ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से बदल जाएगी उत्तर बिहार की सूरत, गोरखपुर से सिलीगुड़ी महज 6 घंटे में

बिहार को भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत 2025 तक नया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे मिलने वाला है।

Update: 2022-06-25 04:33 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार को भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत 2025 तक नया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे मिलने वाला है। गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक 520 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के लिए उत्तर बिहार में सर्वे का काम शुरू हो गया है। दोनों शहरों के बीच की दूरी महज 6 घंटे में पूरी हो सकेगी। यह एक्सप्रेसवे बिहार के 8 जिलों से होकर गुजरेगा। इसमें पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज से होकर गुजरेगा। इससे सूबे में आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ जाएगी।

बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को एनएच 27 के समानांतर बनाया जा रहा है। बिहार और नेपाल के लोगों के लिए पूर्वोत्तर भारत से लेकर दिल्ली और उत्तराखंड जाने में आसानी होगी। नेपाल की सीमा के पास बनने वाले इस एक्सप्रेसवे का सामरिक नजरिए से भी बड़ा महत्व है। यह एक्सप्रेसवे आबादी वाले क्षेत्रों से नहीं गुजरेगा। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होने के चलते इसके आसपास और बीच में पेड़-पौधे होंगे। यानी कि वाहन चालकों को इसपर हरियाली नजर आएगी।
बिहार में एक्सप्रेसवे का सबसे ज्यादा हिस्सा
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का सबसे ज्यादा हिस्सा बिहार में है। सूबे में इसकी लंबाई 416.2 किलोमीटर होगी। जबकि यूपी में 84.4 और पश्चिम बंगाल में 18.97 किलोमीटर है। अन्य सड़कों के मुकाबले इसमें एंट्री पॉइंट कम होंगे। यानी कि एक बार एक्सप्रेसवे पर चढ़ने के बाद कोई प्रमुख शहर आने पर ही फिर से उतर पाएंगे। अन्य सड़कों के मुकाबले यह रोड सीधा होगा, ज्यादा मुड़ाव नहीं होंगे। बिहार में जिन जिलों से होकर यह गुजरेगा, वहां सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा दने में मदद मिलेगी।
मोतिहारी में 507 किलोमीटर जमीन का होगा अधिग्रहण
गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस वे के लिए पूर्वी चंपारण जिले में सर्वे का काम शुरू हो गया है। जिला मुख्यालय मोतिहारी समेत आठ प्रखंडों से होकर यह सड़क गुजरेगीय़ अभी हरसिद्धि में सर्वे का काम चल रहा है। इसके बाद डीपीआर तैयार करके दिसंबर में टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी।
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