Siwan: खेतों में ड्रोन से किया जा रहा कीटनाशक का छिड़काव
पारंपरिक तरीके से कीटनाशकों का छिड़काव करने से हेल्थ पर इसका इफेक्ट पड़ता है
सिवान: जिले में अब खेती को हाईटेक बनाने का कार्य किया जा रहा है. खेती को हाईटेक करने में जुटा कृषि विभाग खेतों में कीटनाशक छिड़काव से लेकर फसलों की मॉनिटरिंग तक सब कुछ ड्रोन कैमर से करेगा. पारंपरिक तरीके से कीटनाशकों का छिड़काव करने से हेल्थ पर इसका इफेक्ट पड़ता है, लेकिन ड्रोन के इस्तेमाल से इससे बचा जा सकता है. बताते हैं कि ड्रोन के इस्तेमाल से किसानों के समय की बचत होगी, वहीं लागत में भी कमी आएगी. पारंपरिक खेती की बजाय आधुनिक व तकनीकी खेती को बढ़ावा दे रहे कृषि विभाग के अनुसार, खेती की बढ़ती लागत व प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को खेती में नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में ड्रोन जैसी टेक्नोलॉजी के जरिए की गई प्रिसिजन फार्मिंग बेहतर विकल्प दे सकती है. ड्रोन का इस्तेमाल कर किसान लागत में कमी व समय की बचत कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. सहायक निदेशक पौधा संरक्षण आलेख कुमार शर्मा ने बताया कि इफको ने पांच ड्रोन कैमरा उपलब्ध कराया है. इससे तरल उर्वरक का छिड़काव किया जायेगा. ड्रोन कैमरा से फर्टिलाइजर का छिड़काव खेतों में करना अधिक प्रभावी होगा. पौधा संरक्षण के लिए कीट, खर-पतवार, फफूंद, जीवाणु व विषाणु को खत्म करने में ड्रोन की मदद ली जायेगी. खरीफ सीजन में कई जगहों पर छिड़काव का ट्रायल भी किया जा रहा है. विभागीय स्तर पर खेती में नैनो यूरिया को बढ़ावा दिया जा रहा है. नैनो यूरिया में नाईट्रोजन की मात्रा 4 से बढ़कर 21 प्रतिशत हो गई है.किसानों को
अधिक लाभ व कृषि उत्पादकता में हो सकेगी वृद्धि कृषि विज्ञान केन्द्र भगवानपुर हाट की एसपीओ नव्या फॉर्मा किसान उत्पादक संघ को दो ड्रोन कैमरा उपलब्ध कराया गया है. इसके माध्यम से कृषि विज्ञान केन्द्र भगवानपुर हाट परिसर, भगवानपुर प्रखंड स्थित नगौली में किसान अशोक सिंह आदि के खेतों में ड्रोन कैमरा से छिड़काव किया जा रहा है. केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनुराधा रंजन कुमारी ने बताया कि ड्रोन तकनीक का उपयोग कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकता है, जिससे किसानों को अधिक लाभ व कृषि उत्पादकता में वृद्धि हो सकेगी. यह कदम कृषि क्षेत्र में प्रगति व आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. ड्रोन से सटीक फर्टिलाइजर छिड़काव से फसल की गुणवत्ता व उत्पादन दोनों में सुधार होता है. इससे फसल को आवश्यक मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं. यह फसल की गुणवत्ता में सुधार करता है, साथ ही उत्पादन को बढ़ावा देता है. ड्रोन का उपयोग पारंपरिक विधियों की तुलना में तेज है. इससे किसानों का समय व श्रम दोनों की बचत होती है. कम समय में अधिक क्षेत्र में फर्टिलाइजर का छिड़काव किया जाता है. पहाड़ी या जलमग्न क्षेत्रों में, जहां पारंपरिक उपकरणों का उपयोग कठिन होता है, वहां ड्रोन से आसानी से फर्टिलाइजर छिड़क सकते हैं. सटीक छिड़काव से फर्टिलाइजर की बर्बादी कम होती है, वहीं पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सकता है.
कृषि क्षेत्र में तकनीकी प्रगति के साथ, किसानों के लिए खेती को अधिक कुशल व प्रभावी बनाने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग एक महत्वपूर्ण कदम है. ड्रोन से फर्टिलाइजर का छिड़काव करने से कई तरह के लाभ मिलेंगे. इससे किसानों को बेहतर फसल व आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने में मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि ड्रोन से फर्टिलाइजर सीधे लक्षित क्षेत्रों पर डाला जाता है, जिससे अतिरिक्त रसायनों का उपयोग नहीं होता. ड्रोन का उपयोग फर्टिलाइजर छिड़काव के साथ-साथ फसल की स्थिति की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है. शुरूआती निवेश के बाद, ड्रोन का उपयोग लागत प्रभावी साबित हो सकता है. फर्टिलाइजर की सही मात्रा का उपयोग होने से लागत में कमी व श्रम की आवश्यकता कम होती है ड्रोन के उपयोग से छिड़काव का कार्य तेजी से होता है, जिससे किसानों को अन्य महत्वपूर्ण कृषि कार्यों पर ध्यान केन्द्रित करने का समय मिलता है.