पुलिस को छत्तीसगढ़ में नहीं दिखते रोहिंग्या, नहीं हुई अब तक कोई आतंकी घटना

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक शहरों में बड़ी-बड़ी श्रमिक बस्तियां हैं। हजारों की संख्या में किरायेदार और अनजान लोग हैं।

Update: 2021-03-15 17:53 GMT

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक शहरों में बड़ी-बड़ी श्रमिक बस्तियां हैं। हजारों की संख्या में किरायेदार और अनजान लोग हैं। कई आपराधिक वारदातों में इनकी भूमिका सामने आ चुकी है, जो घटनाओं को अंजाम देने के बाद गायब हो गए और पता नहीं चला। घने जंगलों और शांत स्वभाव वाले स्थानीय लोगों के बीच संदिग्ध चरित्र वाले बांग्लाभाषी रोहिंग्या भी छुपे हों तो आश्चर्य नहीं, लेकिन ताज्जुब की बात है कि पुलिस को कोई रोहिंग्या दिखता ही नहीं।

छत्तीसगढ़ के लिए राहत की बात यह है कि यहां अब तक कोई आतंकी घटना नहीं हुई है, लेकिन इंडियन मुजाहिदीन और स्टुडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) से लेकर खालिस्तानी आतंकी जरूर पकड़े जा चुके हैं। खुफिया विभाग के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह सच है कि प्रदेश में आतंकी पकड़े गए हैं, जिनमें ज्यादातर यहां छिपने आए थे। इससे जाहिर है कि राज्य में आतंकियों के हमदर्द हैं, जो उनकी मदद करते हैं। ऐसे में यहां रोहिंग्याओं के भी छिपे होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। बंगाल से महाराष्ट्र के सड़क और रेल मार्ग में स्थित छत्तीसगढ़ के शहर अपराधियों के छुपने का स्थान बनते रहे हैं।

अब सक्रिय हुई पुलिस
जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या को लेकर चल रही कार्रवाई के बीच राज्य पुलिस भी अलर्ट हो गई है। खुफिया शाखा ने जिलों में सक्रिय अपने नेटवर्क के साथ ही थानों को भी रोहिंग्या के संबंध में जानकारी जुटाने के निर्देश दिए हैं।
छिपे थे बोधगया ब्लास्ट के आरोपित
बिहार के पटना और बोधगया में 2013 में हुए हमले में शामिल आतंकियों ने रायपुर में पनाह ली थी। इस मामले में रायपुर से करीब आधा दर्जन लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, लेकिन पनाह देने वाला मुख्य आरोपित अजहरूद्दीन उर्फ अजहर उर्फ केमिकल अली फरार हो गया था। उसे 2019 में हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया। वह रायपुर शहर के मौदहापारा का ही रहने वाला है। आतंकी संगठनों के लिए बतौर सहयोगी प्रचार-प्रसार और मीटिंग आयोजित करने जैसे काम करता था।


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