जसेरि रिपोर्टर
नकली नोट के धंधे में छुटभैय्या नेताओं के शामिल होने के पुख्ता सबूत
रायपुर। छत्तीसगढ़ में फेक करंसी का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है। नकली नोट गिरोह छुट्भैय्ये नेताओं के साथ मिलकर हर जिले में बाजारों में नकली नोट खपा रहा है। सट्टा-जुए के अडडें में नकली नोट ही खपाए जा रहे हैं और यहां ये नोट बाजार में पहुंच रहा है। अवैध शराब, ड्रग और मांस-मटन के साथ अंडें का धंधा करने वाले भी नकली नोट से लेन-देन कर बाजार में नकली नोट खपाने में जुटे हैं। यही कारण है कि बाजार में बड़े पैमाने पर नकली नोट पहुंच गए हैं। चूंकि अभी भी सामान्य लोग नगद में ही लेनदेन करते हैं इसलिए ज्यादातर नोट बैंकों में नहीं पहुंचने से असली नकली की पहचान नहीं हो पा रही है। इसका फायदा नकली नोट गिरोह, अवैध धंधा करने वाले और छुटभैय्ये नेता उठा रहे हैं और फेक करंसी को बाजार में खपा कर कमाई कर रहे हैं। इंटेलीजेंस एजेंसियों समेत आईटी-ईडी को सट्टा-जुआ के अड्डों के साथ शराब कारोबारियों और मांस-मटन व अंडे के कारोबारियों के लेन-देन की पड़ताल करनी चाहिए। इससे नकली नोट को बाजार में पहुंचने से रोका जा सकेगा। वहीं नकली नोट गिरोह के साथ सांठगांठ रखने वाले छुटभैय्ये नेताओं पर भी नकेल कसने की जरूरत है। राज्य में गुजरे कुछ महीने में ही नकली नोट के साथ कई गैंग पकड़े गए हैं। राजधानी सहित बस्तर, अंबिकापुर में में भी नकली नोट पकड़े गए हैं।
चुनाव के लिए बड़े पैमाने पर डील
छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसे देखते हुए भी राज्य में नकली नोट गिरोह सक्रिय हैं। चुनावों में वोटर्स को रिझाने के लिए चुनाव लडऩे वाले धनबल का सहारा लेते हैं। वोटरों को पैसे की लालच देकर वोट खरीदा जाता है। ऐसे में चुनाव लडऩे वाले बड़े पैमाने पर नकली नोट गिरोह के लोगों से संपर्क कर नकली नोट खरीदते हैं और उसी से वोटरों को खरीदते हैं। निचली बस्तियों के लोग इन नोटों को बाजार में खपाते हैं, इससे बाजार में नकली नोट दौडऩे लगते हैं। आगामी चुनाव को देखते हुए अभी से दावेदार नकली नोट की डील करने लगे हैं. पुलिस और खुफिया एजेंसियों को चुनाव मेें नकली नोट की आमद रोकने के लिए अभी से कमर कसने की जरूरत है।
देश में तेजी से बढ़ रहा जाली नोटों का कारोबार
काला धन और जाली करंसी समाप्त करने के लिए 8 नवम्बर, 2016 को केंद्र की भाजपा सरकार ने देश में नोटबंदी तथा 500 और 1000 रुपए मूल्य वाले नोट चलन से बाहर करने की घोषणा की थी। काला धन और जाली करंसी समाप्त करने के लिए 8 नवम्बर, 2016 को केंद्र की भाजपा सरकार ने देश में नोटबंदी तथा 500 और 1000 रुपए मूल्य वाले नोट चलन से बाहर करने की घोषणा की थी। नोटबंदी के बाद जाली नोटों का कारोबार लगभग 1 वर्ष तक तो थमा रहा परंतु लगभग 4 वर्षों से जाली नोटों के तस्करों के कई गिरोह फिर सक्रिय हो गए हैं तथा यह धंधा धीरे-धीरे तेजी पकड़ रहा है।
