रोहतास: सासाराम के वर्तमान नगर आयुक्त के स्थान पर नए की नियुक्ति होगी. नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति सदस्य व याचिकाकर्ता सुनील कुमार द्वारा दायर की गई अपील पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने मौखिक आदेश जारी किया है.
पटना उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि 08 जून 2024 को सशक्त स्थायी समिति की बैठक में नगर आयुक्त यतेंद्र कुमार पाल की सेवा वापसी का निर्णय लिया गया था. वहीं पत्रांक संख्या 285 दिनांक 10 जून 2024 के माध्यम से नगर विकास व आवास विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर सेवा वापसी को लेकर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया था. कार्रवाई नहीं होने पर याचिका दायर की गई थी. जिस पर न्यायालय ने वर्तमान नगर आयुक्त की नियुक्ति को समाप्त करने का निर्देश दिया है. साथ ही नगर निगम में एक सक्षम नगर आयुक्त की नियुक्ति का भी निर्देश दिया है. वहीं नए नगर आयुक्त की नियुक्ति सशक्त स्थायी समिति की परामर्श से करने का आदेश पारित किया है. वहीं मेयर के खिलाफ झूठी प्राथमिकी दर्ज कराने पर नगर आयुक्त के खिलाफ जांच कराने का सरकार को निर्देश दिया है. सशक्त स्थायी समिति द्वारा पारित आदेशों पर नगर आयुक्त द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर कारणपृच्छा जारी की है. याचिकाकर्ता द्वारा याचिका में कहा गया था कि नगर निगम क्षेत्र का संपूर्ण विकास कार्य नगर आयुक्त के मनमाने रवैये के कारण बाधित हो रहा है. जिस पर न्यायालय ने संज्ञान लिया है. कहा कि नगर विकास व आवास विभाग की ओर से जवाबी हलफनामा आया है. जिसमें कहा गया है कि संबंधित को सूचित कर दिया गया है. जबकि नगर विकास व आवास विभाग द्वारा पूरे पैराग्राफ को पढ़ा ही नहीं गया है. न्यायालय द्वारा कहा गया है कि याचिकाकर्ता द्वारा सम्मानपूर्वक नगर आयुक्त की नियुक्ति समाप्त करने की प्रार्थना की गई है. यह सामान्य प्रशासन विभाग की क्षमता और अधिकार क्षेत्र में आता है.
समिति ने नगर आयुक्त को हटाने का लिया था निर्णय नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति की बैठक जून को हुई थी. बैठक की सूचना नगर आयुक्त द्वारा सदस्यों को नहीं दी गई थी. बाद में मेयर काजल कुमारी ने बैठक की सूचना सदस्यों को दी थी. उक्त बैठक में नगर आयुक्त उपस्थित नहीं थे और न ही नगर निगम का कोई अधिकारी उपस्थित था. बैठक में सदस्यों ने नगर आयुक्त पर आरोपों की झड़ियां लगा दी थी. कहा था कि नगर आयुक्त का व्यवहार व आचरण जिम्मेदार पदाधिकारी के विधि सम्मत आचरण से विपरीत है. याचिकाकर्ता सुनील कुमार ने कहा कि सत्य की जीत हुई है. कानून पर पूरा भरोसा था. सशक्त स्थायी कमेटी की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार ही अधिकारी को कार्य करना है.