विशेष लेख : भखारा को तहसील का दर्जा मिलने से राजस्व प्रकरणों का स्थानीय स्तर पर हो रहा निराकरण

Update: 2020-12-05 10:24 GMT

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गत दिनों कुरूद विकासखण्ड की उप तहसील को पूर्ण नवीन तहसील का दर्जा प्रदान कर उसका वर्चुअल शुभारम्भ 11 नवंबर 2020 को किया। राज्य सरकार द्वारा स्थानीय लोगों की परेशानियों को देखते हुए सत्ता का विकेन्द्रीकरण किया गया, जिसके तहत भखारा उपतहसील को तहसील के तौर पर उन्नयित किया गया। इससे भखारा क्षेत्र के ग्रामीणों को अपने राजस्व प्रकरणों व कार्यों को लेकर कुरूद तक की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। भखारा को तहसील बनाए जाने क्षेत्र की 52 ग्राम पंचायतों व 73 ग्रामों में स्थित 28 हल्का के ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर सुविधाएं उपलब्ध होंगी। जाति प्रमाण-पत्र, आय, निवास, जाति सहित विभिन्न दस्तावेजों के लिए ग्रामीणों को 25 से 35 किलोमीटर दूर तहसील मुख्यालय कुरूद जाना नहीं पड़ेगा।

तहसीलदार भखारा ने बताया कि भखारा को 14 नवंबर 1995 में उपतहसील का दर्जा दिया गया था, उस समय 51 ग्राम, 20 पटवारी हल्का, दो राजस्व निरीक्षक मण्डल हुआ करते थे। अब इसे पूर्ण तहसील का दर्जा प्राप्त होने के उपरांत नवस्थापित तहसील के ग्रामों की संख्या 73 तथा पटवारी हल्का की संख्या 28 तथा राजस्व निरीक्षक मण्डल की संख्या छह हो गई है। इसी तरह उपतहसील भखारा अंतर्गत क्रमशः 58 कोटवार तथा 49 पटेल हुआ करते थे, जबकि तहसील बनने के उपरांत अब कोटवारों की संख्या बढ़कर 81 और पटेलों की संख्या 71 हो गई है। उन्होंने बताया कि उपतहसील भखारा में जनसंख्या 81 हजार 151 थी जो अब बढ़कर एक लाख 09 हजार 283 हो गई है। इसके अलावा राजस्व क्षेत्रफल 50 हजार 556 हेक्टेयर था, जो अब 28 हजार 483 हेक्टेयर हो गया है। इसी तरह उपतहसील भखारा में खातेदारों की संख्या 22 हजार 692 थी, जिसकी संख्या अब बढ़कर 30 हजार 713 हो गई है। इस प्रकार भखारा का तहसील के तौर पर अस्तिव में आने से क्षेत्र की जनता के समय, श्रम एवं धन की बचत हुई है, वहीं छोटे-छोटे शासकीय कार्यों के निष्पादन के लिए लम्बा फासला तय करने से निजात भी मिली।

  • ताराशंकर सिन्हा


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