जिंदगी का तो अलग ही फसाना होता है, वक्त पे कोई साथ नहीं और जनाजे में जमाना होता है

Update: 2021-11-07 05:00 GMT

'जनता से रिश्ता' वेब डेस्क

जाकिर घुरसेना-कैलाश यादव

पिछले दिनों पेगासस जासूसी मामला काफी सबाब पर था बीच में कुछ ठंडा पडऩे के बाद सुको के पहल के बाद फिर से मामला गरम हो गया है।विपक्षी पार्टी ने पेगासस जासूसी कांड को भारतीय लोकतंत्र को कुचलने का एक प्रयास बताया है। राहुल गांधी ने इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति नियुक्त किए जाने को बड़ा कदम करार देते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि हम इसकी पूरी सच्चाई निकाल लेंगे। राहुल गांधी ने आगे कहा कि पिछले संसद सत्र के दौरान हमने पेगासस का मुद्दा उठाया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपनी राय दी है और हम जो कह रहे थे उसका समर्थन किया है। राहुल गांधी ने सरकार से तीन सवाल भी पूछे हैं। जिसमें पहला है पेगासस को किसने अधिकृत किया? इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ किया गया था और क्या दूसरे देशों की हमारे लोगों की जानकारी तक पहुंच है? हम इस मुद्दे को फिर से संसद में उठाएंगे। हम कोशिश करेंगे कि संसद में बहस हो। मुझे यकीन है कि बीजेपी इस मामले पर बहस करना पसंद नहीं करेगी। राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस का इस्तेमाल मुख्यमंत्रियों, पूर्व प्रधानमंत्रियों, बीजेपी के मंत्रियों सहित अन्य के खिलाफ किया गया था। राहुल गांधी ने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पेगासस के इस्तेमाल से डेटा प्राप्त कर रहे थे? उन्होंने आगे कहा कि अगर चुनाव आयोग, सीईसी और विपक्षी नेताओं के फोन टैपिंग का डेटा पीएम के पास जा रहा है तो यह एक आपराधिक कृत्य है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अब सुको को तय करना है कि ऐसा करना जायज़ है या नाजायज़।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूरे विश्व को नचाया

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में सात देशों के कलाकारों के साथ प्रदेश के लोक कलाकारों को नचाने में सफलता हासिल की है। जिसकी देश विदेश में धूम मचा हुआ है। राजनीति के माहिर खिलाड़ी भूपेश बघेल ने आदिवासी लोक संस्कृति के माध्यम से राजनीति को नया रंग दिया है। मुख्यमंत्री नृत्यकला में भी पारंगत हो गए है। मंच पर मंत्री लखमा के साथ पूरे विश्व को नचा कर इतिहास रच दिया है। भूपेश बघेल की सोच सास्कृतिक, सामाजिक अधोसंरचना के साथ विकास की योजना को जोड़कर नया इतिहास लिखा जाए, जो सच साबित हुआ। भूपेश सरकार नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी को संरक्षित कर पूरे देश के नबंर वन मुख्यमंत्री की खिताब भी हासिल कर लिया है। अब विश्व को एक मंच पर नचा कर आल्हादित कर दिया है। बघेल ने कहा कि अभी हमने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया था। प्रदेश के गांव-गांव में पंडवानी, नाचा, भरथरी, सुआ नृत्य, ददरिया जैसी कई विधाओं के गायक-नर्तक मौजूद हैं। वहीं छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, गोंडी, हल्बी, भतरी जैसी बोली-भाषाओं में भी लगातार लिखा जा रहा है। इस आयोजन में साहित्य और लोक कलाओं को मंच दिया जाएगा। मुख्यमंत्री इस सफलता से गदगद होकर अब राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के साथ हर साल स्वामी विवेकानंद की जयंती पर युवा महोत्सव का आयोजन करने का संकल्प लिया है।

