प्रदेश के सोसायटियों में सड़ रहे करोड़ों के धान

Update: 2021-05-18 06:45 GMT

प्रबंधक, ऑपरेटर और संचालक की मिलीभगत से करोड़ों के धान की फर्जी खरीदी उजागर

सोसायटियों में धान खरीदी मामले में करोड़ों के हाईटेक फर्जीवाड़ा

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। एक तरफ प्रदेश में ऐसे अनेक मंडी है जहां धान का उठाव ही नहीं हुआ है वहां करोडो़ं के धान सड़ रहे है। वहीं पर जाम पड़ा हुआ है। समय पर अगर धान का परिवहन नहीं हुआ तो बेमौसम हुई बारिश से धान सडऩे लगा है। काफी सोसायटियों मे ंधान का उठाव नहीं होने से भींगे हुए धान में अंकुर आने लगे है। सरकार को चाहिए कि तत्काल कमेटी बनाकर इसकी मानिटरिंग करना चाहिए ताकि क रोड़ों के धान को सडऩे से बचाया जा सके। प्रदेश में इन दिनों किसानों को जमकर लूटा जा रहा है। प्रदेश के सोसायटियों में धान खरीदी के दौरान करोड़ों रुपए का हाईटेक फर्जीवाड़ा का सामने आया था । जो लगभग ढाई करोड़ से भी अधिक का घोटाला था। छत्तीसगढ़ के सोसायटी में फर्जीवाड़ा करने के लिए कंप्यूटर का बड़ी चालाकी से उपयोग किया जाता है । सोसायटी प्रबंधक, ऑपरेटर और संचालक मंडल की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का धान फर्जी तरीके से खरीदा गया है। इसमें मध्यप्रदेश का धान भी शामिल है। कम टारगेट वाली सोसायटी में कई गुना धान अधिक खऱीदा गया। पोल खुलने के बाद एक-दूसरे पर आरोप लगाने के बाद मामला ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता है।

धान खरीदी पर राज्य शासन को पुरस्कारों से नवाजा जा रहा है, दूसरी ओर सोसायटियों में एक-एक कर फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। प्रदेश के सोसायटियों में सामान्य व्यापारी द्वारा खुद को किसान बताकर लाखों का फर्जी धान बेचने की घटना की एक नहीं काफी लम्बी फेहरिस्त है धान खरीदी में संस्था प्रबंधक और डाटा एंट्री ऑपरेटर द्वारा संचालक मंडल के कुछ सदस्यों से मिलीभगत कर फर्जी तरीके से धान खरीदा जाता है । एक केंद्र में 35 हजार क्विंटल धान की खरीदी हुई, जबकि दूसरे ही साल 16 हजार क्विंटल अधिक धान खरीदा गया। कीमत करीब दो करोड़ रुपए के इस धान का 44 लाख रुपए बोनस भी लिया गया। एक ही साल में खरीदी डेढ़ गुना बढऩे पर संदेह हुआ। जांच में पता चला कि किसानों की पर्ची में जो रकबा है, उससे कहीं ज्यादा कंप्यूटर पर दर्ज है।

ऐसा कर यह फर्जीवाड़ा किया गया है। संचालक मंडल के सदस्यों ने अपना रकबा कंम्प्यूटर में बढ़वा लिया और रिश्तेदार बिचौलियों की मदद से मध्यप्रदेश उड़ीसा का धान भी सोसायटी में खपा दिया। राजस्व रिकार्ड और कंप्यूटर में दर्ज लिस्ट में मिलान करने पर किसानों का रकबा बढ़ा हुआ मिला। इस प्रकार घोटाले का नया तरीका इन लोगों ने इजात कर लिया।

घोटाले बाद में भी कमाई का जरिया

जिला सहकारी बैंक और इससे जुड़ी सोसायटियों का घोटालों का गहरा नाता रहा है। कुछ में कार्रवाई हुई तो कुछ कमाई का जरिया बनकर रह गए। कुछ मामलों में निलंबन और फिर बहाली के एवज में भी लेनदेन की शिकायतें मिलती हैं। घोटाले में फंसे एक सोसायटी प्रबंधक ने खुदकुशी कर ली थी। उसने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए बैंक प्रबंधन को जिम्मेदार माना था। इस मामले में बैंक प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

घोटालों की लंबी फेहरिस्त

प्रदेश के सोसायटियों में करोडो रुपए का धान शार्टेज पाया गया है। लाखों के बारदाने भी गायब हैं। नोटिस के बाद भी अंतर राशि नहीं मिलना, न कार्रवाई किया जाना, और न ही भौतिक सत्यापन किया जाना इसी का फायदा सोसायटी वाले उठा रहे हैं। प्रदेश के कई धान खरीदी केंद्र में लाखों रुपए का धान कम पाया गया।

सोसायटी के प्रबंधकों ने साथी बिचौलिए के साथ मिलकर फर्जी पर्चियों से धान की खरीदी-बिक्री की और भुगतान ले लिया। कई जगह धान संग्रहण केंद्र पहुंचने के बजाय मिलर्स के गोदाम में पहुंच गया। इस गड़बड़ी की जांच आज तक शुरू नहीं की और हर बारदाने में डेढ़ से दो किलो अधिक धान किसानों से धोखे से लिया जा रहा था।

ऐसे दिया फर्जीवाड़े को अंजाम

किसानों ने धान बिक्री के लिए पंजीयन कराया और फार्म में अपना रकबा बताया। इसे पटवारियों ने चेक कर संबंधित सोसायटियों में भेजा और पंजीयन हुआ। इन्हीं पंजीयन को देखकर उन किसानों का रकबा कंप्यूटर पर बढ़ा दिया गया, जिनकी ऋण पुस्तिका से व्यापारियों का फर्जी धान खरीदना था। मसलन एक किसान के पास 7.418 हेक्टे. कृषि जमीन है, जो कंप्यूटर पर 18.418 हेक्टेयर दर्ज कर दिया गया। बाद में उसकी ऋण पुस्तिका से 481.20 क्विंटल धान खरीदा गया। इसी प्रकार संचालक मंडल के सदस्यों का रकबा बढ़ा कर भी अतिरिक्त धान खऱीदा गया ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं।  

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