दुर्ग। उच्च नस्ल के बकरीपालन की दिशा में हितग्राहियों को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम जिला प्रशासन दुर्ग ने उठाया है। गौठानों में ही उच्च नस्ल की बकरियां उपलब्ध कराने कुर्मीगुंडरा में उस्मानाबादी बकरियों का प्रजनन आरंभ किया जाएगा। यह प्रजनन केंद्र कामधेनु विश्वविद्यालय के उपकेंद्र के रूप में काम करेगा। आज इसके लिए 25 बकरियों और 2 बकरों की एक यूनिट की पहली खेप दी गई। सोमवार को कामधेनु विश्वविद्यालय के उस्मानाबादी बकरी सीड सेंटर के समक्ष कुलपति डा. एनपी दक्षिणकर ने यह यूनिट उपसंचालक पशुधन विकास विभाग डा. राजीव देवरस को सौंपी। इस संबंध में जिला प्रशासन की पहल के संबंध में जानकारी देते हुए जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप उच्च नस्ल के पशुपालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा के निर्देश पर यह कार्य आरंभ किया गया है। उस्मानाबादी बकरियां हमारे यहां के वातावरण के लिए अनुकूलित हैं बकरीपालन के क्षेत्र में किसानों के ज्यादा रुचि नहीं लेने का कारण यह था कि यहां उच्च नस्ल की बकरियां उपलब्ध नहीं।
बाहर से मंगवाना होता है और लाने का ही व्यय काफी हो जाता है। अब गौठान से ही पशुपालक यह उच्च नस्ल की बकरियां ले जा सकेंगे। इससे बकरीपालन को लेकर बढ़िया वातावरण जिले में बनेगा। उल्ल्लेखनीय है कि दुर्ग जिले में इससे पूर्व हैचरी यूनिट स्थापित किये गये हैं जिसके माध्यम से मुर्गीपालकों को उच्च नस्ल की मुर्गियां प्रदान की जा रही हैं और ये प्रयोग बेहद सफल रहा है। इसके पश्चात रायपुर तथा जशपुर जिले में भी हैचरी यूनिट स्थापित की गईं और इससे मुर्गीपालन का बढ़िया माहौल बना है। 47 प्रतिशत तक है ट्विन रेट- इस संबंध में जानकारी देते हुए कुलपति डा. दक्षिणकर ने बताया कि उस्मानाबादी प्रजाति की बकरियों की ट्विनिंग रेट अर्थात दो बच्चे देने की क्षमता लगभग 47 प्रतिशत तक होती है। डा. दक्षिणकर ने बताया कि इस क्षेत्र का क्लाइमेट भी इनके अनुकूल हैं। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी होती है। बेहतर तरीके से पालन हो तो इनकी ग्रोथ काफी तेज होती है। एनसीबीआई( नेशनल सेंटर फार बायोटेक्नालाजी इनफार्मेशन) की एक रिपोर्ट देखें तो सामान्यतः बकरियों में एक बच्चे जन्म देने की दर 61.96 प्रतिशत, दो बच्चे जन्म देने की दर 37.03 प्रतिशत और तीन बच्चे जन्म देने की दर 1.01 प्रतिशत होती है। इस लिहाज से उस्मानाबादी बकरियां गुणात्मक वृद्धि के दृष्टिकोण से काफी बकरीपालकों के लिए काफी उपयोगी साबित होती हैं।