Lifetyle. लाइफस्टाइल: अगर आप किसी सीनियर पोस्ट पर हैं या फिर आपके पास उस काम का एक्सपीरियंस हैं लेकिन फिर भी आपसे ऊंचे पद पर बैठा व्यक्ति हर एक छोटी से छोटी चीज में आपको गाइड कर रहा है और कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है तो इसे माइक्रो मैनेजमेंट कहा जाता है। इससे कर्मचारियों में तनाव का स्तर बढ़ता है और काम करने की इच्छा घटने लगती है। लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जरा सोचिए आपको खाना बनाने का शौक है और आप इसे सालों से करते आ रहे हैं, लेकिन एकाएक कोई आकर आपको कोई डिश बनाने के स्टेप बाई स्टेप इंस्ट्रक्शन दें, तो कैसे लगेगा? स्योर है गुस्सा ही आएगा और चिढ़ मचेगी। वर्क प्लेस पर ऐसा करना माइक्रोमैनेजमेंट कहलाता है। समझें माइक्रोमैनेजमेंट का चक्कर माइक्रो मैनेजमेंट में बॉस या आपका सीनियर आपकी हर छोटी से छोटी एक्टिविटीज पर नजर रखता है और आपको कंट्रोल करने की कोशिश करता रहता है। इससे कर्मचारियों के काम करने की इच्छा कम होने लगती है और वो बहुत ज्यादा तनाव महसूस करते हैं। स्ट्रेस के चलते या तो काम ही नहीं हो पाता या फिर क्वॉलिटी वर्क नहीं हो पाता। जो न इम्प्लॉई के लिए अच्छा होता है, न कंपनी के लिए। सीधे शब्दों में कहें तो इससे प्रोडक्टिविटी और क्रिएटिविटी डाउन होने लगती है।