बीते दिन संसद में महिला आरक्षण बिल लाया गया, जिसमें महिलाओं को 33% आरक्षण देने की बात सामने आयी है. वहीं, अब अगर ये आरक्षण मिल जाता है तो संसद में 181 महिला सांसद चुनकर आएंगी. वहीं, बिहार में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. जहां JDU पार्टी ने इसका स्वागत किया है और कहा कि आरक्षण के मामले में बिहार तो रोल मॉडल है तो वहीं आरजेडी ने इसका विरोध किया है और कहा कि अगर महिला सशक्तिकरण करना है तो आसमानी चीजों से नहीं होता है. उसके लिए अनुसूचित जाति जनजाति तक का ख्याल रखना पड़ता है.
'आरक्षण मामले में बिहार रोल मॉडल'
JDU MLC नीरज कुमार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने 2014 के एक घोषणा पत्र में कई सूत्री महिलाओं की मांग में पहली मांग पूरी की है, और आरक्षण के मामले में बिहार तो रोल मॉडल है. मुख्यमंत्री ने जितना महिलाओं के लिए किया है, उससे केंद्र सरकार को पहले ही सीख लेना चाहिए था. देश में पुलिस बल में सबसे ज़्यादा महिलाएं बिहार में ही हैं.
जाति जनजाति का रखना पड़ता है ख्याल
RJD सांसद मनोज झा ने कहा कि हमारी पार्टी का लालू यादव जी के समय से यह कहना है कि अगर महिला सशक्तिकरण करना है तो आसमानी चीजों से नहीं होता है. उसके लिए अनुसूचित जाति जनजाति तक का ख्याल रखना पड़ता है. अब ये आरक्षण 2029 में होगा या फिर 2024 में यह कोई नहीं जानता. यह केवल पोस्ट डेटेड कमिटमेंट है और कुछ नहीं, ऐसी सरकार के द्वारा जिसकी साख बिलकुल नहीं है.
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सोनिया गांधी ने भी किया समर्थन
कांग्रेस MLC समीर सिंह ने कहा कि हम लोग ख़ुश हैं और यह कांग्रेस का ड्रीम प्रोजेक्ट था. सोनिया गांधी ने खुद इसका समर्थन किया है, लेकिन इस बिल को लाने में नियत BJP की सही नहीं है, क्योंकि इनके पार्टी के ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसका विरोध कर रहे हैं और केवल आदित्यनाथ ही नहीं बल्कि मोहन भागवत भी इसके समर्थन में नहीं है और इस बिल को पास कब किया जाएगा और इससे फ़ायदा 2024 में होगा कि 29 में ये भी किसी को नहीं पता है. साथ ही साथ समीर सिंह ने कहा कि इस आरक्षण बिल से BJP केवल राजनीति करना चाहती है. इतने सालों से इनकी सरकार थी, लेकिन अब तक यह महिला आरक्षण बिल क्यों नहीं लाए जब चुनाव नज़दीक आया तो उन्हें महिलाओं की चिंता होने लग गई.
परिवारवाद की उपज हैं राबड़ी देवी
BJP विधायक पवन जसवाल का ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल महिला आरक्षण के विरोधी हैं. जब अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में महिला आरक्षण बिल लाया गया था तो इन्होंने सांसद में बिल फाड़ दिया था. वहीं, राबड़ी देवी को लेकर उन्होंने कहा कि ये तो परिवारवाद की उपज हैं. उन्हें तो विरासत में मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई कभी चुनाव लड़ के मुख्यमंत्री नहीं बनी है.