अपीलीय अधिकारी का लालफीताशाही बरकरार
रायपुर (जसेरि)। छ.ग, शासन लोक निर्माण विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की लंबी फेहरिस्त है। जो सभी शुरू से एक ही स्थान पर पदस्थापना दिनांक से सेवानिवृत्त होने के दिनांक तक जमे है। शादी चाहे जिसकी भी हो, हम तो जरूर नाचेगे च्च् यह कथन प्राय: दबंगई एवं भ्रष्टाचारियों के बीच बोली जाती है। नवगठित छ,ग, राज्य में मु_ी भर भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा राज्य अबंटन के समय म.प्र. राज्य को नकारते हुए, लगातार 22 वर्षों से छ.ग. राज्य को चारागाह बना लिये है। और तो और लोक निर्माण विभाग में पदोन्नति के चाह में ये सभी अव्वल दर्जे का भ्रष्टचारी बन गये है। नतीजन ऊंचे पदो पर पदोन्नत हुये अधिकारियों के वैधानिक डिग्री, डिप्लोमा एवं जाति प्रमाण पत्र वैद्य न होकर, एवं गैर तकनिकि पाठ्यक्रम सर्वे प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र के सहारे अपने सेवा काल में असीमित बेनामी संपत्ती के दम पर सत्ता पक्षों का बंदोबस्त कर्मी बनकर लोक निर्माण विभाग को अंदर से कमजोर बना दिये है।
पूर्ववर्ती केन्द्र सरकार द्वारा सूचना का अधिकार 2005 अधिनियम को पूरे देश में लागू होने से केंद्रीय एवं राज्य सरकारो के भ्रष्टअधिकारियों कीज्ज् भ्रष्ट मानसिकता का रवैया उजागर हुआ है। इस संदर्भ से जुड़ी घटना के अनुसार बिलासपुर निवासी छ.ग. मंथन के संपादक कोमल कुमार द्वारा 11 नवंबर 2021 को सूचना का अधिकार 2005 अधिनियम के तहत जन सूचना अधिकारी (कार्यपालन अभियंता लो.नि.वि. संभाग क्रमांक 3 नवा रायपुर ) के माध्यम से लो.नि.वि, अभनपुर के एस.डी.ओ. श्री आर.एस. चौरसिया का शैक्षणिक योग्यता एवं शासन से अनुमति लेकर अर्जित की गई जमीन, मकान एवं वाहन की सत्यापित प्रतिलिपि के साथ जानकारी मांगा गया था।
जिसके तहत जनसूचना अधिकारी द्वारा एक माह तक कोई भी स्पष्ट जानकारी न देकर इस प्रकरण को अपने नीजि स्वार्थ के चलते दबाने का प्रयास प्रारंभ कर दिये थे। तदोपरांत प्रथम अपीलीय अधिकारी (अधीक्षण अभियंता लो.नि.वि. मण्डल क्रमांक 01 रायपुर ) को शिकायत के उपरांत, जनसूचना अधिकारी द्वारा एस.डी.ओ. चौरसिया द्वारा में व्यक्तिगत जानकारी होने के कारण सार्वजनिक न करने हेतु लिखा गया है। इसकी जानकारी आवेदक कोमल कुमार को पत्र द्वारा दिनांक 05/01/2022 को दिया गया है। इस जवाब से असंतुष्ट होकर आवेदक श्री कोमल कुमार द्वारा प्रथम अपीलीय अधिकारी को शिकायत किया गया था। जिसके परिणामस्वरूप अपीलीय अधिकारी द्वारा 14 जनवरी 2022 एवं 05 फरवरी 2022 की सुनवाई को अपरिहार्य कारणो से स्थागित की गई थी। अपीलीय अधिकारी द्वारा पुन: 14 फरवरी 2022 को पुन: सुनवाई हुई थी।
इस प्रकरण के सुनवाई के दौरान अपीलीय अधिकारी का रवैया मनो एक महान विद्वान पुरूष एवं न्यायप्रिय प्रशासक की तरह भौंडापन ज्यादा रहता है। इसके अतिरिक्त छद्म पारदर्शिता के साथ आवेदक को भरोसा दिलाया जाता है। कि - आपके आवेदन पर न्यायोचित कार्यवाही होगी किंतु इनके द्वारा लिये गये निर्णय सिर्फ पक्षपाती एवं छलावा के शिवाय और कुछ नही रहता है। एवं रटन तोते की तरह व्यक्तिगत जानकारी होने के कारण एस.डी.ओ. चौरसिया का शैक्षणिक योग्यता एवं शासन से अनुमति लेकर अर्जित किये गये जमीन, मकान एवं वाहन की सत्यापित प्रतिलिपि के साथ जानकारी नही दिया जा सकता है। एवं इसके अलावा आवेदक को राज्य सूचना आयोग के कार्यालय का पता देकर निराकरण किया जाता है। इस तरह के कृत्रिम परिस्थिती में लो.नि.वि. के अपीलीय अधिकारी का अफसरशाही का बोल बाला कायम है।
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