सुप्रीम कोर्ट में किया है चैलेंज, पटना हाई कोर्ट का वह फैसला जिसे बिहार सरकार
दिल्ली/पटना/गोपालगंज. खजूरबानी जहरीली शराबकांड मामले में 9 दोषियों की मौत की सजा को रद्द किए जाने के पटना हाई कोर्ट के फैसले को बिहार सरकार ने चुनौती दी है. इस केस की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने जल्द ही मामले की सुनवाई करने की बात कही है. बता दें कि पटना हाई कोर्ट ने इस माममले में सभी नौ दोषियों की मौत की सजा को रद्द कर दिया था.
यह पूरा मामला साल 2016 का है जिसमें गोपालगंज के खजूरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी. इसके साथ ही छह लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. लेकिन, आबकारी स्पेशल कोर्ट द्वारा सभी 9 दोषियों को सजा ए मौत के फैसले को पटना हाईकोर्ट ने हाल में पलट दिया था. इससे नौ दोषियों को राहत मिल गई थी. मगर अब राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
बता दें कि हाई कोर्ट ने छठू पासी, कन्हैया पासी, नगीना पासी, लाल बाबू पासी, राजेश पासी, सनोज पासी, संजय चौधरी और मुन्ना समेत सभी दोषियों की फांसी की सजा रद्द कर दी थी. गौरतलब है कि गोपालगंज आबकारी विशेष न्यायालय सह एडीजे लवकुश कुमार ने नौ आरोपियों को मौत की सजा और 4 महिलाओं को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी.
पूरा मामला समझिये
घटना वर्ष 2016 की है. इसमें गोपालगंज के खजूरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गीई थी. कई लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई थी. इसको लेकर नगर थाना कांड संख्या 347/16 में जहरीली शराब बनाने को लेकर मामला दर्ज किया गया था. इस शराबकांड के बाद नगर थाना पुलिस ने खजुरबानी गांव के नगीना पासी, रुपेश शुक्ला सहित कुल 14 लोगों को अभियुक्त बनाया था.इस केस में पुलिस ने 14 अक्टूबर 2016 को कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी.
19 अक्टूबर 2016 को कोर्ट ने मामले में संज्ञान लिया. इसके बाद इसी मामले में 25 मई 2017 को चार्ज फ्रेम किया गया. इसके बाद प्रक्रिया आगे बढ़ी और अभियोजन पक्ष से 7 लोगों की गवाही दर्ज की गई. एक आरोपी की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई थी. 120 दिनों तक बहस हुई और इसके बाद 26 फरवरी 2021 को सभी 13 आरोपियों को दोषी करार दिया गया था.
दोषी करार दिए गए सभी 13 जीवित नामजद अभियुक्तों को खजूरबानी कांड में दोषी करार दिया था. इनमें छट्ठू पासी, नगीना पासी, राजेश चौधरी, संजय पासी, संजय पासी, मुन्ना पासी, कन्हैया पासी, लालबाबू पासी और सनोज पासी को फांसी की सजा सुनाई गई थी. वहीं, रीता देवी, इंदु देवी, लालझड़ी देवी और कैलाशो देवी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. सभी आरोपियों पर 10-10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था. मगर गत 13 जुलाई को पटना उच्च न्यायालय ने उत्पाद विशेष कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सभी नौ दोषियों की फांसी की सजा को रद्द कर दिया था.