लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के करीबी रहे पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह का निधन, पटना में ली अंतिम सांस

बिहार के जमुई जिले के रहने वाले पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद राजधानी पटना के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।

Update: 2022-07-04 05:19 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार के जमुई जिले के रहने वाले पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद राजधानी पटना के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। जमुई में नरेंद्र सिंह का व्यक्तिगत राजनीतिक प्रभाव था। वर्तमान समय में उनके पुत्र सुमित कुमार राज्य सरकार में मंत्री हैं। पिछले कुछ महीनों से नरेंद्र सिंह लीवर की बीमारी से पीड़ित थे। पूर्व मंत्री के निधन की खबर मिलते ही जमुई जिले में शोक की लहर दौड़ गई। बड़ी संख्या में लोग पटना के लिए रवाना हो गए।

नरेंद्र सिंह ने जेपी आंदोलन के समय राजनीति में कदम रखा था। बिहार की राजनीति में उनकी एक अलग पहचान थी। छात्र जीवन से ही उन्होंने राजनीति की थी। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व.रामविलास पासवान समेत बिहार के सभी कद्दावर नेताओं से उनकी अच्छे रिश्ते थे।
1985 में नरेंद्र सिंह पहली बार चकाई विधानसभा से विधायक चुने गए थे। 1990 में जनता दल की सरकार बनाने में नरेंद्र सिंह का अहम योगदान रहा था। लालू प्रसाद के सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। 2005 में जब बिहार में सत्ता का परिवर्तन हुआ तो उसके अगुवा भी नरेंद्र सिंह ही रहे थे। नरेंद्र सिंह के पुत्र स्वर्गीय अभय सिंह जमुई और चकाई से विधायक रह चुके हैं। बड़े पुत्र अजय प्रताप भी जमुई विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया है। वर्तमान में सबसे छोटे पुत्र सुमित कुमार सिंह बिहार सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हैं।
नरेन्द्र सिंह का राजनीतिक इतिहास बड़ा ही गौरवपूर्ण रहा है। जमुई जिले की राजनीति उनके इर्द-गिर्द घूमती रहे हैं। अपने पिता के इकलौते संतान होते हुए भी जीवन में कभी उन्होंने आराम नहीं किया। छात्र जीवन से राजनीतिक सक्रियता ने उन्हें मुकाम दिया। वे 70 में दशक में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव चुने गये और छात्र विषयक संगोष्ठी में भाग लेने विदेश (क्यूबा) व अन्य देशों के भ्रमण पर भेजे गये।
राजनीति में रहते नरेन्द्र सिंह किसी के पिछलग्गू नहीं बने, बल्कि जनता के बुनियादी सवालों पर खुद सशक्त हुए और संगठन खड़ा किया। संघर्ष के जरिये लोगों का भला किया उसी से जनाधार बनाया और सत्ता की सियासत में जिस साथी को सहयोग किया, उसकी आंखों में आंखें डालकर अपने हक की बात की। नरेन्द्र सिंह कभी भी जाति धर्म के भेदभाव की राजनीति को अपने पास फटकने नहीं दिया, बल्कि हर हालत में समाजिक सद्भाव बनाये रखा। मन में सर्वधर्म समभाव, सबके लिए विकास की भावना ही नरेन्द्र सिंह की ताकत बनी।
Tags:    

Similar News

-->