अग्रकुब्जता (Lordosis) क्या होता है

मानव शरीर रीढ़ की हड्डी के सहारे खड़ा हो पाता है. इसी रीढ़ की हड्डी में किसी न किसी बजह से कई तरह की असमानताएँ आ जाती हैं और यही असमानताएँ स्कोलियोसिस, कुब्जता और अग्रकुब्जता के नाम से जानी जाटी हैं.

Update: 2021-11-21 12:59 GMT

जनता से रिश्ता। मानव शरीर रीढ़ की हड्डी के सहारे खड़ा हो पाता है. इसी रीढ़ की हड्डी में किसी न किसी बजह से कई तरह की असमानताएँ आ जाती हैं और यही असमानताएँ स्कोलियोसिस, कुब्जता और अग्रकुब्जता के नाम से जानी जाटी हैं. स्कोलियोसिस वाले लोगों की रीढ़ घुमावदार हो जाती है और यह अक्सर कंधों और कूल्हों में देखने को मिलता है. कुब्जता, ऊपरी पीठ में होती है, यह अक्सर वृद्ध महिलाओं को हो जाता है. अग्रकुब्जता में पीठ के नीचे के भाग में रीढ़ की हड्डी आगे की तरफ घुमावदार हो जाती है.

अग्रकुब्जता – जब पीठ का निचला हिस्सा अत्यधिक घुमावदार और गहरा होता है तो यही स्थिति अग्रकुब्जता या लोर्डोसिस कहलाती है.
अग्रकुब्जता (लोर्डोसिस) के कारण | Lordosis is caused by
यह आनुवांशिक भी हो सकती है, घर में किसी व्यक्ति के अग्रकुब्जता होने पर यह वंशानुगत भी हो सकती है.
रीढ़ की हड्डी के बीच के भाग में सूजन की बजह से भी यह हो सकती है, जिसे डिस्काइटिस कहते हैं.
अत्यधिक मोटापा भी इसका कारण हो सकता है. ऑस्टियोपोरोसिस, स्नायु डिस्ट्रॉफी भी अग्रकुब्जता का कारण हो सकता है.
जब रीढ़ आगे की तरफ खिसक जाती है और वक्रता बढ़ जाती है, तो यह अग्रकुब्जता को बढ़ावा देती है. इसे स्पोंडिलोलिस्थीसिस कहते हैं.
अग्रकुब्जता (लोर्डोसिस) के लक्षण | Lordosis symptoms
पीठ में दर्द
कमर, कूल्हे व पैर में दर्द
पैर या पंजों में सुई की चुभन जैसा महसूस होना
खड़े होने या चलने पर रीढ़ की हड्डी के निचले भाग में दर्द होना
बहुत देर तक कंप्यूटर के सामने बैठकर कार्य करने से पीठ में दर्द होना व बाइक आदि चलाने पर पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना
अग्रकुब्जता (लोर्डोसिस) के उपाय | Lordosis treatment at home
बहुत देर तक एक ही अवस्था में नहीं बैठना चहिये.
इससे बचाव के लिए आयुर्वेद रोकथाम भी किया जा सकता है. बलारिष्ट, वातकुलान्तक रस, समीर पन्नग, महायोगराज गुग्गुल, महारास्नादी क्वाथ, निर्गुन्डी तेल आदि रोगी को उनके लक्षणों के अनुसार रोकथाम के लिए उपयोग किया जाता है.
अगर अग्रकुब्जता के लक्षण दिखाई दें तो पहले से ही समतल बिस्तर का प्रयोग करें.
इस तरह के रोग में नागरमोथा और गिलोय का उपयोग करना फायदेमंद है.
नाक में दो – दो बूँद गाय का घी डालना कारगर बताया गया है.
प्रतिदिन प्राणायाम करें, शुरुआत में कम समय से ही शुरू करें.
अग्रकुब्जता को कम करने के लिए कुछ सुधारात्मक अभ्यास किए जा सकते हैं, इसे ठीक करने में कई महीने लग सकते हैं, इसके लिए निरंतर आसन व प्राणायाम कर सकते हैं.
अग्रकुब्जता में किये जाने वाले आसन | lordosis exercises yoga
कुछ आसन के जरिये भी कहीं हद तक अग्रकुब्जता में आराम मिलता है –

पीठ के आराम हेतु आसन और व्यायाम – शशांकासन (खरगोश), भू नमनासन (पृथ्वी की वंदना), उत्थित लोलासन (शरीर के ऊपरी भाग (धड़) को झुलाना)
रीढ़ की लोच को बढ़ाने के लिए आसन और व्यायाम – मेरु पृष्ठासन (शरीर के ऊपरी भाग (धड़) को मोडऩा), मारजारी (बिल्ली), व्याघ्रासन (बाघ), त्रियक भुजंगासन (बलखाता नाग), धनुरासन (धनुष), अर्ध मत्स्येन्द्रासन (रीढ़ मोडऩा), खाटू प्रणाम (खाटू का अभिनंदन)
पीठ को पुष्ट करने के लिए आसन और व्यायाम – कटिचक्रासन (कूप), सेतु आसन, उष्ट्र आसन, चक्रासन
मेरुदंड की पार्श्व क्षमता में सुधार करने के लिए आसन और व्यायाम – गौ मुखासन, त्रिकोणासन, कश्यपासन
उपर्युक्त बताये गए उपचार और आसन को रोगी के लक्षण के अनुसार उपयोग किये जाते हैं. अगर आप इन उपायों और आसन का प्रयोग करना चाहते हैं तो बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के बिना न करें.


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