Katihar: आवेदकों के शेरघाटी दाखिल खारिज करवाने में छूट रहे पसीने
सेवा के अधिकार कानून के तहत आपत्ति रहित दाखिल खारिज वादों के निबटारे के लिए 18 दिनों की अवधि तय की गई है
कटिहार: शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र के शेरघाटी, आमस और डोभी अंचलों में जमीन खरीद के बाद उसके दाखिल खारिज में आवेदकों के पसीने छूट रहे हैं. सेवा के अधिकार कानून के तहत आपत्ति रहित दाखिल खारिज वादों के निबटारे के लिए 18 दिनों की अवधि तय की गई है, मगर यहां समय पर कार्य निबटारे का कानून बेअसर साबित हो रहा है. नतीजा है कि अंचल कार्यालयों में कर्मचारी और सीओ के स्तर पर लम्बित मामलों की तायदाद लगातार बढ़ती जा रही है. कुछ बानगी देखिए. दाखिल खारिज वादों के निबटारे में लेटलतीफी का यह आलम तब है, जब बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम 2011 के तहत दाखिल खारिज के आपत्ति रहित वादों के निबटारे के लिए 18 दिन की समय सीमा तय की गई है. आपत्ति वाले वादों में निबटारे के लिए 60 दिनों का समय तय किया गया है. इसके बावजूद जरूरतमंद 8-10 महीनों से दाखिल खारिज वादों के निबटारे का इंतजार कर रहे हैं. गौर करने वाली बात यह है कि इसके लिए किसी की जवाबदेही भी तय नहीं की जा रही है. स्थानीय लोगों का मानना यह है कि यह सब खुलेआम होने वाली रिश्वतखोरी और अधिकारियों-कर्मियों की अकर्मण्य कार्यशैली के कारण हो रहा है. आमस के अकौना की रीता देवी ने 6 सितम्बर को 12.5 डिस्मिल जमीन के दाखिल खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया था. अबतक सीओ के स्तर पर पेंडिंग है.
आमस के हमजापुर की शबाना परवीन ने साढ़े तीन डिस्मिल जमीन के दाखिल खारिज के लिए 11 अक्तूबर को ऑनलाइन आवेदन किया था, अबतक लम्बित है.
लोकसभा चुनावों के चलते वादों के निबटारे में रूकावट आई थी. अब काम में तेजी आई है. को अनुमंडल के तमाम अंचलाधिकारियों की बैठक बुलाई है, जिसमें दाखिल खारिज वादों के शीघ्रता से निबटारे को लेकर कार्ययोजना पर बातचीत होगी. -रंजीत कुमार रंजन, एलआरडीसी, शेरघाटी .