कवर्धा। जिला स्तरीय रामायण मंडली प्रतियोगिता बुधवार को जिला मुख्यालय के वीर सावरकर भवन में संपन्न हुई। छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग के निर्देशानुसार रामायण मंडलियों को प्रोत्साहित करने के लिए जिला स्तरीय रामायण मंडली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिला स्तरीय प्रतियोगिता में जिले में विकासखंड स्तर पर हुए रामायण मंडली प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त विजेता टीमों ने भाग लिया। कलेक्टर जनमेजय महोबे और जिला सीईओ संदीप अग्रवाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर जिला स्तरीय रामायण मंडली प्रतियोगिता विधिवत शुभारंभ किया। जिला स्तरीय रामायण मंडली प्रतियोगिता के समापन समारोह में कलेक्टर जनमेजय महोबे और जिला सीईओ संदीप अग्रवाल शामिल हुए। उन्हांने जिला स्तरीय रामयण मंडली प्रतियोगिता में भाग लेने वाले मानस मंडलियों को प्रशस्ति पत्र, शील्ड देकर सम्मानित किया। जिला स्तरीय रामायण मंडली प्रतियोगिता में कवर्धा विकासखंड के भजनांमृत मानस मंडली ग्राम बम्हनी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया और राज्य स्तरीय रामायण मंडली में कवर्धा जिले का प्रतिनिधित्व करेंगे। सहसपुर लोहारा विकासखंड के मुक्तिवीर मानस मंडली ग्राम सिंघनगढ़ ने द्वितीय एवं बोड़ला विकासखंड के मां सरस्वती मानस मंडली ग्राम ढोंगई टोला ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले भजनांमृत मानस मंडली ग्राम बम्हनी को 50 हजार रूपए की पुरस्कार राशि दी गई।
छत्तीसगढ़ राज्य धार्मिक व सांस्कृतिक विरासतों से समृद्ध एक ऐसा प्रदेश है, जिसका श्रीराम, माता कौशल्या व उनके जीवन चरित्र पर आधारित महाकाव्य रामायण से बहुत गहरा संबंध है। छत्तीसगढ़ राज्य को श्रीराम की माता कौशल्या की जन्मभूमि होने का विशेष गौरव प्राप्त है। माता कौशल्या का जन्म तत्कालीन दक्षिण कोसल में हुआ था, जो वर्तमान छत्तीसगढ़ में है। माता कौशल्या को उनके उदार भाव, उनके ज्ञान व श्रीराम के प्रति उनके वात्सल्य भाव के लिये जाना जाता है, यही कारण है कि उन्हें मातृत्व भाव के प्रतीक के रूप में कई स्थानों पर पूजा जाता है, परंतु छत्तीसगढ़ राज्य एक मात्र ऐसा प्रदेश है जहां चन्द्रखुरी नामक स्थान पर माता कौशल्या को समर्पित मंदिर स्थापित है। भगवान राम ने अपने 14 वर्ष के वनवास के लगभग 10 वर्ष अधिकांशतः दण्डकारण्य में व्यतीत किये हैं एवं उक्त सभी स्थानों पर श्रीराम की उपस्थिति से संबंधित बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं। मध्य भारत में स्थित छत्तीसगढ़ प्रदेश के वनक्षेत्र के संदर्भ में ऐसी धारणा है कि श्रीराम ने अपने वनवास अवधि का एक महत्वपूर्ण भाग यहां व्यतीत किया था, इसलिए इस क्षेत्र में श्रीराम को समर्पित बहुत से मंदिर एवं पवित्र स्थल स्थित हैं। यह क्षेत्र कई आदिवासी समुदायों का भी निवास स्थान माना जाता है, जिन्होंने सदियों से अपने पूर्वजों की परंपराओं व संस्कृति को सहेज कर रखा है। श्रीराम ने छत्तीसगढ़ की दो सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदियां शिवनाथ व महानदी के तट के निकट अपने वनवास का अधिकांश समय बिताया था।