बचपन से ही हम सुनते आए हैं कि 'स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का विकास होता है। लेकिन आजकल कोई भी मानसिक बीमारी के बारे में बात नहीं करना चाहता। और सबसे हैरानी की बात तो ये है कि अगर कोई मानसिक रूप से बीमार चल रहा हो तो वो अंदर से बहुत परेशान रहता है तो उसके आसपास के लोग उसे पागल कहकर उसका मजाक बनाना पसंद करते हैं। कई शोधों और वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि अगर किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा है तो उसका दिमाग भी ठीक से काम कर रहा है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपसे 'हिस्टीरिया' जैसी बीमारी के बारे में चर्चा करेंगे। जो एक तरह की मानसिक बीमारी है और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि लोग इसके बारे में बात करना भी पसंद नहीं करते। इसे एक वर्जित के रूप में देखा जाता है।
कम उम्र के लड़के-लड़कियां हो रहे हैं 'हिस्टीरिया' के शिकार
यह रोग युवा आयु वर्ग में अधिक देखा जा रहा है, विशेषकर 12-20 वर्ष के लड़के-लड़कियों में। क्योंकि यही वह समय होता है जब युवा लोगों में हॉर्मोन चेंज होते हैं। ऐसे में कई चीजें आपके शरीर के अंदर उथल-पुथल मचाती रहती हैं। लेकिन हमारे भारतीय समाज में कुछ परिवारों के अंदर इतना घूंघट है कि आप अपने माता-पिता के साथ सब कुछ साझा नहीं कर सकते। ऐसे में माता-पिता और बच्चों के बीच फासला हो जाता है और बच्चा अपनी आंतरिक समस्याओं के कारण अकेला घुटता रहता है, लेकिन वह किसी को बता नहीं पाता और एक समय के बाद यह भी होता है कि समस्याएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। भारतीय समाज में कुछ परिवारों में घर का माहौल इतना घुटन भरा होता है कि बच्चे मानसिक रूप से गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं।
हिस्टीरिया विक्षिप्त रोग है
हिस्टीरिया एक विक्षिप्त रोग है। यह युवाओं से जुड़ी समस्या है। लड़कों की तुलना में लड़कियां इस बीमारी की चपेट में अधिक आती हैं। हिस्टीरिया में दो तरह की अवस्थाएं होती हैं। पहले में बेहोशी या दौड़ने जैसी स्थिति होती है। दूसरी अवस्था में रोगी के शरीर में किसी गंभीर रोग के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कई बार ऐसा होता है कि इससे पीड़ित रोगी को आंखों से कम दिखाई देने लगता है। आवाज भी गायब हो सकती है। पैरालिसिस भी हो सकता है। साथ ही आपके हाथ-पैर भी काम करना बंद कर सकते हैं।