स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव ने दी जानकारी, कहा-छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में कोविड वैक्सिन के इस्तेमाल को मंजूरी देने पर कर रही विचार

इस समय राज्य में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा उत्पादित टीके कोविशील्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है।

Update: 2021-03-14 17:38 GMT

केंद्र द्वारा कोविड-19 टीका 'कोवैक्सिन' पर से 'चिकित्सीय परीक्षण के रूप में इस्तेमाल' का टैग हटाए जाने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में इसके इस्तेमाल को मंजूरी देने पर विचार कर रही है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव ने रविवार को यह जानकारी दी।

सिंह देव ने इस साल जनवरी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से कोवैक्सिन के तीसरे चरण का परीक्षण पूरा होने तथा इसके परिणाम आने तक प्रदेश में इसकी आपूर्ति रोकने का आग्रह किया था। इस टीके को भारत बायोटेक ने विकसित किया है।
इस समय राज्य में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा उत्पादित टीके कोविशील्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सिंह देव ने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा, '' केंद्र सरकार द्वारा चिकित्सीय परीक्षण के रूप में इस्तेमाल का ठप्पा हटाए जाने के बाद हम कोवैक्सिन को राज्य में उन लोगों को लगाने की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं जो इसका विकल्प चुनते हैं। भले तीसरे चरण के परीक्षण के नतीजों का प्रकाशन अभी बाकी है।''

उन्होंने कहा कि कोवैक्सिन के आंकड़े (दूसरे चरण के चिकित्सीय परीक्षण) लांसेट संक्रामक रोग जर्नल में प्रकाशित हुए हैं जिसमें संकेत किया गया है कि टीके की सुरक्षा पर सवाल नहीं है बस इसके प्रभाव का सवाल लंबित है।
सिंह देव ने कहा, ''हालांकि, जब केंद्र ने चिकित्सीय परीक्षण के तौर पर इस्तेमाल की श्रेणी से इसे हटा दिया है तब कई लोग ऐसे हैं जो इसे लेना चाहते हैं...मामला यह है।''
उन्होंने कहा, ''एकमात्र मुद्दा है जो मैं उठाने की कोशिश कर रहा हूं, वह है कि प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। यह आपात स्थिति है इसलिए टीके 10 महीने में बनाए गए, नहीं तो आम तौर पर इन्हें विकसित करने में 10 से 15 साल का समय लगता है।''
सिंह देव ने कहा, ''लेकिन इन 10 महीनों में भी अन्य कंपनियों ने प्रक्रिया पूरी की....सभी कंपनियों को टीका देने की अनुमति देने से पहले प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए। अन्यथा परीक्षण चरणों का क्या औचित्य रह जाएगा।''
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ''हमें अपने स्वदेशी टीके पर गर्व है लेकिन मेरा मानना है कि इसे आम लोगों को लगाने से पहले अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। हमारी प्राथमिक चिंता हमारे नागरिकों की सेहत है और किसी भी टीके का प्रभाव साबित होने के बाद ही अनुमति दी जानी चाहिए।''
पिछल हफ्ते कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद पृथकवास में रह रहे सिंह देव ने कहा कि उन्होंने पहले ही कहा है कि ठीक होने के बाद वह कोवैक्सिन ही लेंगे।


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