18 साल के लड़के की गिरफ्तारी पर रोक, हाईकोर्ट में खुद की पैरवी

Update: 2024-08-20 06:31 GMT

बिलासपुर bilaspur news। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में 18 वर्षीय स्कूल स्टूडेंट ने प्रोफेशनल वकील की तरह चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में दलील पेश की। छात्र ने बताया कि वह 10 वीं कक्षा पास करने के बाद आगे की पढ़ाई करना चाहता है पर, माफियाओं के इशारे पर पुलिस ने उसे झूठे केस में फंसा दिया है। माफिया और पुलिस दोनों मिलकर उसे लगातार परेशान कर रहे हैं। याचिकाकर्ता स्टूडेंट ने कोर्ट को बताया कि माफिया ने पुलिस के साथ साजिश रचकर एक ही समय में एक ही थाने में दो अलग-अलग FIR दर्ज करा दिया है। माफिया उसे लगातार परेशान कर रहे हैं। भय के कारण वह घर में रह नहीं पा रहा है। जिसके चलते 11 वीं क्लास में पढ़ाई के लिये स्कूल में एडमिशन भी नहीं हो पाया है। Chattisgarh High Court 

तोरवा मेन रोड निवासी पीयूष गंगवानी पिता स्वर्गीय रामचंद्र गंगवानी का जमीन विवाद पिछले 3 साल से अधिक समय से कारोबारी नरेंद्र मोटवानी के साथ चल रहा है। रामचंद्र गंगवानी अधिवक्ता थे। उनकी मौत के बाद उनके पीछे परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे है। रामचंद्र के बेटे पीयूष गंगवानी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने ऊपर दर्ज अपराध को रद करने की मांग की है। याचिका की सुनवाई के जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में हुई। याचिका में पीयूष गंगवानी ने बताया कि भूमिया नरेंद्र मोटवानी उसके घर और घर से लगी जमीन को जबरदस्ती खरीदना चाहता है, जबकि वह जमीन नहीं बेचना चाहते। जमीन बेचने के लिए वह कई बार धमका चुका है और जेल भिजवाने की भी धमकी दे चुका है। पीयूष ने बताया कि शहर के नामी आदतन बदमाश दयालबंद निवासी ऋषभ पनीकर को भी दबाए बनाने के लिए नरेंद्र मोटवानी ने अपने साथ शामिल कर लिया है। ऋषभ ने उसे जमीन बेचने के लिए धमकी दी थी।

याचिकाकर्ता पीयूष ने बताया कि 20 सितंबर 2022 को शाम करीब 5 बजे वह अपनी मां के साथ स्कूटी में सामान खरीदने गोलबाजार जा रहा था।उसी वक्त गांधी चौक के पास नरेंद्र मोटवानी व ऋषभ पनीकर अपनी कार में आए। उन्होंने हम दोनों को रोक लिया और जबरदस्ती कार में बैठा अगवा कर लिया। मां बेटे को दयालबंद स्थित ऋषभ के ऑफिस में ले गए। इस दौरान नरेंद्र मोटवानी व ऋषभ पेंडलवार अस्पताल के पास वाली उनकी जमीन को अपने नाम लिखवाने के लिए दबाव बनाने लगे और लात– घुसो से जमकर मारपीट की। इस दौरान पीयूष की उसकी हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाती रही।

याचिकाकर्ता ने बताया कि जब मेरे खिलाफ केस बनाया तब 17 साल का था, लेकिन इन्होंने कहीं भी मेरा identity नहीं लगाया है। लॉर्डशिप जैसे ही मेरी उम्र 18 साल हुई तो पुलिस ने मेरे ऊपर IT ACT और 420 का केस बना दिया। एक ही थाने में बनाया और एक ही टाइम पर दो केस बना दिए। नोटिस में मेरा फर्जी साइन कर दिया और मैं अंडर 18 हूं, मेरा कोई दस्तावेज नहीं दिया गया। मेरी उम्र कुछ भी लिख दी है। मेमोरेंडम के बेस पर केस बना दिया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि instagram में उनका नंबर एड करके उन्हें फंसाया जा रहा है। 10-15 और लोगों ने भी माफ़िया के खिलाफ केस किया हुआ है। इन दोनों लोगों में से एक अभी जेल में बंद हैं और अब वह बेल पर बाहर आने वाला है। याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद जज ने स्टेट काउंसिल को अगली सुनवाई तक काउंटर एफडेविट जमा करने का निर्देश दिया। आरोपी की बेल पर भी कोर्ट ने रोक लगा दी है।

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