राजधानी को ड्रगमाफियाओं ने बना दिया ड्रगधानी, 15 लाख नकद के साथ पाउडर रैकेट का खुलासा
'जनता से रिश्ता' ने सबसे पहले ड्रग के धंधे का किया था खुलासा
नशे के कारोबार में सिपाही से लेकर हाईप्रोफाइल लोग शामिल
कोड वर्ड में कारोबार, फ्लाइट से आना जाना करते हैं पैडलर्स
कैलाश यादव/ शांतनु राय
रायपुर। जनता से रिश्ता विगत कई महीनों से राजधानी में चल रहे सट्टा-जुआ, नशीले पदार्थ के स्टाकिस्ट के रूप में काम रहे लोगों के बारे में खबरों के माध्यम से जिला और पुलिस प्रशासन के संज्ञान में लाते रहा है।जिसका असर भी साफ दिखाई दे रहा है पुलिस लगातार कार्रवाई कर बड़े-बड़े खुलासे कर रही है। यह संपूर्ण जिला और पुलिस प्रशासन की अब तक सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल है। ताजा मामले में पुलिस ने जो खुलासा किया वह वाकई चौकाने वाला है। सफेद पाउडर यानी ड्रग के धंधे में पुलिस के सिपाही से लेकर रसूखदार वन धनाढ्य शामिल है जो रातोरात करोड़ बनने के खुदगर्जी भरे सपने को पूरा करने के लिए लाखों युवाओं की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है।
पुलिस की लगातार कार्रवाई कर राजधानी में पड़े अवैध गतिविधियों की काले साये को मिटा देना चाहती है। पुलिस ने राजधानी में ड्रग्स के एक बड़े रैकेट का खुलासा किया है। जिसमें 15 लाख के ड्रग्स के साथ पुलिस ने 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये सभी ड्रग्स पैडलर हैं, जो ना सिर्फ नशे के समान की सप्लाई किया करते थे, बल्कि नये ग्राहक की तलाश भी किया करते थे।
नशे के सौदागरों का रैकेट ध्वस्त : एसएसपी अजय यादव ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर नशे के सौदागरों के रैकेट का खुलासा किया। कमाल की बात ये है कि इस ड्रग के केस का पहला मामला 30 सितंबर को रजिस्टर्ड किया गया और 9 दिन के भीतर 15 लाख के ड््रग के साथ 7 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।
चारों ने खुलासे में कई चौकाने वाले नाम बताए : 30 सितंबर को बैरनबाजार पॉलिटेक्निक के सामने दो लोगों को एमडीएमए के साथ गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने जब इन दोनों को पकड़कर मामले की जांच आगे बढ़ायी तो एक के बाद एक तार इस केस से जुड़ते चले गये। इस गिरफ्तारी के दो दिन बाद ही रायपुर के ही दो आरोपी पंचशील नगर के श्रेयांश झाबक और कोटा के विकास बंछोर को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से भी कोकीन बरामद किया गया था। दोनों के पास से मिली 17 ग्राम कोकीन की कीमत 1 लाख 70 हजार रुपये की थी। इन चारों ने खुलासे में कई ऐसे चौकाने वाले नामों को बताया, जिसने पुलिस को भी चौका दिया। जिसके बाद एसएसपी के निर्देश पर सायबर सेल और कोतवाली थाना की एक विशेष टीम गठित की गयी।
कोड वर्ड में कारोबार : ड्रग्स के कारोबार में सेटिंग और सस्पेंस दोनों का खेल चल रहा था। खास कोड वर्ड का इस्तेमाल ये लोग करते थे। ड्रग को चाकलेट, केक जैसे नामों से संबोधित किया जाता था। साथ ही ड्रग्स पैडलर का भी नाम कोड वर्ड के तौर पर ही लिया जाता था, ताकि मामला खुलने पर ये पुलिस की पकड़ से दूर रहे।
