यौन शोषण के आरोप में फंसे बड़े आईपीएस अधिकारी , जाने क्या है पूरा मामला?

Update: 2022-10-10 14:29 GMT

NEWS CREDIT:- news4nation NEWS 

PATNA: पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अक्सर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन इस बार आरोप एक युवती के यौन शोषण से जुड़ा है और यह आरोप लगा है रेल डीआईजी और एससीआरबी राजीव रंजन पर। बताया गया कि रेल डीआईजी के खिलाफ सीएम नीतीश कुमार के निर्देश पर सीआईडी ने जांच के निर्देश दिए थे। अब सीआईडी ने अपनी जांच पूरी कर ली है और जांच में यौन शोषण के आरोप को सही पाया गया है। ऐसे में अब रेल डीआईजी अब बुरी तरह से फंसते हुए नजर आ रहे हैं।
डीजीपी को भेजी गई फाइल 
बताया गया कि सीआईडी ने आईपीएस अधिकारी के आचरण को संदिग्ध माना है और उनको पद के दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया है। साथ रेल डीआईजी के खिलाफ की जांच की रिपोर्ट भी बिहार डीजीपी कार्यालय को भेज दिया गया है। अब रेल डीआईजी के खिलाफ अपर मुख्य सचिव गृह द्वारा कार्रवाई करने को लेकर फैसला लिया जाना है। बताया जा रहा है कि 400 पन्ने की जांच रिपोर्ट के बाद रेल डीआईजी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए जा सकते हैं।
चार साल पुराना है मामला
मामला चार साल पहले का है, जब 2018 में फेसबुक के जरिए आईपीएस राजीव रंजन की दोस्ती हैदराबाद में रह रही झारखंड की एक महिला से हुई। बाद में यह दोस्ती गहरी हो गई। मामले में महिला ने आरोप लगाया कि अप्रैल 2018 में नेशनल पुलिस एकेडमी की कार से वह वनस्थलीपुरम थाना क्षेत्र स्थित उनके घर पहुंच गए और अकेली पाकर उनका यौन शोषण किया। इसके बाद यह सिलसिला जारी रहा। महिला का आरोप है कि जब मैंने इस रिश्ते को खत्म करने की कोशिश की तो उन्होंने अपने पद का धौंस दिखाना शुरू कर दिया और धमकाने लगे।
छोटे भाई को फंसाया
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि अपने पद का दुरुपयोग करते हुए डीआईजी ने पहले धमकी दी। फिर छोटे भाई के ससुर के जरिए अगमकुआं थाने में 19 जुलाई 2018 को महिला और उसके पति के खिलाफ आईटी एक्ट और रंगदारी का मामला दर्ज करा दिया। महिला का आरोप था कि इस दौरान थाना और अनुमंडल के पुलिस अफसर, जेल अधिकारी और अन्य लोग कानून के हर नियम को तोड़ते रहे।
मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान
पीड़िता ने राजीव रंजन और उसके मददगारों के खिलाफ बेटे को अगवा करने, पति को झूठे केस में फंसाने और टॉर्चर करने को लेकर डीजीपी कार्यालय में भी शिकायत की थी। बाद में पीड़िता के भाई ने अक्टूबर 2018 में सीएम नीतीश कुमार के पास इसकी शिकायत की। जिसके बाद मामले में तत्काल एक्शन लिया गया। चूंकि मामला एक आईपीएस से जुड़ा था, ऐसे में जांच की जिम्मेदारी सीआईडी को सौंप दी गई। वहीं इन चार सालों में पीड़िता के भाई की भी हादसे में मौत हो गई है।
इन पर भी है आरोप
रेल डीआईजी के खिलाफ चल रहे जांच में सीआईडी ने एक डीएसपी, अगमकुआं के थानेदार, अनुसंधान अधिकारी सहित कई पुलिस अधिकारियों, एक डॉक्टर, और बेउर जेल के अधिकारियों को भी दोषी पाया है। जांच रिपोर्ट में इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। वहीं इस पूरे प्रकरण की जांच में आईपीएस रैंक के छह अधिकारी शामिल किए गए थे, जिसमें एक अभी डीजी के पद पर हैं, वहीं दो एडीजीपी और एक डीआईजी रैंक का अधिकारी शामिल हैं।
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