World Kidney Day 2022: डायबिटीज़ आपकी किडनी को नुकसान पहुंचाती है, जानें बीमारी के शुरुआती संकेतों का निदान कैसे करें
डायबिटीज़ तेज़ी से किडनी पर प्रभाव डालती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर आप लंबे समय से डायबिटीज़ से जूझ रहे हैं और अपने ब्लड शुगर स्तर को सही तरीके से मैनेज नहीं कर रहे हैं, तो आपकी किडनी को नुकसान पहुंचने का ख़तरा काफी ज़्यादा हो जाता है। डायबिटीज़ तेज़ी से किडनी पर प्रभाव डालती है और शुरुआत में इससे जुड़े चेतावनी के संकेतों को पहचानना मुश्किल होता है।
ऐसा होता है कि जब रक्त शर्करा लंबे समय तक रक्तप्रवाह में रहता है, तो वे धीरे-धीरे आपके गुर्दे में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे आपके शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त पानी को छानने का काम करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे डायबिटीज़ किडनी की क्षति में योगदान देती है, जिसमें रक्त वाहिका का लीक करना, मूत्राशय में पेशाब का जमा होना, बैक्टीरिया का बढ़ना शामिल है। चिंता की बात यह है कि डायबिटिक किडनी की बीमारी के शुरुआती चरण में किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। सिर्फ नियमित तौर पर चेक-अप कराने से ही इस समस्या का पता लगाया जा सकता है।
डायबिटिक किडनी की बीमारी के शुरुआती संकेतों का निदान कैसे करें
एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक आसान-सा यूरिन टेस्ट जिसे यूरिन-एल्बुमिन क्रिटानाइन रेशियो (U-ACR) कहा जाता है, पेशाब में एल्बुमिन नाम के प्रोटीन की मौजूदगी का पता लगाता है। माइक्रोएल्ब्यूमिन्यूरिया (यूरिन में एल्बुमिन) पहले लक्षणों में से एक है जिसे आसानी से पता लगाया जा सकता है और इलाज किया जा सकता है। वहीं, दूसरा टेस्ट है ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (eGFR) टेस्ट जिससे गुर्दे की अपशिष्ट उत्पादों को छानने की क्षमता का पता चलता है।
बाद के चरणों में डायबिटिक किडनी की बीमारी के लक्षण
जैसे-जैसे बीमारी आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे लक्षण साफ तौर पर दिखने लगते हैं। एक व्यक्ति को पैरों और हाथों में सूजन, पेशाब में झाग (एल्बुमिन की मौजूदगी की वजह से), पेशाब में ख़ून ( बहुत ही कम मामलों में), सांस फूलना, मतली और लगातार कमज़ोरी जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है।
डायबिटीज़ कितने समय में किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है?
टाइप-1 डायबिटीज़ में किडनी के फंक्शन को नुकसान बीमारी के निदान के 2 से 5 साल बाद हो सकता है और प्रगति में 10-30 साल लग सकते हैं जबकि टाइप-2 डायबिटीज़ में, निदान से ही गुर्दे प्रभावित होने लग सकते हैं, लेकिन प्रगति टाइप-1 डायबिटीज़ रोगियों के समान हो सकती है। गुर्दा रोग की जांच हर साल करानी चाहिए।
किडनी की बीमारी से बचने के लिए लाइफस्टाइल में क्या बदलाव ज़रूरी हैं?
- स्वस्थ खाने की आदत डालें और दिन में कई बार छोटे-छोटे मील्स लें। डाइट में सब्ज़ियां और लीन प्रोटीन को शामिल करें। चीनी, तेल और प्रोसेस्ड फूड्स से दूर रहें। हाई सोडियम डाइट से बचें क्योंकि ये शरीर में तरल पदार्थ के जमाव का कारण बनती है।
- स्मोकिंग या तंबाकू चबाने की आदत छोड़ें क्योंकि यह किडनी को और ज़्यादा नुकसान पहुंचा सकती है।
- किडनी को और ज़्याादा नुकसान न पहुंचे इसके लिए शराब का सेवन बिल्कुल कम कर दें।
- लंबाई के हिसाब से सही वज़न बनाए रखें।
- ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखें ताकि किडनी, दिल और स्ट्रोक से जुड़ी बीमारियों का ख़तरा कम रहे।