CG BREAKING: राज्यपाल अनुसुईया उइके को सौंपी गई झीरम घाटी जांच आयोग की रिपोर्ट
रायपुर: राज्यपाल अनुसुईया उइके को झीरम घाटी जांच आयोग की रिपोर्ट सौंपी गई है। यह रिपोर्ट आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने सौंपी। यह प्रतिवेदन 10 वाल्यूम और 4184 पेज में तैयार की गई है।
झीरम घाटी घटना
छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी का जब भी जिक्र होता है तो लोगों के जेहन में साल 2013 की घटना ताजा हो जाती है। दरअसल, आठ साल पहले आज ही के दिन छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी लहूलुहान हुई थी। उस दिन नक्सलियों ने मौत का तांडव किया था और कांग्रेस के कई नेताओं को मौत के घाट उतार दिया था।
साल 2013 में हुई थी खूनी घटना
गौरतलब है कि साल 2013 के अंत में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने थे। यहां लगातार दो चुनावों से भाजपा का राज कायम था और रमन सिंह मुख्यमंत्री थे। वहीं, 10 साल से सत्ता से दूर कांग्रेस जीतने की पुरजोर कोशिश में लगी थी। इसी कड़ी में कांग्रेस ने पूरे राज्य में परिवर्तन यात्रा निकालने की तैयारी की, जिसकी शुरुआत 25 मई के दिन सुकमा से की गई।
रैली खत्म होने के बाद हुआ हमला
बताया जाता है कि रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर लौट रहा था। उस काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं, जिनमें करीब 200 नेता सवार थे। सबसे आगे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल और कवासी लखमा अपने-अपने सुरक्षा गार्ड्स के साथ थे। इनके पीछे महेंद्र कर्मा और मलकीत सिंह गैदू की गाड़ियां थीं। वहीं, बस्तर के तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी उदय मुदलियार कुछ अन्य नेताओं के साथ चल रहे थे। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता इस काफिले में शामिल थे।
नक्सलियों ने ताबड़तोड़ बरसाईं गोलियां
जानकारी के मुताबिक, शाम करीब 4 बजे कांग्रेस नेताओं का काफिला झीरम घाटी से गुजरने लगा तो नक्सलियों ने पेड़ गिराकर रास्ता बंद कर दिया। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, पेड़ों के पीछे छिपे 200 से ज्यादा नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। नक्सलियों ने सभी गाड़ियों को निशाना बनाया। नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश की मौके पर ही मौत हो गई। बताया जाता है कि नक्सलियों ने करीब डेढ़ घंटे तक फायरिंग की।
एक-एक को ढूंढकर मार डाला
सूत्रों के मुताबिक, शाम करीब साढ़े 5 बजे नक्सली पहाड़ों से उतर आए और एक-एक गाड़ी चेक करने लगे। जो लोग गोलीबारी में मारे जा चुके थे, उन्हें फिर से गोली और चाकू मारे गए, जिससे कोई भी जिंदा न बचे। वहीं, जिंदा बचे लोगों को बंधक बना लिया गया। इसी बीच एक गाड़ी से महेंद्र कर्मा नीचे उतरे और बोले कि मुझे बंधक बना लो, बाकियों को छोड़ दो। नक्सलियों ने महेंद्र कर्मा की बेरहमी से हत्या कर दी। इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के उस वक्त के अधिकांश बड़े नेता और सुरक्षा बल के जवान शहीद हो गए थे।
ऐसे मौत के घाट उतारे गए महेंद्र कर्मा
माना जाता है कि इस हमले में मुख्य टारगेट बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा थे। सलवा जुडूम का नेतृत्व करने की वजह से नक्सली उन्हें अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे। नक्सलियों ने उनके शरीर पर करीब 100 गोलियां दागीं और चाकू से 50 से ज्यादा वार किए। हत्या के बाद नक्सलियों ने उनके शव पर चढ़कर डांस भी किया था।