मुजफ्फरपुर में 8 करोड़ के टैब और मोबाइल पड़े बेकार, इस काम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने की खरीद

बीपी-शुगर और दूसरी बीमारियों की जांच रिपोर्ट बनाने के लिए राज्य की 14 हजार 909 एएनएम को मिले दस हजार टैबलेट दो वर्षों से बंद हैं।

Update: 2022-08-12 04:39 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बीपी-शुगर और दूसरी बीमारियों की जांच रिपोर्ट बनाने के लिए राज्य की 14 हजार 909 एएनएम को मिले दस हजार टैबलेट दो वर्षों से बंद हैं। दो वर्षों से इन टैबलेट को चालू ही नहीं गया है। इसकी खरीद पर लगभग आठ करोड़ रुपये खर्च हुए थे। एक टैब की खरीद में आठ हजार रुपये खर्च हुए थे। पूरे बिहार में सिर्फ 4646 टैब को ही चालू कर काम किया गया है। राज्य स्वास्थ्य समिति की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

मुजफ्फरपुर में भी 688 एएनएम को टैब दिए गए थे जिसमें 629 बंद हैं। टैब बंद होने से एनसीडी के तहत लोगों की बीपी और शुगर की जांच रिपोर्ट नहीं बन पा रही है। इससे आईडीएसपी (एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम) को भी सही रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। दो वर्ष पहले राज्य की एएनएम को हाईटेक बनाने के लिए टैब दिए गए थे। इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग भी दी गई थी। टैब का इस्तेमाल नहीं होने पर जिला अनुश्रवण व मूल्यांकन पदाधिकारी राजेश कुमार झा ने बताया कि वह इस बारे में पता कर कार्रवाई करेंगे।
टैब पर लॉगिंन कर भेजनी थी रिपोर्ट
एएनएम को मिले टैब से स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर लॉगिन कर रिपोर्ट भेजनी थी, लेकिन उनका टैब लॉगिन ही नहीं किया जा रहा है। कुछ एएनएम ने बताया कि उन्हें टैब तो दिया गया, लेकिन ट्रेनिंग सही से नहीं मिली। ट्रेनिंग नहीं मिलने से उन्हें लॉगिन करने और रिपोर्ट अपलोड करने में परेशानी होती है। वहीं, कुछ एएनएम ने बताया कि उनकी टैबलेट की बैट्री खराब है। जांच रिपोर्ट भेजने समय ही डिस्चार्ज हो जाती है। इस कारण जांच रिपोर्ट भेजने में परेशानी होती है।
आशा को मिले 3237 मोबाइल भी चालू नहीं
एएनएम के साथ आशा कार्यकर्ताओं को भी जांच रिपेार्ट तैयार करने के लिए पिछले वर्ष मोबाइल दिए गए थे। जिले की 4274 आशा कार्यकर्ताओं को मोबाइल मिले थे। एक मोबाइल की खरीद पर दस हजार रुपये खर्च हुए थे। मुजफ्फरपुर में 1037 मोबाइल से आशा काम कर रही हैं। आशा को एनसीडी (गैर संचारी रोग) सेल की सारी रिपोर्ट इसी मोबाइल से देनी थी। पिछले महीने प्रखंड मूल्यांकन व अनुश्रवण पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि वे आशा को ट्रेनिंग दें और मोबाइल पर लॉगिन कराएं, लेकिन इस निर्देश के बाद भी 3237 आशा कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग नहीं मिली।
रिपोर्ट नहीं बनने से एनसीडी रैंकिंग में पिछड़ा जिला
एनीसीडी सेल के प्रभारी डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि रिपोर्ट तैयार नहीं होने से एनसीडी रैकिंग में जिला पिछड़ गया है। एनसीडी रैंकिंग में पूरे जिले का स्थान 38 वां है। जिले में चार लाख 43 हजार 598 लोगों की शुगर और बीपी की जांच करनी थी, लेकिन लक्ष्य के बदले सिर्फ 2.60 प्रतिशत लोगों की जांच हो सकी है।
मुजफ्फरपुर समेत 25 जिले रेड जोन में
मुजफ्फरपुर समेत राज्य के 25 जिले टैब इस्तेमाल में रेड जोन में हैं। स्वास्थ्य समिति ने इसकी रिपोर्ट भीजारी की है। जिन जिलों में टैब का एकदम कम इस्तेमाल हो रहा है, इसमें सीतमाढ़ी, मुजफ्फरपुर, बांका, भोजपुर, जमुई, औरंगाबाद, खगड़िया, वैशाली, पूर्णिया, शेखपुरा, सुपौल, दरभंगा, नवादा, कटिहार, भागलपुर, मधुबनी, गया, गोपालगंज, पटना, सारण, किशनगंज, शिवहर, पश्चिम चंपारण, बेगूसराय और जहानाबाद शामिल हैं। सभी की रैंकिंग भी जारी की गई है। सबसे निचले पायदान पर सीतामढ़ी जिला है।
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