बेगूसराय। संरक्षित ट्रेन संचालन में सिग्नलिंग सिस्टम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। रेलवे में उपयोग में आने वाले उपकरणों का उन्नयन और प्रतिस्थापन एक सतत प्रक्रिया है, जिसे आवश्यकताओं के अनुरूप संसाधनों की उपलब्धता एवं परिचालन आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता है। पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी वीरेन्द्र कुमार ने बताया कि समय-समय पर ट्रेन संचालन में संरक्षा को और बेहतर बनाने तथा लाइन क्षमता में बढ़ोतरी के उद्देश्य से सिग्नलिंग सिस्टम का आधुनिकीकरण किया जाता है। इसी कड़ी में ट्रेनों की गति तेज करने और सुरक्षित सफर के लिए सिग्नल सिस्टम को मजबूत बनाने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया है। इस सिस्टम से वर्तमान आधारभूत संरचना के साथ रेलवे लाइन की क्षमता बढ़ जाएगी और ज्यादा ट्रेनें चल सकेगी।
उन्होंने बताया कि पूर्व मध्य रेल के 494 स्टेशनों में से अब तक 162 स्टेशनों को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलिंग इंटरलॉकिंग सिस्टम से लैस किया जा चुका है। पूर्व मध्य रेल के मौजूदा उच्च घनत्व वाले मार्गों पर लाइन क्षमता को बढ़ाते हुए और अधिक ट्रेनों के परिचालन में स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली काफी मददगार होगा। मिशन रफ्तार के तहत पूर्व मध्य रेल के कई रेलखंडों को लैस करने के लिए वर्तमान में यह प्रणाली प्रारंभिक चरण में है। अभी एब्सल्यूट ब्लाक सिस्टम (परंपरागत) चल रहा है, जिसमें एक ब्लाक सेक्शन में ट्रेन के अगले स्टेशन पर पहुंच जाने के बाद ही पीछे वाली ट्रेन को आगे बढ़ने के लिए ग्रीन सिग्नल मिलता है। जिससे खाली रेल लाइनों की क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है। पूर्व मध्य रेल के छपरा-हाजीपुर-बछवाड़ा-बरौनी-कटिहार (316 किलोमीटर) रेलखंड, बरौनी-दिनकर ग्राम सिमरिया (छह किलोमीटर), समस्तीपुर-बेगूसराय (68 किलोमीटर), पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन-मानपुर (214 किलोमीटर), मानपुर-प्रधानखंटा (203 किलोमीटर) रेलखंडों पर स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली लगाए जाने की योजना है। इन रेलखंडों में से पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन-मानपुर (214 किलोमीटर) तथा मानपुर-प्रधानखंटा (203 किलोमीटर) रेलखंड पर स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली के साथ-साथ ''कवच'' प्रणाली से भी युक्त किया जाएगा। इससे ट्रेनों के आवागमन में काफी आसानी होने के साथ ही यात्रियों को भी बेहतर सुविधाएं मिल सकेगी।
''कवच'' प्रणाली किसी भी आपात स्थिति में स्टेशन एवं लोको ड्राईवर को तत्काल कार्रवाई के लिए सचेत करने, साइड-टक्कर, आमाने-सामाने की टक्कर एवं पीछे से होने वाली टक्करों की रोकथाम करने में यह प्रणाली पूर्णतः सक्षम है। स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली में दो स्टेशनों के मध्य प्रत्येक एक किलोमीटर की दूरी पर सिगनल लगाए जाते हैं। नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टाटर सिगनल से आगे प्रत्येक एक किलोमीटर पर सिग्नल लगाए जाते हैं। सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी। अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी, जो ट्रेन जहां रहेंगी, वहीं रुक जाएगी। ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जाने से एक ही रूट पर एक किलोमीटर के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेनें चल सकेगी। इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या भी बढ़ सकेगी। वहीं, कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा। स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा। यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चल सकेगी। इसके साथ ही ट्रेनों का लोकेशन की जानकारी मिलती रहेगी।