रायपुर। जनता से रिश्ता मिड-डे अखबार की ओर से सभी पाठकों व प्रदेशवासियों को ईद-उल-फितर पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं। इस अवसर पर प्रबंध संपादक पप्पू फरिश्ता, संपादक सनत चतुर्वेदी, सिटी चीफ अतुल्य चौबे, राजनितिक संपादक जाकिर घुडसेना, वरिष्ट पत्रकार कैलाश यादव, योगेश साहू, राम कुमार परमार, स्नेहलता पटेल, जानीराम रत्नकार, शैलेश सिंह, जनरल मैनेजर रौनक डे, वेब ऑपरेटर शैलेन्द्र सिंह, नीलमणि पाल, शांतनु रॉय, रानी साहू, भर्ती साहू, गुलाबी जगत, सुभि गुप्ता, रेणुका साहू, नेहा दानी, तुलसी राव, भारती राव, अभिषेक दास, संदीप दास, महिमा मार्को, आकांक्षा चौबे, मुस्कान लोहानी, कुंती ध्रुवे, मुकेश्वरी ध्रुवे, एकता साहू मौजूद थे. देखते रहिए हमारे LIVE न्यूज़ वेबपोर्टल jantaserishta.com और मध्य भारत का इकलौता मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता ताजा तरीन खबरों के साथ सबसे सर्वप्रथम और सटीक।
आज मनाई जा रही है ईद-उल-फितर, जानिए ईद का महत्व और इतिहास
रमज़ान का पाक महीना चल रहा है। 29वें दिन यानी रविवार के दिन चांद नहीं दिखने के कारण ईद का पर्व आज नहीं मनाया जा रहा है। इस हिसाब से आज पाक माह का 30 वां रोजा है। इसके साथ ही 3 मई, मंगलवार को पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाएगी। ईद का पर्व मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए काफी बड़ा त्योहार होता है। रमज़ान के पाक महीने में रोजा रखने के बाद ईद-उल-फितर भाईचारे और अमन का पैगाम लेकर आती है। सऊदी अरब में रविवार को चांद दिखने के कारण आज ईद मनाई जा रही है। इसलिए ईद किस दिन मनाई जाएगी ये पूरी तरह से चांद के ऊपर निर्भर है। जानिए ईद से जुड़ी कुछ खास बातें।
ईद-उल-फितर का महत्व
मुस्लिम समुदाय के लिए ईद का पर्व काफी खास होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, रमज़ान नौवां महीना होता है जिसमें रोजा रखे जाते हैं। वहीं दसवें महीने में शव्वाल होता है। शव्वाल का अर्थ है उपवास तोड़ने का पर्व। इसी कारण इस साल शव्वाल माह के शुरू होने के साथ ही ईद का पर्व मनाया जाएगा।
इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह के समय नमाज अदा करते हैं इसके बाद खजूर खाते हैं और एक-दूसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। इसके साथ ही आज मीठी सेवइयां के साथ विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं। मान्यता है कि आज के दिन जकात यानी दान देना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान देने से कई गुना अधिक सवाब मिलता है।
कैसे और कब हुई ईद उल फितर की शुरुआत
मान्यता है कि ईद की शुरुआत तब हुई जब पैगंबर मोहम्मद मक्का से मदीना आए थे। मोहम्मद साहब ने कुरान में दो पवित्र दिनों में ईद-उल-फितर निर्धारित किया। इसी कारण साल में दो बार ईद का पर्व मनाया जाता है। जिसमें पहली ईद-उल-फितर (मीठी ईद) के नाम से जाना जाता है और दूसरी को ईद-उल-अज़हा (बकरीद) के नाम से जाना जाता है। इस बार बकरीद का पर्व 9 जुलाई को पड़ सकता है।
माना जाता है कि इस दिन पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। इसी जीत की शुखी में हर साल ईद के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता 624 ई में पहली बार ईद उल फितर मनाया गया।