101 श्रावक-श्राविकाओं ने शुरू किया सिद्धि तप, रायपुर में ऐसा पहली बार

Update: 2024-07-29 02:43 GMT

रायपुर raipur news । विवेकानंद नगर स्थित श्री संभवनाथ जैन मंदिर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 का आयोजन किया गया है और इसी कड़ी में शनिवार को 101 श्रावक-श्राविकाओं ने सिद्धि तप शुरू किया। चातुर्मास के दौरान रायपुर में यह पहला मौका है जब एक साथ इतनी बड़ी संख्या में सिद्धि तप किया जा रहा है। रायपुर के पुत्ररत्न मुनि श्री प्रियदर्शी विजयजी, आजस्वी प्रवचनकार मुनि श्री तीर्थप्रेम विजयजी, कार्यकुशल साध्वी रत्ननिधि श्रीजी म.सा. और प्रवचन प्रभाविका साध्वी रिद्धिनिधी श्रीजी म.सा. आदि ठाणा के पावन निश्रा में तपस्वियों ने प्रभु की पूजा-अर्चना की और तपस्या निर्विघ्न पूर्ण करने की प्रार्थना की एवं प्रभु के आशीर्वाद के साथ शनिवार को सिद्धि तप की शुरूआत हुई, तपस्वियों ने मंत्रोच्चार और विधिविधान के साथ प्रदक्षिणा की। इसी क्रम में खैरागढ़ के संभव लूनिया ने संगीतमयी भजनों की प्रस्तुति दी।

chhattisgarh news सिद्धि तप के शुरूआत के अवसर पर मुनिश्री ने प्रवचन के माध्यम से तप की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सिद्धि तप करने से एक उपवास से एक, दो उपवास से दस, तीन उपवास से 100, चौथे उपवास से एक हजार, पांचवें उपवास से 10 हजार, छटवें उपवास से एक लाख, सातवें उपवास से 10 लाख और आठवें उपवास की श्रृंखला पूरी करने से एक करोड़ उपवास का लाभ मिलता है। सभी उपवास पूरे करने पर एक करोड़ ग्यारह लाख ग्यारह हजार ग्यारह उपवास का लाभ तपस्वी को मिलता है।

क्या है सिद्धि तप

सिद्धि तप 44 दिनों का होता है और इसे जैन धर्म में महातप माना जाता है। तप की शुरूआत एक दिन के उपवास से होती है और अगले दिन व्यासना होता है। फिर दो दिन का उपवास और अगले दिन व्यासना होती है। फिर तीन दिन उपवास और व्यासना, उसके बाद चार दिन उपवास और व्यासना ऐसा करते हुए यह क्रम सात दिनों के उपवास पर थमता है और आठवें दिन पारणा किया जाता है। व्यासना के दौरान दिन में दो बार भोजन ग्रहण किया जाता है और उसके बाद सूर्यास्त तक केवल गर्म पानी पीने का नियम होता है।

बच्चों का रविवारीय शिविर आज

श्री संभवनाथ जैन मंदिर प्रांगण में रविवारीय संस्कार शिविर 'सिंचन' का आयोजन किया गया है। यह संस्कारीय शिविर पांच रविवार चलेगा, जिस क्रम में आज 28 जुलाई को ट्रूथफूलनेस यानी सच्चाई के विषय में बच्चों को बताया जाएगा और खेल-खेल में बच्चों को सरलता के साथ जीवन जीने की कला सिखाई जाएगी। शिविर में 6 से 16 वर्ष के बच्चें भाग ले सकते है। शिविर का उद्देश्य बच्चों को स्मार्ट बनाना, उनके नैतिक मूल्यों को विकसित करना और बेहतर समाज बनाने में उनकी भूमिका के बारे में अवगत कराना है।

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