कौन कौन सी बीमारियां है साइलेंट किलर डिजीज
मधुमेह तब होता है जब किसी व्यक्ति के रक्त प्रवाह में बहुत अधिक ग्लूकोज या चीनी होती है।
शरीर में ज्यादातर बीमारियों से जुड़े लक्षण दिखाई देते हैं। यह अलग बात है कि कई बार हम इन्हें पहचानने में गलती कर बैठते हैं या फिर लक्षणों को समझ ही नहीं पाते। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई ऐसी बीमारियां भी होती हैं, जिनके लक्षण भी नजर नहीं आते और ये आपको अंदर से नुकसान पहुंचाती चली जाती हैं। ये बीमारियां 'साइलेंट किलर' हैं, जिनके लक्षणों को पहचान पाना बेहद मुश्किल है। इन बीमारियों के बारे में आपको तभी पता चल सकता है जब आप इनकी पूरी तरह से जांच करा लें। आइए जानते हैं इन बीमारियों के बारे में...
उच्च रक्तचाप
हाई ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन कहते हैं। उच्च रक्तचाप कई बीमारियों को जन्म दे सकता है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब रक्त वाहिकाओं की दीवारों के विरुद्ध रक्त का दबाव लगातार बहुत अधिक होता है। इससे बहुत नुकसान हो सकता है। अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक समेत दिल से जुड़ी तमाम समस्याओं के होने की संभावना बढ़ जाती है। उच्च रक्तचाप के ज्यादातर मामलों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसके लक्षण अक्सर तबियत बिगड़ने पर दिखाई देते हैं।
उच्च कोलेस्ट्रॉल
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर डिजीज भी कहा जाता है। यह रोग रोगियों में तब तक कोई लक्षण पैदा नहीं करता जब तक इसका स्तर खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंच जाता। उच्च कोलेस्ट्रॉल तब होता है जब एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल रक्त में बनता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारणों में अस्वास्थ्यकर वसायुक्त भोजन, प्रसंस्कृत भोजन, शराब का सेवन, धूम्रपान और व्यायाम की कमी शामिल हैं।
मधुमेह
मधुमेह तब होता है जब किसी व्यक्ति के रक्त प्रवाह में बहुत अधिक ग्लूकोज या चीनी होती है। यह समस्या तब भी उत्पन्न होती है जब अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर रहा होता है या शरीर इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है। मधुमेह भी एक साइलेंट किलर बीमारी है। ज्यादातर मामलों में, मरीजों को तब तक अपनी डायबिटीज के बारे में पता नहीं चल पाता जब तक कि उनका परीक्षण नहीं हो जाता।
कैंसर
कैंसर एक खतरनाक साइलेंट किलर बीमारी है। स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर और फेफड़ों के कैंसर सहित अधिकांश कैंसर 'साइलेंट किलर' हैं। स्क्रीनिंग के जरिए ही इनका सही पता लगाया जा सकता है।