अब एजेंसियों की मनमानी नहीं चलेगी, सड़क मरम्मत की निगरानी ऑनलाइन होगी
बिहार की 13 हजार किलोमीटर सड़कों की मरम्मत की ऑनलाइन निगरानी होगी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार की 13 हजार किलोमीटर सड़कों की मरम्मत की ऑनलाइन निगरानी होगी। एजेंसियों की ओर से कब-कब सड़कों की मरम्मत हुई और इंजीनियरों ने कब-कब उसका जायजा लिया, यह पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा। सड़क मरम्मत में लापरवाही की शिकायत के बाद पथ निर्माण विभाग ने यह निर्णय लिया है। इन सड़कों की मरम्मत अभी ओपीआरएमसी (दीर्घकालीन निष्पादन और उपलब्धि आधारित पथ आस्तियों अनुरक्षण संविदा नीति) के तहत हो रही है।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार साल 2019 से ही ओपीआरएमसी मॉडल लागू है। इसके तहत साल 2026 तक सड़कों की मरम्मत का जिम्मा एजेंसियों को दिया जा चुका है। लेकिन विभाग को आए दिन सड़क मरम्मत में लापरवाही की शिकायत मिलती रहती है। समय पर सड़कों की मरम्मत नहीं होने से लोगों को टूटी-फूटी सड़कों से होकर गुजरना पड़ता है। एजेंसियों की मनमानी की शिकायत विधायकों के माध्यम से भी विभाग को प्राप्त होती है।
इन एजेंसियों की निगरानी इंजीनियरों को करनी है लेकिन वे भी इस काम में निष्क्रिय हो जा रहे हैं। कई स्थानों से इंजीनियर सड़क दुरुस्त होने की जानकारी भेज देते हैं लेकिन जब मुख्यालय से जांच कराई जाती है तो सड़कों की स्थिति ठीक नहीं पाई जाती। यही कारण है कि अब तक कई एजेंसियों के साथ ही दोषी इंजीनियरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। अब इंजीनियरों को मौके से ऑनलाइन रिपोर्ट भेजनी होगी।
ऐसी स्थिति भविष्य में नहीं हो, इसके लिए विभाग ने हर हाल में सड़कों को बेहतर रखने का निर्णय लिया है। इसके तहत कमांड एंड कंट्रोल रूम से सड़कों को जोड़ने की योजना पर काम चल रहा है। यह सुविधा विभाग में जल्द शुरू हो जाएगी। इस सिस्टम से यह देखा जा सकेगा कि कौन सी सड़क की मरम्मत कब-कब हुई है। साथ ही इंजीनियरों की भी इस प्रणाली से निगरानी हो सकेगी। कौन इंजीनियर किस सड़क की कितनी बार निरीक्षण कर रहे हैं, यह जानकारी भी विभाग को मिल जाएगी।
विभाग की कोशिश है कि इस प्रणाली से राज्य की मरम्मत हो रही 13 हजार किलोमीटर सड़कों को बेहतर रखा जा सके। गौरतलब है कि ओपीआरएमसी के तहत राज्य के स्टेट हाईवे व मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड की मरम्मत की जा रही है। सात साल के लिए 13063.26 किमी सड़कों की मरम्मत मद में 6654.27 करोड़ खर्च होने हैं। इस अवधि में कोई भी गड़बड़ी हुई तो निर्माण एजेंसी को ही उसे दुरुस्त करना है।
मरम्मत अवधि में एजेंसी को सड़क निर्माण के बाद कम से कम एक बार कालीकरण (नवीनीकरण) अलग से करना जरूरी है। वारंटी पीरियड में केवल सड़कों पर उभरने वाले गड्डों को भरने से काम नहीं चलेगा। सड़कों की सुरक्षा के साथ ही इसकी चिकनाई पर भी विशेष ध्यान देना है। सड़कों की बेहतर मरम्मत नहीं होने पर एजेंसी की राशि काट ली जाएगी।
अगर महीने में दो शिकायत मिली और तय समय में उसे दुरुस्त नहीं किया गया तो पैसे की कटौती दो बार की जाएगी। गंभीर त्रुटियों पर कटौती का प्रतिशत 40 प्रतिशत तक है। सड़कों की मरम्मत हो रही है या नहीं, इसकी जांच चार स्तर पर की जानी है। स्थानीय इंजीनियरों के अलावा मुख्यालय, अंचल स्तर के अलावा उड़नदस्ता टीम को भी औचक जांच करनी है।
एक नजर में ओपीआरएमसी
2018-19 से 2025-26 तक यह नीति काम करेगी
7731.61 किमी उत्तर बिहार की सड़कों की होगी मरम्मत
3623.27 करोड़ उत्तर बिहार की सड़कों पर होगा खर्च
5331.65 किमी दक्षिण बिहार की सड़कों की होगी मरम्मत
3031.49 करोड़ होगा दक्षिण बिहार की सड़कों पर खर्च