भारतीय किचन के मसालों में हल्दी एक अहम मसाला होती है। ये कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। ऐसे में क्या नवजात शिशु या बच्चे को हल्दी खिलाई जा सकती है? यदि हां तो शिशु को हल्दी खिलाने की सही उम्र क्या है? इसे कब, कैसे और कितनी मात्रा में देना चाहिए? इसके क्या फायदे और क्या नुकसान है? आज हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देंगे।
किस उम्र में खिलाएं हल्दी?
बच्चे को छह महीने तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाया जाता है। ऐसे में इन शुरुआती छह महीनों में उसे भूलकर भी हल्दी न दें। सामान्य तौर पर बच्चों को हल्दी तब दी जाती है जब वो ठोस आहार लेना शुरू कर देता है। इसलिए जब बच्चा 9 महीने का हो जाए तो उसके भोजन में हल्दी शामिल की जा सकती है। हालांकि ऐसा करने से पहले डॉक्टर की सलाह ले लेना चाहिए।
कैसे खिलाएं हल्दी?
शिशु को हल्दी खिलाने के लिए एक कप दूध में एक चुटकी हल्दी मिला दें। बच्चे की उम्र एक साल से कम हो तो उसमें शक्कर न मिलाएं। सूप, दाल, खिचड़ी में भी थोड़ी मात्रा में हल्दी मिलाई जा सकती है। यदि आप बच्चे को गाजर, कद्दू, आलू की प्यूरी खिला रहे हैं तो उसमें भी हल्दी मिला सकते हैं।
बच्चों को हल्दी खिलाने के फायदे
अच्छा पाचन: हल्दी से शिशु के पित्त रस का उत्पादन अच्छे से होता है। इससे उसका पाचन तो सुधरता ही है साथ में पेट फूलने जैसी समस्या भी नहीं होती है।
इन्फ्लामेट्री बाउल सिंड्रोम नहीं होता: हल्दी के अंदर करक्यूमिन क्रोन डिजीज, अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे लाभकारी तत्व उपस्थित रहते हैं। ये शिशु को इन्फ्लामेट्री बाउल डिजीज (बीमारी) से बचाते हैं।
खांसी में आराम: हल्दी बलगम को निकालने का काम करती है। इससे बच्चे को खांसी एवं जुकाम से आराम मिलता है।
इम्यूनिटी बढ़ाए: इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए हल्दी एक अच्छा स्त्रोत होता है। इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
बच्चों में हल्दी के नुकसान
शिशु को यदि हल्दी ज्यादा मात्रा में खिला दी जाए तो उसका पेट खराब हो सकता है। वहीं इससे बच्चे की बॉडी से आयरन का अवशोषण 20 से 90 फीसदी काम हो जाता है। इससे आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया का खतरा बनने लगता है। इसलिए जिन बच्चों में एनीमिया की समस्या होती है उन्हें हल्दी सावधानीपूर्वक देनी चाहिए। वैसे तो हल्दी से किसी को कोई एलर्जी नहीं होती, लेकिन कुछ गिने चुने सेंसिटिव लोगों को इससे एलर्जी होने की संभावना रहती है।