बेगूसराय: शहरी क्षेत्र धूल के धुंध में डूब रहा है. शहर की मुख्य से लेकर विभिन्न सड़कों पर बेहिसाब धूलकण उड़ने से प्रदूषण लेवल खतरनाक स्थिति पर पहुंच गया है. शहरवासियों समेत जिला जज, डीएम, एसपी, सरकारी कर्मी से लेकर विभिन्न कामों को लेकर शहर पहुंचने वाले आम व खास लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है. एलर्जी होना अलग से. उड़ रहे धूलकण से लोग तरह-तरह बीमारियों से जूझ रहे हैं. पीएम 2.5 सांद्रता के साथ बेगूसराय वैश्विक स्तर पर सबसे प्रदूषित शहर के रूप में सामने आया है. यह जिले से लेकर नगर निगमवासियों के सेहत के लिए ठीक नहीं है.
वर्तमान हालत यह है कि शहर के मुख्य सड़क से लेकर विभिन्न सड़कों पर मिट्टी पसरी हुई है लेकिन निगम प्रशासन बेखबर है. जबकि शहर की साफ-सफाई के नाम पर निगम का हर माह 50 से 60 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं. प्रदूषण लेवल को कम नहीं किया गया तो आने वाले समय में शहरवासियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.कपस्या से ट्रैफिक चौक तक एनएच- पर फ्लाईओवर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. शहर में एसके महिला कॉलेज से खातोपुर चौक तक सिवरेज का काम होने से सड़क को खोदकर छोड़ दी गयी है. इधर, ट्रैफिक चौक से नगर थाना चौक, यहां से हड़ताली चौक, निगम चौक कालीस्थान होते हुए विष्णुपुर चौक तक सड़क पर मिट्टी बिखरे पड़े हैं. विश्वनाथनगर, पावरहाउस रोड, कर्पूरी स्थान चौक से लेकर हर हर महादेव चौक सड़क खोदे जाने के बाद पीसीसी सड़क नहीं है.
यही हाल हड़ताली चौक से कलेक्ट्रेट होते हुए एसपी कार्यालय तक है.
भी रोड की हालत खराब है. वजह सिवरेज निर्माण. सबसे ताज्जूब की बात यह है कि जहां सिवरेज का निर्माण नहीं हो रहा है उस सड़क पर भी मिट्टी गिरे पड़े हैं. यह इशारा कर रहा है कि सिवरेज निर्माण में निकल रही मिट्टी को रात के अंधेरे में इसी रास्ते कहीं ले जा जाता है.
यदि मिट्टी से भरे वाहन को ढ़ककर ले जाया जाता तो शायद न तो सड़क पर मिट्टी गिरती न ही शहर धूलकण से भरा होता. इस ओर ध्यान नहीं जाना इशारा कर रहा है कि निगम प्रशासन एकदम बेखबर है.