सफेद ब्रेड और ब्राउन ब्रेड में कौन सी है ज्यादा हेल्दी?

हम थोड़े से स्वास्थ्य को लेकर सचेत हो रहे हैं। अब हम केवल सुंदरता को देख कर ही भोजन का चुनाव नहीं कर लेते हैं

Update: 2022-06-13 10:10 GMT

हम थोड़े से स्वास्थ्य को लेकर सचेत हो रहे हैं। अब हम केवल सुंदरता को देख कर ही भोजन का चुनाव नहीं कर लेते हैं बल्कि खाने से पहले सोचते हैं कि क्या ये हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है या लाभदायक। आजकल लोग व्हाइट ब्रेड को रिजेक्ट करके ब्राउन ब्रेड का चुनाव कर रहे हैं, आखिर क्या है व्हाइट ब्रेड में ऐसा कि लोग उसे न खाकर ब्राउन ब्रेड का चुनाव कर रहे हैं। जाने माने आयुर्वेदिक डॉ अबरार मुल्तानी ने हमें बताया कि दरअसल व्हाइट ब्रेड में घातक रीजेंट पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडाईड डाला जाता है जो नुकसानदायक होता है

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट (सीएसई) के हाल के एक अध्ययन के अनुसार सभी तरह की ब्रेड (वाइट, ब्राउन, मल्टीग्रेन्स, होल वीट, पाव, बन्स और पिज्जा बेस) में कार्सिनोजन्स केमिकल्स होते हैं, जो कैंसर और थाइरॉयड रोगों का कारण बनते हैं। हमारे यहां बिकने वाली तमाम ब्रेड के 84 % नमूनों में पोटेशियम ब्रोमेट व पोटेशियम आयोडेट पाया जाता है। इन ऑक्सिडाइजिंग एजेंट्स पर कई देशों में प्रतिबंध लगा है। इनका उपयोग ब्रेड को फुलाने, मुलायम बनाने और अच्छी फिनिशिंग देने के लिए किया जाता है।
सफेद ब्रेड को बनाते समय गेंहू से चोकर और बीज को हटा दिया जाता है और पोटेशियम, ब्रोमेट, बैंजोल पैराऑक्साइड और क्लोरी नडाई ऑक्साइड के साथ ब्लीच मिला दी जाती है। जिसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वही दूसरी तरफ ब्राउन ब्रेड बनाते समय गेंहू मे से चोकर को नहीं हटाया जाता है। जिसकी वजह से ब्राउन ब्रेड में पोषक तत्व बचे रहते हैं।
वाइट ब्रेड vs ब्राउन ब्रेड
यूरोपियन कांग्रेस ऑन ओबेसिटी में प्रस्तुत किए गए एक शोधपत्र के अनुसार रोज दो स्लाइस से अधिक वाइट ब्रेड खाने वालों में मोटापा बढ़ने की आशंका 40% तक बढ़ जाती है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्युट्रिशन में प्रकाशित एक अन्य शोध के अनुसार वाइट ब्रेड अधिक खाने से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ब्रेड का शरीर पर असर इस पर निर्भर करता है कि हम कौन सी व कितनी ब्रेड खाते हैं।
व्हाइट ब्रेड में पोषण नहीं होता है लेकिन यह अन्य खाद्य पदार्थों में से भी पोषण का अवशोषण कम कर देता है। इसमें कुछ एंटी न्यूट्रिएंट्स भी होते हैं जो कैल्शियम, आयरन और जिंक के अवशोषण को रोकते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति जो वजन घटाना चाहता है उसे अपनी डाइट से ब्रेड को हटा देना चाहिए।
व्हाइट ब्रेड को खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल और इंसुलिन तेजी से बढ़ता है. साथ यह तेजी से नीचे भी आता है. ब्लड शुगर लेवल तेजी से कम होने के कारण हमें फिर से भूख लगती है और हम फिर खाते हैं. बार बार भोजन लेने के कारण हम मोटे होते चले जाते हैं।
ब्राउन ब्रेड में सफेद ब्रेड की तुलना में ज्यादा पोषक तत्व होते हैं। ब्राउन ब्रेड में विटामिन बी-6, ई, मैग्नीशियम, फॉलिक एसिड, जिंक, कॉपर और मैंगनीज जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। तो दूसरी तरफ सफेद ब्रेड में कम मात्रा में फाइबर होता है मगर ब्राउन ब्रेड की तुलना में ज्यादा कैल्शियम होता है।
सफेद ब्रेड में एडिटिव शुगर होती है जिसकी वजह से इसमें ब्राउन ब्रेड की तुलना में ज्यादा कैलोरी होती है।
ब्राउन में वाइट की तुलना में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होते हैं जिसकी वजह से यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स से शरीर में शुगर का लेवल कम रहता है। जिससे डायबिटीज और अन्य हृदय संबंधित बीमारी होने का खतरा कम हो जाता है
हालांकि किसी भी तरह की ब्रेड का सेवन स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद नहीं है लेकिन अगर सफेद ब्रेड और ब्राउन ब्रेड की तुलना की जाए तो ब्राउन ब्रेड थोड़ी ज्यादा हेल्दी होती है।


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