ढाई लाख दो, मूल निवास प्रमाण पत्र पाओ

Update: 2023-10-01 05:50 GMT

छग में सक्रिय हैं फर्जी दस्तावेज बनाने वाले सौदागर

रायपुर। राजधानी में चौकाने वाली खबर आ रही है। फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले रैकेट की सक्रियता ने नगर निगम से लेकर मंत्रालय तक खलबली मचा दी है। तहसीलदार और अन्य अधिकारी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र में छेड़छाड़ कर कई तरह के अपराधों को अंजाम देकर 2 से 2.5 लाख तक वसूली के खबर से सन्न रह गए हैं। रायपुर में सक्रिय रैकेट लोगों से मनमाने पैसे लेकर मनचाहे फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बांट रहे है। साथ ही स्थायी निवास प्रमाण पत्र भी दो से ढाई लाख में गारंटी के साथ बनाने का दावा कर रहे है और बना भी रहे हैं। अधिकतर केस बाहरी प्रदेश के लोगों के साथ है और मूल छत्तीसगढिय़ा का सीएएफ और पुलिस में भर्ती के प्रति रूझान नहीं होने के कारण यूपी-बिहार और राजस्थान के लोग इस विभाग में अधिक से अधिक भर्ती में दिलचस्पी ले रहे हंै। आम छत्तीसगढिय़ा एसआई, प्लाटून कमांडर और अन्य पदों में रूचि रखने के कारण इसका फायदा अन्य प्रदेश के लोग उठा रहे हैं।

ऑनलाइन पोर्टल पर वास्तविक दस्तावेज वालों का काम नहीं होता, प्रमाणीकरण के लिए दलालों व्दारा 2.50 लाख में प्रमाणीकरण कर मूल निवास का प्रमाण पत्र जारी करवा दिया जाता है। पूरे प्रदेश में फैला है रैकेट दुर्ग, बालोद, सरगुजा, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, महासमुंद, कोरिया, बेमेतरा, बस्तर, जगदलपुर और राजनांदगांव जिले में फर्जी कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले रैकेट का बहुत बड़ा नेटवर्क है, पूरे प्रदेश में इनके गुर्गे ग्राम पंचायत और नगर पंचायत में अड्डा बना रखा है, अपने क्लाइंट के लिए ग्राम पंचायत से निवास करने का प्रमाण पत्र बनाकर उसे तहसील में पक्का प्रमाण पत्र के लिए आवेदन लगवाते है। जहां जांच नहीं होने से पता ही नहीं चलता कि प्रमाण पत्र फर्जी है, तहसीलदार तो ग्राम पंचायत के लिखे प्रमाण पत्र को प्रमाणित दस्तावेज मानकर प्रमाणपत्र बनाने के लिए अग्रेषित कर देता है। च्वाइस सेंटर वाले भी मिले हुए दलालों का गिरोह च्वाइस सेंटर के आसपास ही भटकते मिल जाता है, वो खुद ही पूछ लेते है क्या बनवाना है, उसके बाद पैसा फिक्स कर आवेदन भरवाता है और च्वाइस सेंटर में दे देता है और उसका प्रमाण पत्र आसानी से बन कर आ जाता है। ज्यादातर प्रमाण पत्र नगर पंचायत सहित शहरी क्षेत्र में आय,जाति, निवास प्रमाण पत्र च्वाइस सेंटर में ही बनाए जाते है। जहां पर आधार, स्कूल का मार्कशीट या पार्षद कार्यालय से वहां छपे आय,जाति, निवास का खाली प्रमाण पत्र जेब में लेकर घुमते रहते है। जैसे ही कोई जरूरतमंद आया तुरंत सौदा कर फटाफट प्रमाण पत्र बनवाने में जुट जाता है। छुटभैया नेताओं का संरक्षण फजी तरीके से प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह को स्थानीय छुटभैया नेता संरक्षण देते है।

उसके बदले ये दलाल रैली, धरना-प्रदर्शन और चुनाव से समय इन छुुटभैया नेताओं के लिए काम करते है। छुटभैया नेता जब भी किसी नेता, मंत्री या मुख्यमंत्री से मिलने जाते है तो इन दलालों को अपने साथ लेकर जाते है, ताकि लोगों को पता चल जाए कि ये लोग सभी साथ में है। जिसका फायदा दलाल और छुटभैया नेता समय-समय पर उठाते रहते है। हालांकि इस बात की स्पष्ट रूप से किसी ने पुष्टि नहीं की है, लेकिन दबे छुपे जुबान से कुछ अभ्यर्थियों ने बताया कि अधिकतर पदों पर बाहरी लोगों की ही भर्ती हो रही है। छग के जनप्रतिनिधि इस मामले को हल्के में लेकर कोई संज्ञान नहीं ले रहे है। अधिकांश जन प्रतिनिधि बाहरी राज्यों के मूल निवासी होने के कारण छत्तीसगढिय़ों को हक में डाका डाल रहे है। कुछ छुटभैया नेता भी इस रैकेट के हिस्से है जो पुलिस और अधिकारियों से सेटिंग कर काम को अंजाम दे रहे है। इस खुलासे के बाद खुद सरकारी विभाग भी सवालों के घेरे में हैं। छत्तीसगढ़ में फर्जी निवासी प्रमाण पत्र और मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाने के लिए गांव के सरपंच से लेकर पटवारी तहसीलदार और विधायक तक सक्रिय होने की खबर है कई मामलों में तो 5,00,000 लाख रुपए तक मूलनिवासी प्रमाण पत्र का पैसा वसूला गया है । बीएसएफ में सीआरपीएफ में और जिला पुलिस बल में उसके अलावा लोकल परीक्षा में भी और पीएसी की परीक्षा में भी पास होने वाले अधिकांश अभ्यर्थी प्रदेश के बाहर के हैं। जिन्होंने फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाए अगर सरकार चाहे तो विगत 10 सालों के मूल निवासी प्रमाण पत्र की जांच कारण तब सारा मामला उजागर हो सकता है । जनता से रिश्ता के पास पुख्ता सबूत है।विगत 5 सालों में गैर छत्तीसगढिय़ों की भरती विभिन्न विभागों में हुई है, जिसे आगामी कुछ दिनों में सच्चाई और सबूत के साथ जनता से रिश्ता में खबर को प्रकाशित कर छत्तीसगढ़ की मूल निवासी जनता को जागरूक किया जाएगा। जिससे मूल छत्तीसगढिय़ों न्याय मिल सके।  

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