मुंद्रा बंदरगाह मामले का क्या हुआ लोग भूल गए

पिछले कई दिनों से देश भर में लोगों को दिल बहलाने का एक जरिया आर्यन खान मिल गया था। लोग पेट्रोल डीज़ल के बढ़ते दाम और बढ़ती मंहगाई को भूलकर आर्यन केस का मजे ले रहे थे। जिसने आर्यन खान को पकड़वाया वो अंदर हो गया और आर्यन खान बाहर हो गया ये माजऱा जनता के समझ में नहीं आया या जनता सब कुछ समझ कर आनंद उठा रही थी। कहीं ऐसा तो नहीं कि ये सब किया धरा ऊपर की तरफ से था जैसा की दूसरे दल के लोग बोल रहे हैं। मजे की बात ये है कि आर्यन खान के पास से कोई ड्रग बरामद ही नहीं हुआ था और उसका मेडिकल टेस्ट भी नहीं करवाया गया था। दूसरी बात शाहरूख खान के पास क्या चीज़ की कमी थी जो उसका लड़का ड्रग बेचेगा। एनसीबी ने जिस तत्परता से काम किया है कबीले तारीफ है लेकिन वही तत्परता अगर अडानी र्के मुंद्रा बंदरगाह में पकडे गए 3000 किलो ड्रग के मामले दिखाती तो बात कुछ और होती।रिया चक्रवर्ती मामले में एनसीबी की किरकिरी हो चुकी है। मुंद्रा बंदरगाह मामले का क्या हुआ लोग भूल गए हैं। आर्यन के पास न तो रत्ती भर ड्रग मिला न ही किसी ड्रग पेडलर से संपर्क होने का पता चला। जिस समय क्रूज़ में छापा पड़ा उस समय क्रूज़ में काफी लोग मौजूद थे और पकडे गए सिर्फ दस लोग, उसमे भी तीन लोगो को बाद में छोड़ दिया गया। ड्रग पीने वालो से ज्यादा जिम्मेदार ड्रग बेचने वाले होते हैं लेकिन देश में हजारो किलो ड्रग पहुंच रहा है लेकिन सब आंख कान मूंदे बैठे है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये सब प्रायोजित कार्यक्रम लगता है। क्योकि महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने शुरू में ही कहा था कि उपरोक्त पार्टी का आयोजन करने वाले काशिफ खान को क्यों नहीं पकड़ा क्योकि वह शख्स वानखेड़े का पुराना जान पहचान वाला था और उसी के द्वारा शाहरूख खान से पैसा ऐंठने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित करवाया था। अगर नवाब मलिक के आरोप में सच्चाई है तो इसकी जाँच हरहाल में होनी चाहिए ताकि हकीकत जनता के सामने आ सके। मुंबई क्रूज पार्टी ड्रग केस में शुरू से ही एनसीबी के जोनल अफसर समीर वानखेड़े पर हमलावर रहे नवाब मलिक ने इस बार भारतीय जनता पार्टी पर सीधा अटैक किया है। अब बात कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि जिस क्रूज़ में पार्टी का आयोजन हुआ, जिसने पार्टी का आयोजन किया वो सब कहाँ हैं, जबकि ड्रग केस में उनके ऊपर भी कार्रवाई होनी चाहिए थी। यह भी संदेह को जन्म देता है। समीर वानखेड़े पर ताजा हमला करते हुए नवाब मलिक ने कहा कि एनसीबी अधिकारी ने गिरफ्तारी से सुरक्षा के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया क्योंकि वह डर गए हैं। समीर ने जरूर कुछ गलत किया होगा, तभी वह डर रहे हैं। भाजपा इनके साथ खडी हो गई है, जो जिन्न है, इनकी जान इसी तोते में है। जिन्न घबराने लगा है कि तोता जेल में चला गया तो बहुत सारे राज खुल जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस केस में पूरा सिक्वेंस बदल गया है। पकडऩे वाले बचाव का रास्ता ढूंढ रहे हैं। पकड़ाने वाले जेल के सलाखों के पीछे है। जिनको आरोपी बनाया गया था वो अपने घर को चल दिए हैं। इसलिए उन्होंने कहा था कि पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त।

दलितों के साथ फिर मारपीट

भाजपा का गुजरात मॉडल देश भर में दिख रहा है। दलितों का उत्पीडऩ कम होने का नाम नहीं ले रहा है। आर्यन केस में समीर वानखेड़े के समर्थन में केंद्रीय मंत्री रामदास जी आठवले वानखेड़े के साथ खड़े नजऱ आ रहे थे, और कह रहे थे कि समीर दलित है इसलिए सब उसके खिलाफ हो रहे हैं। अब गुजरात में दलितों को गरबा खेलने पर मारपीट की गई और हाल में ही एक दलित परिवार को सिर्फ इसलिए मारपीट कर लहूलुहान कर दिया गया कि वह मंदिर दर्शन करने चल दिया था, अब आठवले जी कहां चल दिए अब उन्हें दलित नजऱ नहीं आ रहा है। उन पर इतना भयानक हमला किया गया जिससे पूरे परिवार को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।

कांग्रेस को दिवाली तोहफा मिला

कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को लेकर वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी और दूरी बनाए रखने के बाद भी राजस्थान और हिमाचल में जीत का सूर्योदय कांग्रेसियों के लिए सुखद है,कांग्रेसी इसे दिवाली का तोहफा मान रहे है। वहीं भाजपा के लिए अच्छी खबर नहीं है। जनता में खुसुर-फुसर है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीपी नड्डा के गृह राज्य में इस तरह के परिणाम की उम्मीद नहीं थी, उपचुनाव आने वाले लोकसभा और विधानसभा के संकेत है। कांग्रेस ने मध्यप्रदेश की रैगांव सीट पर 31 साल बाद जीत हासिल करने का साथ ही राजस्थान में धारियावद और वल्लभनगर विधानसभा सीट पर जीत हासिल की। लेकिन कांग्रेस ने असली चौंकाने वाला काम हिमाचल प्रदेश में किया, जहां सत्ताधारी भाजपा को पछाड़ते हुए कांग्रेसी उम्मीदवारों ने मंडी लोकसभा सीट और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में जीत हासिल की। राज्य के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता जयराम ठाकुर ने इस हार के लिए महंगाई के कारण जनता की नाराजगी को जिम्मेदार बताया है। अब समझ में आया कि महंगाई फैक्टर ने चुनाव को बुरी तरह प्रभावित कर सत्ताधारी दल को उपचुनाव में एंटी वोटिंग कर आइना दिखा दिया है। जनता जनार्दन जब अपनी जिद में आ जाती है तो राजनीतिक पार्टियों के कंगूरे हिलने लगते है। क्या इसे यहीं माना जाए कि महंगाई डायन खाय जात है से मुक्ति का मार्ग जनता ने चुन लिया है।

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