बिहार के राज्यपाल इशारों-इशारों में शिक्षा विभाग के अधिकारी पर बरसे, कहा, शिक्षक से लेकर कुलपति तक को उच्च दर्जा मिले
पटना (आईएएनएस)। बिहार में मंगलवार को शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की खूब चर्चा रही। शिक्षक दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भी बिना किसी का नाम लिए पाठक पर बरसे।
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उपस्थित रहे। पटना विश्वविद्यालय के नव सौन्दर्यीकृत व्हीलर सीनेट हाउस के लोकार्पण कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कराते हुए राज्यपाल ने कहा कि प्राथमिक शिक्षक से लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति तक सभी हमारे शिक्षक हैं और हमें उन्हें उच्च दर्जा देना चाहिए।
शिक्षक ही विद्यार्थियों को सुसंस्कृत बनाते हैं और इससे वे अनुशासित बनते हैं। संस्कार देने का केन्द्र विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय होते हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों का योगदान अतुलनीय होता है। वे हमारे आदर्श हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं। हमें उनका सम्मान करना चाहिए।
राज्यपाल ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन को उनके जन्मदिन पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि वह सिर्फ एक शिक्षक ही नहीं बल्कि उच्च कोटि के विचारक एवं हमारे मार्गदर्शक भी थे तथा तत्कालीन समय की मांग को समझकर हमारे ऋषियों के अनुपम अवदानों का जागरण किया। देश के विकास के लिए डॉ. राधाकृष्णन का वैचारिक योगदान अविस्मरणीय है।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की उपस्थिति में कहा कि शिक्षकों की समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए तथा उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए।
उन्होंने विद्यार्थियों की संख्या के अनुरूप शिक्षकों की संख्या को भी आवश्यक बताया। उन्होंने राज्य में शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा से जुड़े सरकार के सभी प्राधिकारों को आपस में समन्वय बनाकर काम करना होगा।
राज्यपाल ने पटना विश्वविद्यालय की पत्रिका के विशेषांक का विमोचन किया । उन्होंने उल्लेखनीय योगदान के लिए विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त एवं कार्यरत शिक्षकों, शिक्षिकाओं एवं कर्मियों को सम्मानित भी किया।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में केके पाठक द्वारा लिए गए कई फैसले को लेकर सवाल उठते रहे है। शिक्षा विभाग ने जहां स्कूलों की छुट्टियों में कटौती कर दी थी, वहीं विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रति कुलपति के वेतन पर भी रोक लगा दी गई थी।