ये इंटरनेट का जमाना है... हम चारों तरफ से इंटरनेट की गिरफ्त में हैं. सुनने में ये भले ही कोई फिल्मी डायलॉग मालूम हो रहा हो, पर हकीकत यही है. निश्चित ही आप ये खबर इंटरनेट पर देख रहे हैं, इसका मतबल है कि आप भी इंटरनेट यूजर हैं. दरअसल इंटरनेट पर किसी भी तरह की कोई भी सामग्री मिलना बेहद ही आसान है. अब चाहे वो कोई बकवास सी वीडियो हो, या फिर इस तरह की कोई खास खबर. इंटरनेट पर बने रहने की हमारी यही आदत, इसे हमारे दैनिक दिनचर्या का एक अभिन्न अंग बनाता है, जिसमें हम और हमारी यंग जेनरेशन नामालूम कितना वक्त डेली बर्बाद करते हैं.
यहां सवाल है आखिर क्यों? जब हमें इन सारी हकीकतों का बखूबी अंदाजा है, फिर भी हम इंटरनेट से खुद को दूर क्यों नहीं रख पा रहे. हमें इस कदर इंटरनेट की गिरफ्त में हैं कि चाहे हम सफर कर रहे हों, या फिर घर पर आराम से बैठ कर खाना खा रहे हों, हमारे हाथ में मोबाइल होता ही है और हमारी आंखे उस मोबाइल स्क्रीन पर गड़ी होती है. ना तो हमें परिवार का होश होता है, और ना ही किसी की कोई परवाह. इंटरनेट की ये आदत इस कदर परवान चढ़ी है, जैसे कोई नशा...
हालांकि एक हालिया मेडिकल स्टडी में ये भी प्रूव हुआ है कि जिस तरह शराब या ड्रग्स का सेवन इंसानी दिमाग पर बुरा असर करता है, बिल्कुल उसी तर्ज पर मोबाइल या इंटरनेट का अत्याधिक इस्तेमाल दिमाग में नकरात्मक बदलाव कर रहा है, इसे मेडिकल की भाषा में इंटरनेट डिसऑर्डर से पहचाना जाता है. यहां बता दें कि जिन्हें इस बीमारी की शिकायत है, वे अक्सर नींद में भी मोबाइल और इंटरनेट कंटेंट से जड़े सपने देखा करते हैं, जिससे उनका दिमाग खुद को कभी भी इंटरनेट से दूर नहीं रख पाता. ऐसे में यहां उन तमाम पहलुओं को जानना होगा, जिससे हम इंटरनेट एडिक्शन, उससे होने वाली परेशानी और उसके बचाव को समझ सकें, तो चलिए शुरू करते हैं...
ये हैं 5 तरह के एडिक्शन
ऑनलाइन शॉपिंग और गैंबलिंग एडिक्शन
गेमिंग एडिक्शन
पोर्न और सेक्सुअल चैट एडिक्शन
साइबर रिलेशन या सोशल मीडिया चैट रूम
ऑनलाइन रिसर्च एडिक्शन
ये हैं परेशानियां
आंख और सिर में तेज दर्द
सोते समय आंखों में रोशनी महसूस होना
टाइम पर खाना पीना न करना
ऐसे होगा बचाव
दिनभर मोबाइल से दूर रहने की कोशिश करें
किताबें पढ़ना शुरू करें
दोस्तों और परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताएं