है दफ्न कितनी रौनकें मुझमें मत पूछ, हर बार उजड़ कर बसता रहा वो शहर हूं मैं
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
नगरीय निकाय चुनाव अब पूरी तरह सर्कस की तरह हो गया है। जिसे पार्टी से टिकट नहीं मिलता वो निर्दलीय चुनावी जंग में उतर जाता है। और जिसे पार्टी टिकट देती है उसके तो पैर जमीन पर ही नहीं पड़ते है। सर्कस की तरह छलांग लगाने के साथ तरह -तरह के वादों के करतब दिखाना शुरू कर देता है। प्रदेश में एक नई परिपाटी राजनीति में देखने मिल रहा है। हाल ही में बेमेतरा के लोगों ने दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टी ने जनता के अपेक्षा के अनुरूप टिकट नहीं दिया तो वहां के लोगों ने एक पार्टी का गठन किय़ा है जिसका नाम है दु:खी आत्मा पार्टी है जो अपने पसंदीदा लोगों के नाम कटने पर अपनी पार्टी से चुनाव लड़ाने की ठान ली है। इसी तरीके से हर निकाय में इनकी पार्टी के लोग चुनाव लड़ रहे है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इस पार्टी का टिकट पाने के लिए लाइन लगी थी, दु:खी आत्मा पार्टी अब दोनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों के खिलाफ रणनीति बना लिए है कि किसे पटकनी देनी है। और किसकी नैया पार करनी है। इस पार्टी के मैदान में उतरते ही दोनों राजनीतिक दलों की हवा निकलनी शुरू हो गई है। दु:खी आत्मा पार्टी के लोग किराए के आंसू लेकर वार्डों में अपने प्रत्याशी की जीत के लिए लोगों का समर्थन मांगते हुए वादा कर रहे हैं कि हम आपके आंखों में आंसू नहीं आने देंगे बस हमारा आंसू पोछ दो। साथ ही यह शेर भी सुना रहे हैं कि- च्च्है दफन कितनी रौनकें मुझमें मत पूछ,हर बार उजड़ कर बसता रहा वो शहर हूं मैं।ज्ज्
भाजपा वालों की सलाह
भाजपा के बड़े-बड़े नेता और प्रवक्ता कांग्रेस की टिकट रणनीति से हलाकान हैं। अपनी पार्टी के कई दिग्गज पार्षदों की टिकट काट कर नए लोगों को टिकट दिया है वहीं अपने पार्टी के असंतोष को दबाने के लिए कांग्रेस के एक ही परिवार के दो लोगों को टिकट देने की बात हजम नहीं हो रही है। भाजपा नेताओ्ं की सलाह है कि कांग्रेस को परिवार पार्टी का नाम दे देना चाहिए। क्योंकि कांग्रेस पार्टी एक ही परिवार पर फिदा होकर चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है। अब भाजपा को समझ नहीं आ रहा है कि इसका क्या तोड़ हो सकता है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा ने इस समस्या के निकलने के लिए अपने घोषणा पत्र को जनता के अनुरूप बनाने सुझाव मांगे है। जनता तो जनार्दन है उसने भी बिना देरी किए सुझाव में फ्री पानी, बिजली के साथ महतारी वंदन का राशि ढाई हजार करने के सुझाव तक दे दिए है। भाजपा वाले को कांग्रेस को नाम बदलने के सुझाव भारी पड़ रहा है। अब उन सुझावों पर विचार मंथन चतल रहा है। क्या जनता से सुझाव मांगकर हमने कोई गलती तो नहीं कर दी है।
चुनाव के अपने-अपने अफसाने
जिनको महापौर और पार्षद के टिकट पार्टी से मिले है वो अब निर्दलीयों पर डोरे डाल रहे हैं। वो निर्दलीय भी घाघ हैं जो पिछले पांच साल से पार्टी की टिकट के लिए झंडा और दरी उठाते -उठाते अपनी कमर टेढ़ी कर ली है। अब पार्टी ने उनको टिकट न देकर किसी और को टिकट देकर खतरा मोल ले लिया है। नगरी में भाजपा के एक नेता को टिकट नहीं मिलने पर भाजपा दफ्तर में तोडफ़ोड़ कर आगजनी को अंजाम देकर अनुशासित पार्टी का नजारा दिखा दिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि विश्व की सबसे बड़ी संख्याबल वाली पार्टी में इस तरह के कारनामे को क्या कहा जाए। असंतोषियों का कहना है कि नेताओं ने टिकट बेच दिया है। जो वाकई टिकट के हकदार थे उनके हक में डाका डाला है। यही गुस्सा तोडफ़ोड़ और आगजनी का हिस्सा बन गया।