भारत में बनाने के अलावा नकली करंसी पहले पाकिस्तान से नेपाल और वहां से बंगलादेश होते हुए भारत में तस्करी द्वारा पहुंचाई जाती है। स्पष्ट है कि देश में नकली नोटों का कारोबार कितना विशाल रूप धारण करता जा रहा है। अत: इनकी छपाई या सप्लाई से जुड़े लोगों के विरुद्ध देशद्रोह के आरोप में कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि जिस प्रकार विदेशी बैंकों में जमा करने के लिए आने वाले नोट गिनने वाली मशीनें गिनती के दौरान ही पाए जाने वाले नकली नोटों को उसी समय नष्ट कर देती हैं, वैसी ही मशीनें भारतीय बैंकों में भी लगानी चाहिएं ताकि नकली नोट आम लोगों तक दोबारा पहुंच ही न सकें।
देश में तीन साल में पकड़े गए 138 करोड़ के नकली नोट
देश में करोड़ों रुपये की कीमत दर्शाने वाले नकली नोट प्रतिवषर्ष पकड़े जा रहे हैं। इससे पता चलता है कि देश में बड़ी संख्या में नकली नोट प्रचलन में हैं। ये न केवल लोगों के लिए परेशानी का सबब हैं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ी चुनौती हैं। बीते तीन साल में सुरक्षा एजेंसियों ने करीब 138 करोड़ रुपये के नकली नोट पकड़े हैं। पकड़े गए नोटों में ज्यादा संख्या दो हजार रुपये के नकली नोटों की है।
पाकिस्तान से आ रहे ज्यादातर नकली नोट
पता चला है कि ज्यादातर नकली नोट पाकिस्तान से लगने वाली देश की सीमाओं पर पकड़े गए और उन्हें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने पकड़ा। ये नोट पाकिस्तान में छापकर भारत भेजे गए थे। बाकी नोट देश के विभिन्न शहरों में प्रचलन के दौरान और गिरोहों के एजेंटों के पास से पकड़े गए। लेकिन नकली नोटों का प्रचलन रोकने के लिए बहुत सारा कार्य किया जाना अभी बाकी है। केंद्र सरकार ने दावा किया था कि नोटबंदी से नकली नोटों के कारोबार को बड़ा आघात लगा था और नए नोट इस तरह से तैयार किए गए थे कि उनकी नकल लगभग असंभव थी। लेकिन जालसाजों ने सरकार के दावे को छोटा साबित कर दिया।
नोटों के धंधे से आतंकियों को धन मिलने के संकेत
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार 2019 से 2021 तक 137.96 करोड़ रुपये का मूल्य दर्शाने वाले नकली नोट पकड़े गए। इन नोटों में सर्वाधिक 2000 रुपये के फर्जी नोट थे और उसके बाद 500 रुपये के नकली नोट। गृह मंत्रालय ने केंद्र और राज्य सरकारों की कानून व्यवस्था से जुडी एजेंसियों से नकली नोटों के धंधे से जुड़े लोगों पर कड़ी नजर रखने और उनकी धरपकड़ करने के लिए कहा है। नकली नोटों के धंधे पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) भी नजर गड़ाए हुए है। नकली नोटों के धंधे से आतंकियों को धन मिलने के संकेत हैं। इस धंधे के तार हर बड़े गिरोह से भी जुड़े हुए हैं।
एक लाख पर 50 हजार की कमाई
नोटो को बाजार में खपाने के लिए मोटी कमीशन दिए जाते हैं। एक लाख के नकली नोट पर पचास हजार का कमीशन मिलता है। अवैध कारोबारी बड़े पैमाने पर नकली नोटों का इस्तेमाल कर रहे हैं। सट्टा, जुआ के अलावा दुकानों, पेट्रोल पंप में भी नकली नोट खपाए जा रहे हैं। हर जिले में छुटभैय्ये नेता नकली नोटों के गिरोह के साथ मिल कर काम कर रहे हैं। चुनावों में भी नकली नोट खपाए जाते हैं। हाल में ही संपन्न भानुप्रतापपुर उप चुनाव में भी नकली नोट पकड़ाए थे। आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी कई दावेदार नकली नोटों के गिरोहबाजों से अपने लिए नकली नोटों का जुगाड़ करने में जुट गए हैं।