छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र ने प्रदेश के ढाई करोड़ जनता के लिए अपने 3 साल के संक्षिप्त कार्यकाल में ही अपने काम और योजनाओं को बगैर किसी बाधा के बड़ी सहजता से क्रियान्वित कर लोगों को सीधा आर्थिक लाभ देकर उनका दिल जीत लिया है। अपनी योजनाओं से उन्होंने राज्य के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति की आंसू पोंछकर उसे तंगहाली से निकालकर सुकुन की जिंदगी जीने का अवसर उपलब्ध कराया है। न सिर्फ ग्रामीण अपितु शहरी लोगों को भी अपनी योजनाओं से उन्होंने वो राहतें उपलब्ध कराई जिससे उनके जीवन स्तर में आमूल-चूल परिवर्तन आया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार छत्तीसगढ़ के हित की रक्षा करना छत्तीसगढ़ी के माटी पुत्रों के हिसाब से त्योहारों को पुनजीवित कर जनता के साथ मनाने के लिए मजबूर करना और जनमानस में छत्तीसगढ़ शैली और त्योहारों को जोर शोर से प्रचार प्रसार कर लोगों के विचार में लाना यह खूबी भूपेश बघेल की रणनीतिक और राजनीतिक विशेषज्ञता का प्रमाण है। भूपेश बघेल ने विगत 3 सालों में छत्तीसगढ़ की राजनीतिक बिसात में अपने आप को कमोबेश शतरंज का सबसे माहिर खिलाड़ी और भीष्म पितामह साबित करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। राजनीतिक पंडितों की अगर माने भूपेश बघेल ने अपने 3 साल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ की गरीब जनता जिसकी जनसंख्या लगभग 2:15 के आसपास है अपने चिर परिचित शैली को छत्तीसगढ़ी भाषा को छत्तीसगढ़ के त्योहारों को छत्तीसगढ़ की आन बान शान सभ्यता को घर-घर में रोशन करने का महान कार्य किया। छत्तीसगढ़ की फिजा में अब आरएसएस या कोई भी हिंदू संगठन किसी भी प्रकार का जहर घोलने का काम नहीं कर सकता। छत्तीसगढ़ के पूरे कस्बे और गांव के हालातों का जायजा लेने के उपरांत जो बातें सामने आ रही है उससे वर्तमान समय में छत्तीसगढिय़ोंं के मन में भूपेश को लेकर बनी छबि उसे सफल जनसेवक साबित करता है। हमर सभ्यता, हमर बानी हमर गोठ, हमर त्यौहार, हमर छुट्टी है यह कैसा गणित है जो अच्छे-अच्छे जहर घोलने वाले संगठन या किसी प्रकार की कोई राजनीतिक पार्टी के लिए कोई गुंजाइश भूपेश बघेल ने नहीं छोड़ी है। भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ी संस्कृति रीति-रिवाजों के साथ जनमानस को प्रभावित करने वाली योजनाओं से राजनीति की ऐसी बिसात बिछाई जिससे आने वाले कई सालों तक प्रदेश की सत्ता में उसके पांव जमे रहेंगे। अपने तीन साल के छोटे कार्यकाल में ही भूपेश बघेल ने ऐसी-ऐसी योजनाएं लागू की जिसकी कामयाबी ने उसे छत्तीसगढ की राजनीति का चमकता सितारा बना दिया है। अपने काम लोगों के लिए दिल खोलकर सहुलियतें देने के चलते छत्तीसगढ़ के सवा दो करोड़ जनता छाती ठोकर इसीलिए कह रही है कि भूपेश हमर छत्तीसगढिय़ा कका है। 2003 तक जोगी ने अपने आप को छत्तीसगढ़ी साबित करने का प्रपंच रचा था लेकिन 2003 के अंतिम के चुनाव में उसका प्रपंच खोखला साबित हुआ और कांग्रेस को शर्मनाक पराजय झेलनी पड़ी इसका परिणाम यह हुआ कि भारतीय जनता पार्टी 15 साल छत्तीसगढ़ में राज कर गई। अजीत जोगी के साथ दुर्भाग्य यह था कि उनके ऊपर नकली आदिवासी होने का आरोप लगता रहा। वे कभी भी छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री की भूमिका में सफल साबित न8ीं हुए, जिसके कारण कांग्रेस को 15 सालों तक वनवास झेलनी पड़ी। बड़ी शालीनता और सहजता से भूपेश बघेल ने शहरी क्षेत्र की जनता के लिए वो कर दिया जिसका आने वाले सौ, दो सौ साल में भी कोई तोड़ नहीं मिल पाएगा। लगातार जनता को राहत देने के लिए कॉलोनियों का नियमितीकरण और शासकीय नजूल भूखंडों का फ्रीहोल्ड के साथ नजूल भूमि पट्टे का वितरण का निर्णय एक साहसी और मजबूत निर्णय लेने वाला नेता ही ले सकता है। यह कार्य कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण और दिल जीतने वाला कार्य है। शहरी जनता को इस तरीके से लाभ देकर भूपेश बघेल ने जनता के मन में अपने वो जगह बना ली है जो सालों तक स्थाई रहेगी।शहरी जनता को इस तरीके का लाभ देकर भूपेश बघेल ने अपनी एक अटूट छवि के साथ अटूट रिश्ता जनता के लिए पैदा कर दिया शहरों में जहां कांग्रेस की जनाधार कम थी वहां कांग्रेस को पुन: स्थापित कर जनाधार बढ़ाने में भूपेश के ये फैसले उपयोगी साबित हुए हैं जो आने वाले चुनाव में महत्तवपूर्ण साबित होंगे। फिल्म उद्योगों के लिए सब्सिडी देकर छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल में हलचल पैदा कर दी। सारे पर्यटन स्थल पर शूटिंग के लिए बॉलीवुड हॉलीवुड से लेकर बंगाली और तेलुगु फिल्मों के लोग आकर्षित हो रहे हैं जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। अब हमारे छत्तीसगढ़ के लिए आकर्षित हो रहे हैं जो एक बहुत बड़ी छत्तीसगढ़ सरकार की जीत होगी
निकाय चुनाव और विधानसभा के उप चुनावों में मिली सफलता भूपेश की कार्यशैली, उसके फैसले और लोगों की नब्ज पकडऩे की विशेषज्ञता का परिचायक है। भूपेश बघेल में प्रदेश में इन सभी चुनाव को अपने देहाती अंदाज में लड़ कर यह साबित कर दिया कि राजनीति के चतुर खिलाड़ी के साथ साथ वह राजनीति के बेताज बादशाह भी हैं। सादगी और निराले अंदाज से आम जनता के मन को लुभा लेना उनसे ही सीखा जा सकता है। भूपेश बघेल चाहते हैं तो डॉक्टर रमन सिंह के जैसा सूट-बूट पहन कर भी राजनीति कर सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी सादगी वाली शैली को ही अपनाया और कूर्ता-पायजामा और धोती कुर्ता को ही उन्होंने अपना पोशाक बनाए रखा। भूपेश बघेल की राजनीति का सूरज अभी चरम पर है और आने वाले दिनों में भी उसकी रोशनी छत्तीसगढ़ और पुरे देश में आभा बिखेरती रहेगी।