कांग्रेस प्रत्याशी बैठने के लिए उतारू
पूरे प्रदेश में कांंग्रेस के खिलाफ बन रही विपरीत हवा से बाहर निकलने के लिए चुनाव में हार के डर से मैदान से भागने के लिए उतावले नजर आ रहे हैं। हाल ही में कोरबा में एक वाक्या हुआ जिसमें नाम वापसी के दिन कांग्रेस के प्रत्याशी ने गुपचुप नाम वापस लेकर लापता हो गया वही जब स्क्रूटनी हुई तो पता चला भाजपा का प्रत्याशी निर्विरोध जीत गया। गलती से वो प्रत्याशी मंत्री का भाई निकला। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इस चुनाव में व्यक्तिगत संपर्क का बहुत महत्व होता है। जिसमें जनता खुद तय करती है कि किसे वार्ड का प्रतिनिधित्व दिया जाए। यहां तो पूरे कांग्रेसी खेमे में भागमभाग मचा पड़ा है। कौन किसको रोक पाएगा। कहते है चलाचली का बेला है।
अब एक औऱ मंत्री भविष्य वक्ता हो गए
राजनीति औऱ जंग में सब कुछ जायज होता है, इस कहावत को हमारे राजनेता बड़ी बखूबी से निभा रहे हैं। किसी के बारे में कोई कुछ भी कह सकता है इस अभिव्यक्ति का भरपूर उपयोग राजनेता कर रहे हैं। हाल ही में नेताओ्ं के सिर चढ़ कर नगरीय निकाय चुनाव बोल रहा है। पीएम के बाद अब मंत्री अरूण साव ने कांग्रेस के भविष्य पर भविष्यवाणी कर अपने ज्योतिष विज्ञान में पकड़ का परिचय दिया है। बैठक तो भाजपा की जीत की रणनीति बनाने की थी पर बैठक का रूख कांग्रेस के भविष्य की ओर मुड़ गया है। कांग्रेस के झूठे वादे के सवाल पर पलटवार करते हुए अरुण साव ने कहा कि राहुल गांधी की झूठी बातों और वादों का प्रमाण छत्तीसगढ़ के 3 करोड़ जनता ने बार-बार दिया है। उन्होंने 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव में झूठा वादा किया था, उसे पूरे देश ने देखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत अभियान में एक स्टार लगाते हुए कहा कि अब प्रदेश में कांग्रेस समाप्ति को ओर है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यदि साव साहब को कांग्रेस का भविष्य जान गए तो अपना भी भविष्य जानते होंगे। राजनीति में तो झूठ रामबाण औषधि है, चुनाव के वक्त जो भी वादा करो उसे सत्ता में आते ही तुरंत निकाल फेंक दो ताकि कोई उस झूठ को सच मत समझ बैठे। यही राजनीति का मूल मंत्र है।
दोनों हाथ में लड्डू ...
रायपुर में ब्राम्हण समाज के लोग बहुत खुश हैं कि हमारे तीन -तीन प्रत्याशी मैदान में हैं कोई भी जीते हमारे ही लोग राज करेंगे। जैसे-जैसे नगरीय निकाय चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है समाज में उत्साह देखते ही बन रहा है। पहले नारा लगता था कि जात-पात न देखें अपने वार्ड और शहर की तरक्की के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्षद और महापौर चुनो , अब वो नारा लुप्त हो गया है। ज्यादातर वार्डों में क्या शहर में जात-पात का समीकऱण ही दिखाई दे रहा है। इसके ठीक विपरीत महापौर पद के लिए ब्राम्हण समाज से ही तीनों उम्मीदवार ने समाज को असमंजस्य में डाल दिया है। किसे वोट दें और किसे न दें। इसका बड़ा अच्छा विकल्प हमारे समाजसेवियों ने निकाल लिया है। महापौर कोई भी जीते हमारे ही होंगे। हमारे तो दोनों हाथ में लड्डू और सिर पर चाशनी की कढ़ाई है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इसी तरह की सोच पूरे 70 वार्डों में आ जाए तो राजनीतिक पार्टियों को चुनाव प्रचार में खर्च करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। क्योंकि जो पार्षदी के लिए जो चुनाव लड़ रहे है वो हमारे ही अपने है। भले ही जीतने के बाद वार्ड का विकास हो या न हो उनका तो विकास होना तय है। निगम की राजनीति की कढ़ाई में हर कोई यही समझ रहा है कि यह तो चाशनी की कढ़ाई है पांच साल तक डुबकी लगाते रहो।