रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद अरुण साव ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश द्वारा संवाददाता सम्मेलन में दिए गए बयान को कांग्रेस की निराशा का प्रमाण बताते हुए कहा है कि राहुल गांधी की यात्रा से भाजपा नहीं, बल्कि कांग्रेस बौखलाई हुई है। राहुल गांधी की ‘कांग्रेस खोजो यात्रा’ की विफलता और उस यात्रा के दौरान कांग्रेसी अन्तर्कलह को देखते हुए कांग्रेस हिल गई है। राहुल की यात्रा का बुरा असर कांग्रेस पर ही दिख रहा है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि कांग्रेस में मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष की क्या स्थिति है यह तो रायपुर में दिख रहा है।कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जी का कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी के मुकाबले क्या स्थान है, कोई भी होल्डिंग देख ले, उसे पता चल जाएगा। यदि जयराम रमेश ने न देखा हो तो वह भी अधिवेशन स्थल से लेकर कांग्रेस के राजीव भवन के बाहर अंदर कहीं देख लें। उन्होंने कहा है कि गांधी परिवार के बाहर जो भी अध्यक्ष बने हैं उनकी क्या गति हुई है, उसे समूचे देश ने देखा है। श्री साव ने कहा कि दलित परिवार में जन्मे सीताराम केसरी को कांग्रेस कार्यालय से कैसे बाहर किया गया था यह देश की जनता भूली नहीं है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस के 3 दिन के अधिवेशन में जनता खुद देख लेगी कि कांग्रेस अध्यक्ष के ऊपर कौन-कौन सुपर अध्यक्ष है।
उन्होंने कहा कांग्रेस पहले अपने नेताओं में आपसी गठबंधन करवा ले फिर अन्य विपक्षी दलों की बात करेंगे। राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा के प्रारंभिक दौर में ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद ठुकरा कर, मुख्यमंत्री बने रहना बेहतर समझकर कांग्रेस को उसकी स्थिति बता दी थी। छत्तीसगढ़ में टी एस सिंहदेव, मोहन मरकाम, शैलजा कुमारी और भूपेश बघेल का आपसी टकराव सतह पर दिख रहा है। ये आपस तक में सामंजस्य बना नहीं पा रहे हैं। क्षेत्रीय पार्टियां तक जिस कांग्रेस से गठबंधन नहीं करना चाह रही है अगर वे अपने आपको विपक्ष के केंद्र में बता रही है तो यह उसका मुगालता ही है। वास्तव में कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीति में पूरी तरह अप्रासंगिक हो गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सारी दुनिया का नेतृत्व करने को तैयार है। ऐसे समय में जयराम रमेश कह रहे हैं कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है। याद रखें लोकतंत्र की हत्या तब हुई थी जब देश पर आपातकाल इसलिए लगाया गया था कि सत्ता छीनने का डर समा गया था। लोकतंत्र की हत्या तो तब हुई थी जब मीडिया पर पाबंदी लगा दी गई थी। लोकतंत्र की हत्या तब हुई थी जब विपक्ष के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में ठूंस दिया गया था। आज भारत में लोकतंत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा जयराम रमेश जी जनता मर्डरर ऑफ डेमोक्रेसी को भूली नहीं है।