घूस देने वालों की भी खैर नहीं, हाईकोर्ट की टिप्पणी

छग

Update: 2025-01-31 07:35 GMT

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाई कोर्ट में क्लर्क की नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। साथ ही, पीड़ित शिकायतकर्ता के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने रजिस्ट्रार जनरल को शिकायतकर्ता के खिलाफ कानूनन कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जांजगीर-चांपा निवासी संजय दास ने दीपका थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी सुमन सिंह राजपूत और उसके भाई जय सिंह राजपूत ने हाई कोर्ट में उसकी बहन को क्लर्क की नौकरी दिलाने का प्रलोभन देकर उनसे 4.5 लाख रुपए और उनके साथी अजय पाल से 3 लाख रुपए ठगे। आरोपियों ने व्हाट्सएप पर फर्जी विज्ञापन और दस्तावेजों की मांग कर भरोसा दिलाया।

शिकायतकर्ता और उनके साथी ने आरोपियों के बताए बैंक खातों और मोबाइल नंबरों पर कुल 5,15,000 रुपए ट्रांसफर किए। जब नौकरी के संबंध में जानकारी मांगी गई तो बार-बार टालमटोल की गई और देरी का कारण जज के तबादले को बताया गया। फरवरी 2024 में शिकायतकर्ता ने हाई कोर्ट में पूछताछ की, तब उन्हें ठगी का अहसास हुआ।

चीफ जस्टिस सिन्हा ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस प्रकार की घटनाएं न्यायपालिका की पवित्रता को आघात पहुंचाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता स्वयं भी निर्दोष नहीं है क्योंकि उसने भी अवैध तरीके से नौकरी पाने का प्रयास किया था। यह कानून के अनुसार अनुचित है। न्यायालय ने आरोपी जय सिंह राजपूत की जमानत अर्जी खारिज कर दी और इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया। साथ ही, रजिस्ट्रार जनरल को शिकायतकर्ता के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू करने के आदेश दिए ताकि ऐसी अवैध प्रथाओं को हतोत्साहित किया जा सके। न्यायालय ने इस बात पर नाराजगी जताई कि बार-बार सतर्कता के बावजूद लोग ठगों के झांसे में आ रहे हैं। हाई कोर्ट ने अपनी वेबसाइट और अन्य माध्यमों से जनता को सतर्क रहने की अपील की है। अदालत ने कहा कि इस तरह की घटनाएं न्यायपालिका की छवि को धूमिल करती हैं और इन्हें सख्ती से रोकने की जरूरत है।


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