विवाद बनी थी मिन्हाज-अभिषेक के ड्रग्स कंपनी : अब तक की तफ्तीश में मिन्हाज का नाम सामने आया है, जो छत्तीसगढ़ में ड्रग्स का पहला कारोबारी था। बिलासपुर के मिन्हाज ने अभिषेक उर्फ डेविड को अपनी टीम शामिल किया, लेकिन नशा कंपनी की ये दोस्ती ज्यादा नहीं चली, पैसे को लेकर दोनों में विवाद हो गया, जिसके बाद दोनों ने अपना अलग-अलग कारोबार शुरू किया। अभिषेक ने इस दौरान अपनी टीम को बड़ा करना शुरू किया और इसमें एलिन सोरेन को शामिल कर लिया। ऐलिन स्टूडेंट है और गोवा में होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा था। ऐलिन गोवा में गोवा में ड्रग्स का कारोबार करने वाले नाइजीरियन के संपर्क में आया और उसी कारोबार में शामिल हो गया। एलिन सोरेन ने गोवा में अभिषेक शुक्ला उर्फ डेविड का संपर्क नाइजीरियन (नीग्रो) से कराया तब से अभिषेक अपने पेडलर रोहित आहूजा और राकेश अरोरा के साथ कई बार जाकर ड्रग्स गोवा से लेकर आये और बिक्री करने लगे। लक्ष्मण गाईन जो जी.आर.पी. में आरक्षक के पद पर बिलासपुर में कार्यरत है ने अभिषेक को ड्रग्स के लिये पैसा फायनेंस प्रारंभ कर दिया।
क्रिकेट खेलने के दौरान संपर्क में आये अभिषेक और लक्ष्मण : अभिषेक और लक्ष्मण बिलासपुर में क्रिकेट खेलने के दौरान संपर्क में आये थे तब से कई बार लक्ष्मण की वर्ना कार से भी ड्रग्स लेने गोवा गये है। 27 सितंबर को भी लक्ष्मण और अभिषेक रायपुर में ड्रग्स की डिलीवरी करने आये थे जो पुलिस को भनक लगने पर भाग गये। रोहित और राकेश अरोरा को रायपुर व बिलासपुर में एक बार का ड्रग्स सप्लाई करने पर 1,000/- रूपये अभिषेक द्वारा दिया जाता था। चूंकि राकेश और रोहित गरीब तबके से है इसलिये अभिषेक ने उनको पैसा उधार लेने पर 8 प्रतिशत ब्याज लेकर दबा रखा था और राकेश की एक्टिवा वाहन को भी रख लिया था।
अभिषेक-लक्ष्मण के आने की भनक सायबर सेल को लगी : 27 सितंबर को अभिषेक और लक्ष्मण गाईन के रायपुर आने की भनक सायबर सेल को लग जाने के पश्चात् और विकास बंछोर और श्रेयांस झाबक की गिरफ्तारी पश्चात् पकड़े जाने के डर से अपना मोबाईल फोन रास्ते में फेंक दिये और नया मोबाईल नंबर लेकर अपने रिश्तेदारी में इलाहाबाद जाकर छिप गया था, जिसे तत्परता पूर्वक सायबर सेल की टीम द्वारा इलाहाबाद से हिरासत में लेकर रायपुर लाकर पूछताछ किया गया तो उसने संपूर्ण ड्रग्स रैकेट का खुलासा किया और उसके निशानदेही पर आरोपी अभिषेक उर्फ डेविड द्वारा तिफरा बिलासपुर स्थित घर से 93 ग्राम एम.डी.एम.ए. कीमती लगभग 15,00,000/-रूपये जप्त किया गया। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि उसके साथ इस काले कारोबार में मिन्हाज मेमन उर्फ हनी एलिन सोरेन, रोहित आहूजा, राकेश अरोरा उर्फ सोनू, लक्ष्मण गाईन एवं अब्दुल अजीज उर्फ सद्दाम जुड़ है। जिसके आधार पर आरोपी मोह मिन्हाज उर्फ हनी, एलेन सोरेन, रोहित आहूजा, राकेश अरोरा, अब्दुल अजीम उर्फ सद्दाम एवं लक्ष्मण गाईन को बिलासपुर के अलग – अलग स्थानों से पकड़कर गिरफ्तार किया गया। अभिषेक शुक्ला उर्फ डेविड आरोपी रोहित आहूजा और राकेश उर्फ सोनू अरोरा के माध्यम से राज्य के बिलासपुर एवं रायपुर जिलों में सप्लाई करते थे।
