क्या है साइटोकीन स्टॉर्म, ये कोरोनावायरस रोगियों में मौतों को क्या देते है बढ़ावा
दुनिया भर में दूसरी लहर के दौरान कोरोनोवायरस बहुत तेज गति से फैल रहा है
दुनिया भर में दूसरी लहर के दौरान कोरोनोवायरस बहुत तेज गति से फैल रहा है. खास तौर से एशियाई देशों में, दुनिया के दूसरी जगहों की तुलना में COVID-19 का कहर बहुत ज्यादा है. दूसरी लहर के बीच, कई COVID-19 मामले सामने आए हैं जिनमें एक नई स्थिति विकसित हुई है जिसे साइटोकीन स्टॉर्म के नाम से जाना जाता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, साइटोकीन स्टॉर्म गंभीर है और सही तरकी से ट्रीटमेंट नहीं होने पर COVID-19 रोगियों की मृत्यु हो सकती है. हम सभी ने COVID रोगियों में मौत की कई वजहों में कई अंग विफलता के बारे में सुना होगा. अब, ये माना जाता है कि COVID-19 रोगियों में मल्टिपल ऑर्गन फैल्योर साइटोकिन स्टॉर्म की वजह से होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि साइटोकिन्स मानव शरीर की कोशिकाओं के अंदर एक तरह के प्रोटीन के रूप में मौजूद होते हैं और हमारे शरीर की इम्यून रेस्पॉन्स सिस्टम का हिस्सा होते हैं. ये हमारे शरीर को कई तरह के संक्रमणों से बचाने और उनसे लड़ने में मदद करते हैं.
हालांकि, जब वायरस हमारे शरीर पर हमला करता है, तो शरीर में ज्यादा से ज्यादा साइटोकिन्स पैदा होते हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते हैं. ऐसे में साइटोकिन्स खुद कोशिकाओं पर हमला करने लगते हैं, जो शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. इसके साथ ही शरीर के कई अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं. विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि कोरोनावायरस शरीर की इम्यून सिस्टम को अपना सबसे बड़ा दुश्मन बनाता है.
साइटोकिन स्टॉर्म या अनियंत्रित साइटोकिन्स फेफड़ों को प्रभावित कर सकते हैं, जिसकी वजह से, शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है और हृदय की धमनियों में भी सूजन आने लगती है, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा खून के थक्के जमने या थ्रोमबाउसिस की संभावना भी बढ़ जाती है.
विशेषज्ञों की राय में इस तरह का संक्रमण कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद दूसरे हफ्ते में होने की संभावना ज्यादा है. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी अवस्था में मरीजों को स्टेरॉयड देना चाहिए. संक्रमण के दूसरे हफ्ते में मरीज को ज्यादा एहतियात और निगरानी की जरूरत होती है.
ऐसे समय में, शरीर के ऑक्सीजन लेवल की निरंतर निगरानी करना बहुत महत्वपूर्ण है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर पर इस स्टॉर्म के घातक प्रभावों पर अभी भी एक व्यापक अध्ययन की जरूरत है. और ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है कि सतर्क रहें और बचकर रहें.