राजधानी में रोज सट्टे का नया अड्डा आबाद हो रहा

Update: 2021-08-13 04:56 GMT

शहर के लोकल सटोरियों पर पुलिस मेहरबान, नई हो रही कार्रवाई

रायपुर (जसेरि)। राजधानी में सट्टा कारोबार खुलेआम चल रहा है, रोजाना पुलिस कार्रवाई कर रही है मगर उसके बाद भी किसी तरह का कोई असर सटोरियों पर नहीं हो रहा है। सट्टा कारोबार पर नकेल कसने में पुलिस फेल साबित हो रही है। जिले में सट्टा कारोबार चरम सीमा पर चल रहा है जिसके लगातार वीडियो वायरल हो रहे है लेकिन जिले की पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। वही पुरानी बस्ती इलाके में देव ने अपना कारोबार धड़ल्ले से शुरू कर दिया है। देव अपना सट्टा कारोबार अपने गुर्गों के मदद से चला रहा है। पुरानी बस्ती थाना के पीछे भी देव अपना सट्टे का कारोबार चला रहा है।

देव गैंग हुआ सक्रिय

शहर में काफी दिनों से सट्टा कारोबार धडल्ले से चल रहा है। पुरानी बस्ती इलाके में देव अपना कारोबार पुलिस के खौफ के बिना चला रहा है, रोज अपने अड्डों पर सट्टा-पट्टी कटवाता है। देव ने अपने कारोबार पकडे जाने का डर नहीं है, पुलिस का कोई खौफ तो दिख नहीं रहा है। इन दिनों सट्टे का अवैध कारोबार जोर शोर से चल रहा है। एक रुपए को अस्सी रुपया बनाने के चक्कर में खासकर युवा वर्ग अधिक बर्बाद हो रहे हैं। सट्टे के इस खेल को बढ़ावा देने सटोरी ग्राहकों को मुफ्त में स्कीम देखने सट्टे नंबर वाले चार्ट उपलब्ध करा रहे हैं। इसका गुणा भाग कर ग्राहक सट्टे की चपेट में बुरी तरह से फंस कर पैसा इस अवैध कारोबार में गंवा रहा है।

सटोरियों और बुकियों का बना संगठन

रायपुर में सटोरिए और बाहर से आये बुकी एक संगठित गिरोह के रूप में काम कर रहे हैं। सट्टा खिलाने वालों की एक अजीबो-गरीब भाषा है। यानी कोर्डवर्ड हैं। महज एक फोन पर दांव लग जाता है और ऐसे ही रद्द भी हो जाता है। हार-जीत की राशि का बकायदा अगले दिन किसी जनरल स्टोर, मोबाइल शॉप या पान की दुकान से भुगतान कर दिया जाता है। खेलने वालों को भी




 


 एजेंट को एडवांस देकर अकाउंट खुलवाना पड़ता है, जिसकी एक लिमिट होती है।

वीडियो भी हो रहा वायरल

सटोरियों की सट्टा पट्टी काटते हुए एक वीडियो जनता से रिश्ता ने अपने समाचार पत्र के जरिए छापकर लोगों में जागरूकता बनाई थी। उसके बाद भी उस जगह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सट्टे के भाव को डिब्बे की आवाज बुलाया जाता है। सट्टेबाज 20 ओवर को लंबी पारी, दस ओवर को सेशन और छह ओवर तक सट्टा लगाने को छोटी पारी खेलना कहते हैं। दिल्ली-मुंबई में बैठे बुकी को इनकी भाषा में डिब्बा कहा जाता है। सावधानी इतनी होती है कि एक बार कोई नंबर उपयोग हो गया तो उसे दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता।

छुटभैय्या नेताओं का मिल रहा संरक्षण

सामान्य तौर पर बड़े पुलिस अधिकारी और पुलिस के पुराने अधिकारी यह मानते है कि सारे अवैध कारोबार के पीछे छुटभैय्ये नेताओं का हाथ है, जिसके कारण राजधानी में सट्टा-जुआ और नशे के कारोबारियों पर हाथ डालते ही राजनीतिक दबाव बनना शुरू हो जाता है। पुलिस अपराध नियंत्रण करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग करने के साथ जागरूकता अभियान भी चला कर देख चुकी है। लेकिन अवैध कारोबार की चुनौती कम नहीं हो रही। अवैध कारोबार में राजनीतिक संरक्षण ही पुलिस के काम में सबसे बड़ा बाधक है।

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