फ्लाइट से जाते थे, कार से आते थे : नशे के सौदागर फ्लाइट से नशेे की खेप लाने जाते थे, और नशे का सामान लेकर प्राइवेट गाड़ी से लौटते थे। आरोपी लक्ष्मण गाईन के कब्जे से घटना में प्रयुक्त हुण्डई वर्ना कार क्रमांक सी जी/04/एच क्यू/1011 को भी जप्त किया गया है। इस तरह से रायपुर पुलिस द्वारा इस ड्रग्स के काले कारोबार से जुड़े पूरे नेटवर्क को तोड़ते हुये सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। रायपुर के 05 अन्य ड्रग्स कारोबारी का नाम सामने आया है जो आरोपी श्रेयांस झाबक एवं विकास बंछोर की गिरफ्तारी के बाद से फरार हो गये है, जिनकी पतासाजी की जा रही है। इसके अलावा कई अन्य ग्राहक जो ड्रग्स क्रय करते थे सभी फरार हो गये है, जिनकी पतासाजी की जा रही है। ऐसी जानकारी प्राप्त हुई कि आरोपी मिन्हाज मेमन अपने साथी सद्दाम के साथ रायपुर के कई क्लबों में भी ड्रग्स की सप्लाई करता था, जिसके संबंध में विस्तृत पूछताछ करते हुये जानकारी एकत्रित की जा रही है। आरोपियों द्वारा ड्रग्स की लत लगाने के लिये ग्राहकों को पहले सस्ते दाम में ड्रग्स दिया जाता है और लत लगने के बाद अधिक दामों में बिक्री किया जाता था। रायपुर पुलिस द्वारा ड्रग्स कारोबारियों के विरूद्ध अब तक की पहली व सबसे बड़ी कार्यवाही की गई। नशा का कारोबार करने वाले कारोबारियों के विरूद्ध रायपुर पुलिस का अभियान लगातार जारी रहेगा।
क्राइम एक्सपर्ट की बनी थी टीम: बैरन बाजार स्थित शासकीय पॉलीटेक्निक के सामने रोड पर 2 व्यक्ति एम.डी.एम.ए.के साथ पकड़ा गया था। जिस पर रायपुर के आईजी एवं एसएसपी अजय यादव ने गंभीरता से लेते हुये अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर लखन पटले, ्रस्क्क क्राइम अभिषेक माहेश्वरी, नगर पुलिस अधीक्षक कोतवाली डीसी पटेल, प्रभारी सायबर सेल रमाकांत साहू एवं थाना प्रभारी कोतवाली आर.के.पात्रे को आरोपियों को रंगे हाथ पकडऩे के निर्देश दिये गये थे। जिस पर वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में एक विशेष टीम का गठन किया गया।
ये कर्ताधर्ता
बिलासपुर निवासी अभिषेक शुक्ला उर्फ डेविड पिता शशिकांत शुक्ला
बिलासपुर निवासी मोहम्मद मिन्हाज उर्फ हनी पिता फजल मेमन
सरकण्डा बिलासपुर निवासी एलेन सोरेन पिता जार्ज सोरेन
जबड़ापारा बिलासपुर निवासी रोहित आहूजा पिता कन्हैया लाल आहूजा
सरकंडा बिलासपुर निवासी राकेश अरोरा उर्फ सोनू पिता अशोक अरोरा
बिलासपुर निवासी अब्दुल अजीम उर्फ सद्दाम पिता अब्दुल वहीद
सिरगिट्टी बिलासपुर निवासी लक्ष्मण गाईन पिता सुधांशु गाईन
रायपुर निवासी आशीष शुक्ला, मूलत: राजस्थान का रहने वाला है