PM आवास योजना: कच्चे मकान की समस्या से पूरन दास को मिली निजात

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Update: 2024-09-27 15:33 GMT
Kondagaon. कोंडागांव। जिले के ग्राम दहीकोंगा के रहने वाले पूरन दास मानिकपुरी का जीवन गरीबी के संघर्ष से शुरू हुआ है, लेकिन आज सरकार की जनकल्याणकारी योजना से उनकी स्थिति में सुधार आया है। कच्चे मकान में अपने दो बेटों के साथ रहने वाले पूरन दास के लिए जगह की कमी के कारण जीवनयापन में संघर्ष करना पड़ रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जब से उनके परिवार को पक्का मकान मिला है तबसे जीवनयापन आसान हुई है। पूरन दास के पास ज़मीन के नाम पर सिर्फ 5 डिसमिल का छोटा सा टुकड़ा है, जिसके एक तरफ़ आवास योजना के तहत बना पक्का घर है और खाली जगह को बाड़ी के लिए इस्तेमाल करते हैं, जहां बरसात में दलहनी फसल लेते हैं। पूरन दास के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा अपनी दादी पतीबाई और अपनी पत्नी एक बेटे के साथ रहता है, जबकि छोटा बेटा अपनी पत्नी और पूरन दास और माँ के साथ रहता है। इन दोनों परिवारों की आर्थिक स्थिति हमेशा तंग रही है क्योंकि खेती के लिए उनके पास ज़मीन नहीं है। ऐसे में जीविकोपार्जन के लिए मजदूरी ही एकमात्र सहारा है।

पूरन दास के बेटों के शादी से पहले यह परिवार एक साथ एक कच्चे और छोटे से घर में रहते थे पर जब दोनों बेटों की शादी हो गई तो उन्हें अलग होना पड़ा क्योंकि रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं था। अब इस परिवार को एक नया संघर्ष से जूझना पड़ा वह था एक घर। ऐसे परिस्थिति में एक दिन उनके लिए राहत की किरण तब आई जब पूरन दास और उनकी माता पतीबाई का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में शामिल हुआ। यह खबर उनके लिए मानो धूप में छांव मिलने जैसा था। दोनों परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान मिला और उनके जीवन में एक नया अध्याय शुरू हुआ। पूरन दास और उनका परिवार अब एक पक्के घर में रहते हैं। पूरन दास की माता पतीबाई, जो अपने बड़े नाती के साथ रहती हैं, उन्हें भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है। अब उनका नाती अपने घर को चलाने के लिए नए उत्साह के साथ मेहनत करते वह आसपास के बाजारों से वनोपज, धान आदि की खरीदारी करते हैं और इसी से उनका घर चलता है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले घर ने न सिर्फ उन्हें एक सुरक्षित एवं स्थायी स्थान दिया, बल्कि आत्मसम्मान की भावना भी लौटाई है। स्वयं का एक पक्के घर का होना उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा था। यह घर उनके संघर्षों का अंत नहीं, बल्कि नई आशाओं का आरंभ है। पूरन दास की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन लाखों गरीब परिवारों की कहानी है, जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से एक नई ज़िंदगी मिली है। यह योजना उनके लिए सिर्फ एक घर नहीं बल्कि जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का साधन बनी है।
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