छत्तीसगढ़ को न सिर्फ तात्कालिक राहत देते हैं बल्कि दूरगामी महत्व के साथ, चौतरफा विकास के रास्ते खोलते हैं।
उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना 11 लाख मरीजों तक पहुंचती है तो मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना और दाई-दीदी मोबाइल क्लीनिक जैसी पहल का लाभ 5 लाख लोगों को मिलता है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारा लक्ष्य प्रदेश के ग्रामीण अंचल, वन अंचल, बसाहटों, कस्बों और शहरों में रहने वाले लोगों का जीवन आसान बनाना है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आगामी दो वर्षों में हम 16 हजार करोड़ की लागत से हजारों सड़कें और पुल-पुलिया बना रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि सड़कों का नेटवर्क पूरा हो। ऐसा न हो कि सड़क तो हैं, लेकिन एप्रोच नहीं, पुल-पुलिया नहीं। इसलिए हमारी परियोजनाओं में समग्रता का भाव है। हमने विभिन्न योजनाओं की सड़कों को तत्परता से बनाते हुए अनेक कीर्तिमान भी बनाए हैं।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि ढाई साल पहले सरकार में आते ही, हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिस तरह के सुधार किए और व्यवस्थाओं को चौक-चौबंद किया, उसका बहुत लाभ कोरोना से निपटने में भी मिला है। वर्ष 2018 के अंत में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ एक हजार 378 डॉक्टर काम कर रहे थे, हमने उसे बढ़ाकर 3 हजार 358 कर दिया। इसी प्रकार मेडिकल स्टाफ की संख्या भी 18 हजार से बढ़ाकर लगभग 22 हजार कर दी गई है। कोरोना से लड़ने के लिए विशेष सुविधाओं की जरूरत पड़ी तो हमने वेंटिलेटर, आईसीयू बेड्स, एचडीयू बेड्स, ऑक्सीजनयुक्त बेड, ऑक्सीजन कान्सेंटेªटर, हर तरह के ऑक्सीजन सिलेंडर, पीएसए ऑक्सीजन प्लांट, लिक्विड ऑक्सीजन टैंक, मल्टीमॉनिटर्स जैसे आवश्यक उपकरणों को भी कई गुना बढ़ाया गया है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारी मंशा बिजली के उपयोग से हमारे प्रदेश की जनता, गरीबों, किसानों का आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़े, इससे उनके परिवार को संबल मिले और वे विकास के हर साधन और हर रास्ते का उपयोग कर सकंे। छत्तीसगढ़ के कोयले से अगर बिजली बनती है तो उसके लाभ में सीधे हिस्सेदारी आम जनता की होनी चाहिए। यही वजह है कि हमने घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल हाफ योजना लागू की है। इस योजना के तहत प्रदेश के 39 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को विगत 27 महीने में 1 हजार 822 करोड़ रू. का लाभ दे चुके हैं। इस योजना के तहत प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को बिना जाति-धर्म या आय के बंधन के प्रतिमाह 400 यूनिट बिजली निःशुल्क दी जा रही है। इसके अलावा 5 हार्स पावर तक के सिंचाई पंप का उपयोग करने वाले लगभग 6 लाख किसानों को भी निःशुल्क बिजली दी जा रही है। बीपीएल श्रेणी के 18 लाख परिवारों को 30 यूनिट बिजली प्रतिमाह निःशुल्क दी जा रही है। इसी तरह बिजली की वितरण व्यवस्था में सुधार के लिए 1281 करोड़ रूपए के लागत के कार्य किए जा चुके हैं तथा 211 करोड़ रू. के कार्य किए जा रहे हैं। राज्य में 1400 करोड़ रूपए की अधिक लागत से 33 केवी उपकेन्द्रों की स्थापना, ट्रांसफार्मर एवं लाइन विस्तार जैसे अनेक कार्य किए गए हैं। इस तरह से हमने बिजली को जनता की ताकत बनाने में सरकार की ताकत लगाई है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि प्रदेश के औद्योगिक विकास का लाभ प्रदेश की जनता को दिलाने के लिए नई औद्योगिक नीति बनाई गई है, जिसके कारण प्रदेश में 47 हजार करोड़ रू. का पूंजी निवेश होगा और 67 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। हमने हर विकासखंड में फूडपार्क स्थापित करने की दिशा में कार्यवाही शुरू की है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि 17 दिसम्बर 2018 के पहले 18 हजार करोड़ रू. से अधिक लागत की 543 सिंचाई परियोजनाएं अधूरी छोड़ दी गई थीं। हमने मात्र दो साल में इनमें से 138 परियोजनाएं पूर्ण कर दी हैं तथा 405 का काम प्रगति पर है। इतना ही नहीं 17 दिसम्बर 2018 के बाद हमने 429 नई परियोजनाएं स्वीकृत की हैं। जिनकी लागत 1 हजार 657 करोड़ रू. है। जहां तक पेयजल का सवाल है तो हमने 'जल-जीवन मिशन' के माध्यम से एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है, जिसके तहत वर्ष 2023 तक प्रदेश के सभी 39 लाख ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध जल पहुंचाया जाएगा। हमारा मानना है कि जब हर घर में नल के माध्यम से शुद्ध पानी पहुंचने लगेगा तो उससे सबसे अधिक राहत हमारी माताओं, बहनों को मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमने सरकार में आते ही सबसे पहले शिक्षकों को सम्मान दिलाने का अभियान शुरू किया। क्योंकि जिस समाज में शिक्षक-शिक्षिकाओं का सम्मान होता है। उसी समाज में नए ज्ञान के अंकुर फूटते हैं, सबसे पहले तो अपना वादा निभाया और 26 हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया और अभी तक प्रदेश में 2 हजार 800 व्याख्याताओं की भर्ती का काम पूरा हो चुका है। प्रदेश में स्कूल से ही शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना शुरू की गई है, जिसके तहत 171 शालाओं में बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है। कोरोना से जिन बच्चों के पालकों का निधन हुआ है, उन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए हमने 'महतारी दुलार योजना' शुरू की है।