स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने का
दावा करता है. स्वास्थ्य विभाग हर साल अलग-अलग योजनाओं के नाम पर पैसा खर्च करता है. लेकिन इसके बावजूद व्यवस्थाओं में कोई बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है. ताजा मामला जमुई जिले के झाझा रेफरल अस्पताल का है, जहां एक मरीज को इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर किया गया तो उसे एंबुलेंस से ले जाया गया. लेकिन जब मरीज एंबुलेंस में बैठा तो एंबुलेंस स्टार्ट नहीं हुई. इसके बाद मरीज के परिजन और मौजूद अन्य लोगों को एंबुलेंस को धक्का लगाना पड़ा, तब जाकर एंबुलेंस चालू हो सकी. बताया जाता है कि एक मरीज की हालत खराब होने के बाद उसे झाझा रेफरल अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. तीन एंबुलेंस हैं और तीनों की हालत खराब
bad condition है. आपको बता दें कि झाझा रेफरल अस्पताल में फिलहाल तीन एंबुलेंस हैं और तीनों की हालत खराब है. उनमें से एक में वे मरीज को जमुई ले गये. काफी प्रयास के बाद भी जब एंबुलेंस स्टार्ट नहीं हुई तो मौजूद लोगों को धक्का लगाना पड़ा। इस संबंध में अस्पताल निदेशक नवनीत कुमार ने लोकल18 को बताया कि एंबुलेंस चालक लंबे समय से हड़ताल पर थे, जिसके कारण एंबुलेंस खड़ी रही और उसमें तकनीकी खराबी आ गयी. हड़ताल खत्म होने के बाद एंबुलेंस को दो बार गैरेज भेजा गया, लेकिन ठीक से मरम्मत नहीं हो सकी. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि जिला स्वास्थ्य विभाग को भी पत्र के माध्यम से सूचित किया गया था कि एम्बुलेंस सेवा से बाहर है। एंबुलेंस में जो भी दिक्कत है, उसे जल्द दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन झाझा एंबुलेंस की खराब हालत की इस तस्वीर ने स्वास्थ्य व्यवस्था की सारी शिकायतों की पोल खोल दी है.