समस्तीपुर में एक जिंदगी निजी अस्पताल की मनमानी की बलि चढ़ गई, जहां हड्डियों के ऑपरेशन के लिए आई महिला की अस्पतालकर्मियों की लापरवाही के चलते मौत हो गई. परिजनों ने हंगामा किया जिसे शांत करा दिया गया. लेकिन सवाल ये कि कब तक निजी अस्पतालों में यूं ही जिंदगियां खत्म होती रहेंगी. समस्तीपुर के निजी अस्पतालों में भूलकर भी ना जाएं क्योंकि यहां के अस्पतालों में इलाज नहीं, बल्कि मौत का सौदा होता है. डॉक्टर्स का काम मरीज का इलाज करना नहीं होता, बल्कि मरीज के परिजनों से पैसे एंठना होता है. फिर चाहे इस सब के बीच किसी मरीज की जान ही क्यों ना चली जाए.
निजी अस्पताल में भर्ती थी मरीज
खबर जिले के चंद्रकला हॉस्टिपटल की है, जहां परिजन विपाल कर रहे हैं. आंखों में अपने को खोने का गम है और मन में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश है. आक्रोश इसलिए क्योंकि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलचे एक महिला मरीज की जान चली गई. महिला हड्डियों के ऑपरेशन के लिए आई थी. दरअसल, अख्तियारपुर की विमला देवी के पैर की हड्डी टूट गई थी. परिजन विमला देवी को मां चंद्रकला हॉस्पिटल लेकर आए. अस्पताल में डॉक्टर्स ने स्टील रॉड लगाकर ऑपरेशन की बात कही.
मरीज की मौत पर जमकर हंगामा
डॉक्टर्स की बात मानकर परिजनों ने महिला को अस्पताल में भर्ती करा दिया. ऑपरेशन के लिए खून की जरूरत थी तो परिजन खून देने के लिए तैयार हो गए, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने बिना किसी वजह के परिजनों का खून लेने से साफ इनकार दिया. उनका कहना था कि खून का इंतजाम अस्पताल प्रबंधन करेगा. यानी पैसों के लिए बाहर से ब्लड मंगाने की बात हुई और परिजनों ने प्रबंधन की जिद मान ली. अब परिजनों का दावा है कि जैसे ही मरीज को ब्लड चढ़ाना शुरू हुआ, उसकी तबीयत बिगड़ने लगी, लेकिन तबीयत खराब होने के बाद भी डॉक्टर ने खून चढ़ाना नहीं रोका. जिसके बाद महिला की मौत हो गई.
गलत खून चढ़ाने से मौत
महिला की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया. आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया. परिजनों का कहना है कि गलत खून चढ़ाने से ही महिला की मौत हुई है. अस्पताल में घंटों तक विवाद चला. हालांकि पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले को शांत करा दिया, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से किसी मरीज की जान जाने का ये पहला मामला नहीं है. पुलिस मामले को शांत करा देती है, लेकिन यहां जरूरत है कि इन निजी अस्पतालों पर लगाम कसी जाए. दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई की जाए ताकि अगली बार कोई मरीज लापरवाही की बलि ना चढ़े.